कांग्रेस नेता हरिश रावत ने स्कूलों के सिलेबस में भगवद गीता और रामायण को शामिल किए जाने को लेकर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि गीता कर्मयोग की शिक्षा देती है, जो हमेशा प्रासंगिक है। लेकिन साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि यदि यह काम सिर्फ एक धर्म विशेष को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया जा रहा है, तो यह शिक्षा प्रणाली के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
00:00भगवत गीता और रामायन का पाट शुरू किया है, इसमें पहल की गई है कि जो सुबव की प्राथना होती है, इसमें इस लोकों के माध्यम से मागदर्शन देंगे और चुनिंदा इस लोकों को बोर्ड पर परदर्शित किया जाए रहा है, इस पर आपकी क्या विचार हैं स
00:30कि प्लीरी के लिए जो प्रे रख हो सकती हैं, उनको पाट करमों में डालने और पढ़ाने में कोई हरद नहीं है, मगर ये एक तरफा नहीं होना चाहिए, ऐसा नहीं लगना चाहिए कि हम एक ही तरफ चल रहे हैं, इसमें जो दूसरे ग्रंथू में भी कोई अच्छी बाते
01:00काम के दी भगवा करण के एजिंदे को आगे बढ़ाने के दुस्ति स्विम से किये जा रहे हैं, तो उसका दुस्प्रभाव हमारी सारी सिक्षा प्रणादी को पड़ेगा, क्योंकि जो नई सिक्षा नीती है, वो भगवा करण की प्रतीक बन गई है, उसके खत्रे देज के
01:30लोकों के माध्यम से मागदर्शन देंगे, और चुनिल्दा इस लोकों को बोर्ड पर परदर्शित किया जाए रहे है, इस पर आपकी क्या विचार है, सर इस पर आप क्या कहना सहेंगे, भगवाद गीता में कर्मयोग है, कर्मयोग की सिक्षा हमेशा उचित रहती है, और �
02:00कोई हरद नहीं है, मगर ये एक तरफा नहीं होना चाहिए, ऐसा नहीं लगना चाहिए, कि हम एक ही तरफ चल रहे हैं, इसमें जो दूसरे ग्रम्थू में भी कोई अच्छी बाते हैं, उनका भी समावीश किया जाना चाहिए.
02:18काम के दी भगवा करण के एजिंदे को आगे बढ़ाने के दुस्ति स्विम से किये जा रहे हैं, तो उसका दुस्प्रभाव हमारी सारी सिक्षा प्रणादी पोपड़ेगा, क्योंकि जो नहीं सिक्षा नीती है, वो भगवा करण की पतीक बन गई है, उसके खत्रे देज के
02:48कि आगे फूपबोश पूए नहीं सिक्षा नहीं सिक्षा फ्रणादी नहीं सिक्षा पार।
02:59उन्दी सिक्षा उसके टूमण है, तो उसका झाल देखती JIM oriented खlorish के य।