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शुभांशु शुक्ला से लेकर स्पेस-साइंस तक... देखें 'मन की बात' में पीएम मोदी का पूरा संबोधन

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00:00मन की बात में एक बार फिर बात होगी देश की सफलताओं की, देश वासियों की उपलब्दियों की, पिछले कुछ हपतों में स्पॉर्ट्स हो, साइंस हो या सांस्कृती, बहुत कुछ ऐसा हुआ है जिस पर हर भारत वासि को घर्वा है,
00:24अब इहाली ही मैं सुभान्शू शुकला की अंत्रिक्ट से वापसी को लेकर, देश में बहुत चर्चा हुई, जैसे ही सुभान्शू धर्ती पर सुरक्षित उत्रे, लोग उचल पड़े, हर दिल में खुशी की लहर दोड़ गई, पुरा देश गर्व से भर गया,
00:49मुझे आद है, जब अगस्त दोहजार तैईस में, चंद्रयान तीन की सफन लेंडिंग हुई थी, तब देश में एक नया माहुल बना,
01:01साइन्स को लेकर, स्पेस को लेकर, बच्चों में एक नई जिग्यासा भी जागी,
01:09अब छोटे छोटे बच्चे कहते हैं, हम भी स्पेस में जाएंगे, हम भी चांद पर उतरेंगे, स्पेस साइंटिस्ट बनेंगे,
01:19साथियों, आपने, इंस्पायर मानक अभियान का नाम सुना होगा, यह बच्चों के इनोवेशन को बढ़ावा देने का अभियान है,
01:29इसमें हर स्कूल से पाँच बच्चे चुने जाते हैं, हर बच्चा एक नया आइडिया लेकर आता है, इससे अब तक लाखों बच्चे जूड चुके हैं, और चंद्रयान तीन के बाद तो इनकी संख्या दोगुनी हो गई है,
01:48देश में स्पेस स्टार्ट अफ भी तेजी से बढ़ रहे हैं, पात साल पहले पच्चास से भी कम स्टार्ट अब थे, आज दोसों से जाजा हो गए हैं, सिरफ स्पेस सेक्टर में,
02:03साथियों, अगले मैने 23 अगस को नेशनल स्पेस डे हैं, आप इसे कैसे मनाएंगे, कोई नया आइडिया है क्या, मुझे नमो एप पर जरूर मेसेज भेज़िएगा,
02:19साथियों, 21 सदी के भारत में, हाज साइंस एक नई उर्जा के साथ आगे बढ़ रही है, कुछ दिन पहले हमारे छात्रों ने इंटरनेशनल केमिस्ट्री अलिम्पियार में, मेडल जीते हैं,
02:37देवेश पंकच, संदीप कुची, देवबरत प्रियदर्शी और उज्वल केश्ट्री इन चारों ने भारत का नाम रोशन किया,
02:49मैच की दुनिया में भी भारत ने अपनी पहचान को और मद्बूत किया है, उस्ट्रेलिया में हुए इंटरनेशनल मैथेमेटिकल अलिम्पियार में, हमारे स्टूडेंट्स ने तीन गोल, दो सिल्वर और एक ब्रॉंज मेडल हासिल किया है,
03:07साथियों, अगले महिने मुंबई में, एस्ट्रोनॉमी और एस्ट्रोफीजिक्स अलिम्पियार होने जा रहा है, इसमें 60 से जादा देशों के छात्रा आएंगे, विज्यानिक भी आएंगे, यह अब तक का सबसे बड़ा अलिम्पियार होगा, एक तरसे देखें, तो भार
03:37हम सभी को घर्व से भर देने वाली एक और खबर आई है, युनेस्को से, युनेस्को ने बारा मराठा किलों को वर्ल्ड हैरिटेज सैट्स के रूप में मानेता दी है, ग्यारह किले महराष्ट में एक किला तमिलाडू है, हर किले से इतिहास का एक एक पन्ना जुड़ा है,
04:07सलेर का किला, जहां मुगलों के हार हुई, शिवनेरी जहां छट्रपति सिवाजी महाराज का जन्म हुआ, किला ऐसा, जिसे दुष्मन भेद न सके, खांदेरी का किला, समुद्र के बीच बना अधूत किला, दुष्मन उन्हें रोकना चाहते थे,
04:30लेकिन सिवाज महाराज ने असंभव को संभव करके जिखा दिया
04:35प्रताब घड का कीला जहां अबदल खान पर जीत हुई
04:40उस गाथा की गुंज आज भी कीले की दिवारों में समाई है
04:45विजय दूर्ग जिसमें गुप्त सुरंगे थी
04:49चत्रपती सिवाज महाराज के दुरदर्श्रिता का प्रमान इस किले में मिलता है
04:55मैंने कुछ साल पहले राइगर का दौरा किया था
05:00चत्रपती सिवाज महाराज के प्रतिवाय के सामने नमन किया था
05:05यह अनुभव जीवन भर मेरे साथ रहेगा
05:09साथियों देश के और हिस्सों में भी ऐसे ही अध्वुत किले हैं जिनोंने आक्रमन जेले, खराब मौसम की मार जेली, लेकिन आत्मसम्मान को कभी भी जुकने नहीं दिया
05:27राजस्तान का चितोरगर का किला, कुंबलगर किला, रन थंभोर किला, आमेर किला, जेसन मेर का किला तो विश्व प्रसिद्ध है
05:39करनाटका में गुलबरगर का किला भी बहुत बड़ा है, चित्रदूर के किले की विशानता भी आपको कवतुल हल से भर देगी, कि उस जमाने में किला बना कैसे होगा
05:53साथियों, उत्तर प्रदेश के बांदा में है कालिंजर किला, महमुद गजनवी ने कई बार इस किले पर हमला किया
06:04और हर बार असपल रहा, बुंदेल खंड में ऐसे कई किले हैं, ग्वालियर, जांसी, दत्या, अजैगर, घड कुंडार, चंदेरी
06:19ये किले सिर्फ इड पत्थर नहीं है, ये हमारी संस्कृति के प्रतीक है, सांस्कार और स्वाभिमान आज भी इन कीलों की उँची उँची दिवारों से जागते हैं, मैं सभी देशवास्यों से अग्रह करता हूँ, इन कीलों की आत्रा करें, अपने इतिहास को जाने, गव
06:49अब कलपना कीजिए, बिलकुल भोर का वक्त, बिहार का मुझफर पूर शहर, तारी है, 11 अगस्त 1908, हर गली, हर चोराह, हर हल चल, उच समय जैसे थमी हुई थी,
07:12लोगों के आँखों में आशू थे, लेकिन दिलों में ज्वाला थी, लोगों ने जेल को गेर रखा था, जहां एक 18 साल का युवक, अंग्रेजों की खिलाब, अपना देश प्रेम व्यक्त करने की कीमत चुका रहा था,
07:33जेल के अंदर अंग्रेज अपसर एक युवाँ को फासी देने की तैयारी कर रहे थे, उस जुवाँ के चहरे पर भाई नहीं था, बलकि गर्व से बरा हुआ था, वो गर्व जो देश के लिए मर मिटने वालों को होता है,
07:52वो बीज, वो साहसी गवा थे, खुदिराम बोस, सिर्फ अठारा साल की उम्रे में उन्होंने वो साहत दिखाया, जिसने पुरे देश को जगजोर दिया, तब अख़बारों ने भी लिखा था,
08:09खुदिराम बोस, जब फासी के फंदे की और बढ़े, तो उनके चहरे पर मुस्कान थी, ऐसे ही, अन गिनत बलिदानों के बाद, सदियों के तपस्या के बाद, हमें आज़ादी मिली थी, देश के दिवानों ने, अपने रक्त से, आज़ादी के आंदुल उनको सीचा था,
08:39आज़ादी का महिना है, एक अगस्त को लोकमान निबाल गंगादर तीलक के पुन्रतिती होती है, इसी महिने, आठ अगस्त को गांदी जी के नेत्रुतों में, भारत छोड़ों अंदुलों के शुरुवात हुई थी, फिर हाता है 15 अगस्त, हमारा स्वतंत्रता दिवस, हम �
09:09चुड़ी हुई है, इसलिए हम 14 अगस्त को विभाजन विभीशिका स्मृति दिवस के रूप में बनाते हैं, मेरे पहरे देश वाश्यों, 7 अगस्त 1905 को एक और क्रांति की शुरुवात हुई थी, स्वदेशी हंदोलन ने स्थानिय उत्पादों और खासकर हैंलुम को एक
09:39नेशनल हेंडलुम डे मनाता है, इस साल 7 अगस्त को नेशनल हेंडलुम डे के 10 साल पूरे हो रहे हैं, आजहादी की लड़ाए के समय, जैसे हमारी खादी ने आजहादी के अंदोलोन को नई ताकत दी थी, वैसे ही आज जब देश विक्सित भारत बनने के लिए कदम बढ�
10:09इन 10 वर्षों में, देश के अलग-लग हिस्सों में, इस सेक्टर से जुड़े लाखों लोगों ने सफरता की कई घाथाई लिखी हैं, महारास्टर के पैठन गाउं की कविता धवले पहले छोटे से कमरे में काम करती थी, न जगती और नहीं सुविदा, सरकार से मदद मिली
10:39ही है, खुद अपनी बनाई पैठनी साडियां बेच रही है, उडिशा के मयुर्भंज में भी सफरता की ऐसी ही कहानी है, यहां 650 से ज़्यादा आदिवासे महलाओं ने संथाली साडिय को फिर से जीवित किया है, अब ये महला ये हर महने हजारों रूपिय कमा रही है, ये स
11:09बिहार के नालंदा से नमीन कुमार की उपलब्दी भी प्रेणादायक है, उनका परिवार पीडियों से इस काम से जुड़ा है, लेकिन सबसे अच्छी बात ये है कि उनके परिवार ने अब इस फिल में आधुनिकता का भी समाविश किया है, अब उनके बच्चे हैंडलू
11:39नहीं है, ये आज पास के अनेक परिवारों को आगे बढ़ा रहा है, साथिों, टेक्स्टाइल भारत का सिर्फ एक सेक्टर नहीं है, ये हमारी सांसकूर्तिक विवित्ता की मिस्ताल है, आज भारत में तीन हजार से ज़्यादा टेक्स्टाइल स्टाट अप शक्रिये हैं, क
12:09के विक्षित भारत का रास्ता आत्मन निर्भरता से होकर गुजरता है और आत्मन निर्भर
12:17भारत का सबसे बड़ा अधार है बोकल फॉर लोकल कि जो चीजें भारत में बनी हो जिसे बनाने में �िसी
12:28पार्तिय का पसिना बहा हो वही खरीदे और वही बेचे यह हमारा संकल्प होना चाहिए मेरे पहरे देश वास्जियों भारत की विवितिता की सबसे खुबसुरूद जलक हमारे लोग गीतों और परंपराओं में मिलती है और इसी का हिस्सा होता है हमारे भजन और हमारे किर्�
12:58इस फायर के प्रती लोगों को जागरुक किया जाए शायद आपको विश्वास न हो लेकिन ओडिशा के क्योंजर जिले में एक अध्भूर क्यारिय हो रहा है यहां राधा कृष्ण संकिर्टन मंडली नाम की एक टोली है भक्ति के साथ साथ यह टोली आज परियावरन समरक्�
13:28प्रमिला प्रधान जी जंगल और परियावरन की रक्षा के लिए उन्होंने पारंपारी गीतों में नए बोल जोडे नए संदेश जोडे उनकी टोली गाउं गाउं गई गीतों के माद्यम से लोगों को समझाया कि जंगल में लगने वाली आग से कितना नुक्षान होता है
13:58इनमें आज भी समाज को दिशा देने की शक्ति हैं।
14:04मेरे पहरे देशवास्यों, भारत की संस्कृति का बहुत बड़ा आधार हमारे त्योहार और परंपराएं हैं।
14:11लेकिन हमारी संस्कृति की जिवनतता का एक और पक्ष है।
14:16यह पक्षे है अपने वरतमान और अपने इतिहास को डॉक्मेंट करते रहना हमारी असली ताकत वो ग्यान है जिसे सद्यों से पांडु लिपियां मैन्स्क्रिप्स के रूप में सहे ज़र गया है इन पांडु लिपियां में विज्भियान है
14:34चिकित्सा की पध्धतिया हैं, संगीत है, दर्शन है और सबसे बड़ी बात वो सोच है जो मानोता के भविश को उजवल बना सकती है
14:47साथियों ऐसे असाधर न्यान को इस विरासत को सहजना हम सब पी जिम्मेदारी हैं
14:56हमारे देश में हर कालखन में कुछ ऐसे लोग हुए हैं जिन्हों ने इसे अपनी साधना बना लिया
15:05ऐसे ही एक प्रेणा दायक व्यत्तित्व है मनी मारंजी जो तमिलनाडू के तंजावुर से हैं
15:16उन्हें लगा कि अगर आज की पीड़ी तमिल पांडूलिप्यों पढ़ना नहीं सिखेगी तो आने वाले समय में यह अनमोल धरोहर खो जाएगी
15:28इसलिए उन्होंने शाम को कख्षाएं शुरू की जहां छात्र, नौकरी पेशायुआ, डिसर्चर सब यहां करके सीखने लगे
15:40मनी मारंजी ने लोगों को सिखाया कि तमिल सूवडी यल यानी पांडूलिप्स मैनुस्क्रिप्स को पढ़ने और समझने की विदी क्या होती है
15:54आज अनेकों प्रयासों से कई शात्र इस वीधा में पारंगत हो चुके हैं
16:03कुछ स्टूडन्स ने तो इन पांडूलिप्यों के आधार पर ट्रेडिशनल मेडिसिन सिस्टिम पर रिसर्च भी शुड़ू कर दी है
16:10साथियों सोचिए अगर ऐसा प्रयास देश भर में हो तो हमारा पुरातन ज्ञान केवल दिवारों में बन नहीं रहेगा
16:22वो नई पीडी की चेतना का हिस्सा बन जाएगा इसी सोच से प्रेरित होकर भारत सरकार ने इस वर्ष के बजेट में एक एतियासिक पहल की गोशना किये हैं
16:35गिनान भारतम मिशन इस मिशन के तहट प्राचिन पंडूली प्यों को डिजिटाइज किया जाएगा फिर एक नेशनल डिजिटल रिपोजिटरी बनाई जाएगी जहां दुनिया भर के विद्ध्यारती शोट करता भारत की गिनान परंपरा से जूड सकेंगे
16:56मेरा भी आप सबसे आग रहे हैं अगर आप किसी ऐसे प्रयास से जुड़े हैं या जुड़ना चाहते हैं तो माई गौव या संस्कृति मंत्राले से जरूर संपर कीजिएगा
17:09क्योंकि यह केवल पांडू लिप्या नहीं है यह भारत की आत्मा के वो द्याये हैं जिने हमें आने वाली पीडियों को पढ़ाना है
17:20मेरे पहरे देश पास क्यों अगर आप से पूछा जाएं कि आपके आसपास कितनी तरह के पक्षी है चिडिया है तो आप क्या कहेंगे
17:32शायद यही कि मुझे तो रोज पांच-छे पक्षी दिखी जाते हैं या चिडिया दिखी जाती हैं कुछ जानी पहचानी होती है
17:45कोई अंजानी लेकिन यह जानना बहुत दिल्चस्प होता है कि हमारे आसपास पक्षियों की कौन-कौन सी प्रजात क्या रहती है
17:57हाली में एक ऐसा ही शांदार प्रयास हुआ है जगह है असमका काजिरंगा नेशनल पार्क
18:07वैसे तो यह इलाका अपने राइनोच गेंडों के लिए मश्यूर है लेकिन इस बार चर्चा का विशे बना है
18:16यहां के गहास के मैदान और उनमें रहने वाली चीडिया
18:22यहां पहली बार ग्रास लेंड बड़ सेंसस हुआ है आप जानकर खुश होंगे इस सेंसस की वजह से
18:32पक्षियों की 40 से जादा प्रजातियों की पहचान हुई है इनमें कई दुल्ल पक्षि सामिल है आप सोच रहे होंगे इतने
18:43पक्षी कैसे पहचान में आए इसमें टेक्नोलोजी ने कमाल किया सेंसर्स करने वाली टीम ने आवाज रिकॉर्ड करने वाले यंत्रा लगाए फिर कंप्यूटर से उन आवाजों का विश्टेशन किया
18:59AI का उप्योग किया सिर्फ आवाजों से ही पक्षियों की पहचान हो गई वो भी बिना उन्हें डिस्ट अप किये सोचिए टेक्नोलोजी और सम्वेदन सिल्ता जब एक साथ आते हैं तो प्रकृती को समझना कितना आसान और गहरा हो जाता है
19:22हमें ऐसे प्रयासों को बढ़ावा देना चाहिए ताकि हम अपनी जैव विविद्धा को पहचान सके और अगली पिड़ी को भी इसे जोड सके
19:35मेरे पहरे देश वाच्यों कभी कभी सबसे बड़ा उजाला वहीं से फुटता है जहां अंधेरे ने सबसे जादा डेरा जमाया हो
19:47ऐसा ही एक उधारण है जारखंड के गुमला जिले का एक समय था जब ये इलाका माववादी हिंसा के लिए जाना जाता था
20:00बाचिया ब्लॉक के गाउं विरान हो रहते लोग डर के साये में जीते थे रोजगार के कोई संभावना नजर नहीं आती थी
20:12जमीने खाली पड़ी थी और नवजवान पलायन कर रहे थे लेकिन फिर बढ़लाव की एक बहुती शान्त और धैरिये से भरी हुई शुरुवात हुई
20:27ओम प्रकाश शाहुजी नाम के एक युवक ने हिंसा का रात्ता छोड़ दिया उन्होंने मचली पानन शुरू किया फिर अपने जैसे कई साथ्यों को भी इसके लिए प्रेरित किया उनके इस प्रयास का असर भी हुआ जो पहले बंदुक थामे हुए थे अब मचली पकड�
20:57धमकिया मिली लेकिन होसला नहीं तूटा जब प्रधान मंत्री मत से संपदा योजन आई तो उन्हें नई ताकत मिली सरकार से ट्रेनिंग मिली तालाब बनाने में मदद मिली और देखते देखते गुमला में मत से क्रांति का सुत्रपाद हो गया
21:17आज बाश्या ब्लॉक के 150 से ज़्यादा परिवार मचली पालन से जूड़ चुके हैं कई तो ऐसे लोग हैं जो कभी नकसली संगधन में थे
21:30अब वे गाउं में ही सम्मान से जीवन जी रहें और दूसरों को रोजगार दे रहें
21:39गुमला की यहात्रा हमें सिखाती है अगर रास्ता सही हो और मन में भरोसा हो
21:48तो सबसे कठीन परिस्तित्यों में भी विकास का दीब चल सकता है
21:55मेरे पहरे देश वास्यों कुछ लोगों को कभी कभी कोई काम नामुम्किन सा लगता है
22:02लगता है क्या ये भी हो पाएगा लेकिन जब देश एक सोच पर एक साथ आ जाए
22:12तो और संबहों भी संबह हो जाता है स्वच्च भारत मिशन इसका सबसे बड़ा उदान है
22:19जल्द ही इस मिशन को ग्यारा साल पूरे होंगे लेकिन इसकी ताकत और इसकी जरुरत आज भी बैसी ही है
22:30इन ग्याना वर्सों में स्वच्च भारत मिशन एक जन आंदोलन बना है
22:37लोग इसे अपना फर्ज मानते हैं और यही तो असली जन भागी जारी है
22:45साथियों हर साल होने वाले स्वच्च सर्वेक्षन ने इस भावना को और बढ़ाया है
22:53इस साल देश के 4500 से ज़्यादा शहर और कस्बे इस से जुड़े
23:01पंदरा करोड से अधिक लोगों ने इसमे भाग लिया
23:06यह कोई सामान्य संख्या नहीं है
23:09यह स्वच्च भारत की आवाज है
23:13साथियों स्वच्चता को लेकर हमारे शहर और कस्बे
23:18अपनी जरुतों और माहुल के हिसाब से अलग-अलग तरीकों से काम कर रहे है
23:24और इनका असर सिर्फ इन सहरों तक नहीं है
23:28पुरा देश इन तरीकों को अपना रहा है
23:33उत्राखंड में किर्तिनगर के लोग पहड़ों में बेस्ट मेनेजमेंट की नई मिसाल कायम कर रहे है
23:41ऐसे ही मैंगलूरू में टेकनोलोजी से और गिनिक बेस्ट मेनेजमेंट का काम हो रहा है
23:48और रुनाचल में एक छोटा सा सार रोइंग है
23:53एक समय था जब यहां लोगों के स्वास्त के सामने बेस्ट मेनेजमेंट बहुत बड़ बड़ा चलेंग था
24:02यहां के लोगों ने इसकी जिम्मेदारी ली ग्रीन रोइंग इनिशेटिव शुरू हुआ
24:08और फिर रीसाइकल बेस्ट से एक पूरा पार्क बना दिया गया
24:14ऐसे ही कराड में विजयवाडा में वाटर मेनेजमेंट के कई नए उदाहार बने हैं
24:25अमदाबाद में रीवर फ्रंट पर सफाई ने भी सबका ध्यान की चाहे
24:31साथियों भोपाल की एक कीम का नाम है सकारात्मक सोच इसमें 200 मैलाएं हैं
24:40इसरिफ सफाई नहीं करती सोच भी बदलती है एक साथ मिलकर सहर के 17 पार्कों की सफाई करना
24:49कपड़े की थेले बाटना इनका हर कदम एक संदेश है
24:54ऐसे प्रयासों की वज़े से ही भोपाल भी अब स्वच्च सर्वेक्षन में काफी आगे आगया है
25:03लखनव की गोमती नदी टीम का जिक्र भी जरूरी है
25:08दस साथ से हर रविवार बिना थके बिना रुके इस टीम के लोग स्वच्चता के काम में जुटे हैं
25:1836 गड के बिलहा का उधारन भी शांदार है यहां महलाओं को वेस्ट मैनेजमेंट की ट्रेनिंग दी गई
25:26और उन्होंने मिलकर शहर की तस्वीर बदल डाली
25:29गोवा के पणजी शहर का उधारन भी प्रेरख है
25:33वहां कचर्य को 16 केटेगरी में बाटा जाता है और इसका नेत्रुत्व भी महलाएं कर रही है
25:43पणजी को तो राष्ट्रपती पुरसकार भी मिला है
25:47साथियो स्वच्चता सिर्फ एक वक्त का एक दिन का काम नहीं है
25:54जब हम साल में हर दिन हर पल स्वच्चता को प्रात्पिकता देंगे
26:00तभी देश स्वच्च रह पाएगा
26:05साथियों सावन की फुहारों के बीश देश एक पर फीर त्योहारों के रोनक से सजने जा रहा है
26:15आज हरियाली तीज है पिर नाग बंच्मी और रक्षा बंदन पिर जन्मास्मी हमारे नठखट काना के जन्मका उत्सव
26:25यह सभी पर्व यहां हमारी भावनाओं से जुड़े हैं यह हमें प्रकृती से जुड़ा और संतुलन का भी संदेश देते हैं
26:37आप सभी को इन पावन पर्वों की धेर थारी शुब कामना है

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