Kya jinn se bhi insaan ka rishta ho sakta hai? Ek ladki ke saath hua aisa raaz jise sunkar aapka dil kaanp uthega. Dekhiye is roohani aur emotional kahani ko. --------------------------------------------------------------------------- Your Queries: -------------------- jinn story jinn ka bacha jinn aur ladki islamic kahani emotional story bina shaadi maa jinn hindi story moral kahani mystery kahani 10 saal ka ladka jinn love story horror kahani roohani kahani jinn se rishta islamic short story Moral islamic story hindi Kya Jinn Se Bhi Rishta Ho Sakta Hai Ek Ladki Ki Rooh Ka Kaamp Uthane Wali Islamic Moral Kahani The True Moral _1
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00:00एक अकेली लड़की ने एक 10 साल के लड़के को अपने घर में पनाह दी, उसका नाम अली रखा, उसे बातें करती थी, उसे अपना दोस्त बनाया था, लेकिन एक दिन उस लड़के ने उसके साथ कुछ ऐसा किया कि कुछ महीनों बाद लड़की के पेट में एक बच्चा पलन
00:30लेकिन रहस से मई गाउं की है, जहां हर पर चाई एक राज अच्छे पाई रखती थी, शहर की चका चौन्ध या जिन्दगी की भाग दोड यहां नहीं थी, पहाणों की गोद में बसा ये गाउं, हरियाली से ढखा, प्राकृतिक शान्ती में डूबा था, गाउं के कोने में
01:00हर सुबह वश सूरज निकलने से पहले बाग में जाती, अपने कोमल हाथों से अंगूर तोड़ती, फिर बाजार में बेच आती, नूर के बारे में गाउं में एक ही बात मशहूर थी, वह अंगूरों वाली लड़की है, हमेशा अकेली रहती है, लेकिन उसके अंगूर बह
01:30जैसे कोई गहरी बात उसके मन में दबी हो, अचानक उसकी नजर एक दस साल के लड़के पर पड़ी, वह आम लड़कों जैसा नहीं था, ना शैतान ना शोर शराबा करने वाला, खामोशी से बैठा नूर को देख रहा था, उसकी आँखों में अजीब मासूमित थी, नूर
02:00बलकि एक उदासी छुपी थी, नूर उसे देखकर थोड़ी नरम पड़ गई, पास जाने के साथ ही उसकी हिम्मत कम होने लगी, लड़का कोई हरकत नहीं कर रहा था, बस आँखें जुका ली, कुछ देर खामोश रहने के बाद नूर धीरे से बोली, ठीक है लेकिन नुकस
02:30किसी मुसकान फैल गई, उसने हाथों में कुछ अंगूर लिये और धीरे से उसके पास रख दिये, लड़का खामोशी से अंगूर लेकर खाने लगा, दिन गुजरते गए, रोज नूर बाग में आती, काम करती और लड़का वहां रहता, वह शैतानी नहीं करता, बलकि मद
03:00लड़का सब सुनता, आँखों से जवाब देता, कभी सिर हिलाता, कभी आह भरता, नूर उसके साथ सुकून महसूस करने लगी, कुछ हफतों बाद एक दिन बारिश शुरू हो गई, नूर दोड़कर अपनी जोपड़ी की तरफ जा रही थी, अचानक पीछे मुड़कर द
03:30लड़के ने खामोशी से उसकी बात मान ली, अब नूर की जोपड़ी में अकेला पन नहीं था, लड़का उसके साथ रहता, कोने में बैठा रहता, रात को नूर की कहानिया सुनता, वह उसे अली कहकर बुलाती, अली, खाने आजाओ, खाना तयार है, अली, चलो बाजार अ
04:00ने बिस्तर पर लेटी थी, बाहर ठंडी हवा चल रही थी, अंदर मिटी का दिया जल रहा था, अली कोने में बैठा, उसे देख रहा था, उसकी आँखें नम थी, जैसे कोई रहस से छिपा हो, नूर बढ़बढ़ाई, तुम मेरे साथ रहोगे, है ना, हमेशा, अली ने सि
04:30तूटा तूटा लग रहा था, उसके चेहरे पर थकान, होंटों पर मुस्कान कम हो गई थी, पहले उसने सोचा, ये आम थकान है, लेकिन बुखार, सर्दी और कमजोरी ने उसे बिस्तर पर डाल दिया, अली हमेशा उसके पास रहता, कभी उसके माथे पर गीला कपड़ा र
05:00अवाज में बोली, अली अगर तुम ना होते तो मैं मर जाती, अली ने उसका हाथ पकड़ा, जैसे कुछ कहना चाहता हो, या शायद कुछ छुपाना चाहता हो, कुछ दिनों बाद नूर की तबियत बेहतर हुई, वह फिर से घर साफ करने, बाग में जाने, और अली से लं�
05:30नूर जल्दी से सो गई, और उस रात उसकी नींद गहरी थी, रात के आखरी पहर में बाहर खामोशी थी, हवा थम गई थी, दिये की लौ मध्धम हो गई थी, नूर गहरी नींद में थी, शायद सपने में या ऐसी हकीकत में जिसके बारे में उसे कोई इल्म नहीं था, अल
06:00रहा था, जैसे उसने लंबा सफर तय किया हो, उसने कुछ महसूस किया, लेकिन उसे एहमियत नहीं दी, उसका दिल फिर भी शान था, अली उसके पास था, वह अकेली नहीं थी, महीने गुजर गए, वकख्त खामोशी से चल रहा था, जैसे गहरे राजलिये हो, नूर के शर
06:30चार महीने गुजर चुके हैं, नूर के कानों में जैसे बिजली गिरी, क्या कहा, हकीम नरम आवाज में बोले, हाँ बेटी, तुम हामिला हो, हकी बकी नूर बोली, लेकिन मैं तो कभी किसी के पास नहीं गई, किसी को छुआ भी नहीं, हकीम खामोशी से देखकर बोले, कभ
07:00बच्चा किसका है, उसने सब पर शक किया, फिर नजर अली पर पड़ी, वह उसके सामने बैठा था, खामोश, मासूम आँखों से देख रहा था, लेकिन पहली बार नूर की आँखों में शक जागा, क्या तुम उसकी आँखों से आंसु जरे, अली ने सिर जुकाया, नूर
07:30हर रात, हर दिन, लेकिन नूर ने दर्वाजा नहीं खोला, नूर बाहर जाती, अंगूर तोड़ती, बाजार में बेचती, लेकिन अंदर ही अंदर वह तूट चुकी थी, गाम वालों की नजरें बदल गई थी, कोई सवाल करता, कोई हंसता, कोई खामोशी से तमाशा दे�
08:00वह चीख उठी, निकल जाओ, तुमने मुझे तबाह कर दिया, अली पीछे हटा, आंगन में बैठा रहा, नूर ने उस पर पानी उच्छाला, लकडी से मारा, यहां तक कि उसे घर से निकाल दिया, लेकिन अगले दिन अली फिर वापस आ गया, हर दिन वह दर्वाजे पर �
08:30बताओगी तो तुम्हें गाव से निकाल दिया जाएगा, नूर खामोश रही, कुछ ओड़तें उससे मिलने आती थी, कोई दया की नजर से, कोई क्यूरोसिटी से, एक ने कहा, अगर तुम किसी मर्द का नाम बता देती, तो कम से कम बच्चा जायस होता, नूर की आँखों
09:00गई थी, वह नूर की तरफ देखता, जैसे कहना चाहता हो, मुझे माफ कर दो, नूर की आँखों में भी दर्द था, लेकिन वह समझ नहीं पा रही थी, कि क्या वह एक बच्चे से प्यार कर रही थी, या यह धोका था, वकखत चल रहा था, नूर की उम्मीदें कमजोर हो �
09:30कह रही थी, नूर एक नई दुनिया में दाखिल हो चुकी थी, जहां चारों तरफ बस सवाल थे, जवाब नहीं, बस जख्म थे, मरहम नहीं, बस परच्चाई थी, रोशनी नहीं, अली हर दिन दर्वाजे पर आता, खामोश, तूटा हुआ, लेकिन नूर का दिल बंद हो �
10:00उस राद गाउं में एक अंजाने मौलवी आए, वह एक बूढ़े खामोश स्वभाव के इंसान थे, जिनके चेहरे पर इल्म की छाप थी, उन्होंने नूर की जोपड़ी के सामने आकर कहा, बेटी, मुझे कुछ कहना है, जो तुम्हारी किसमत बदल सकता है, नूर हैरान ह
10:30सोचा था, यह सिर्फ एक जानवर हैं, लेकिन वह एक जिन quadratic बच्चा था, जिननने उसे शाप दिया थांचे अदृश्य जिनन बना दिया थांधियो जिसे कोई देख या बात नहीं कर सकता था, लेकिन उसके एक अच्छे क्ाम के लिए जिननने उसे एक मौखा दिया था, �
11:00नूर के दिल में तूफान उड़ गया, तो उस राद जो हुआ था, वह शाप तोड़ने का तरीका था, मौलवी ने हां में सिर हिलाया, वह अपराद ही नहीं था, मजबूर था, शायद उसके दिल में महबत भी पैदा हो गई थी, इसलिए वह रोज वापस आता था, नूर न
11:30धर और दिल में जगह दी थी, मैं इनसान हूँ, तुम्हारी सच्चाई और स्पर्श ने मुझे शाप से आजाद किया है, मैं दस साल का नहीं, मैं पचीस साल का हूँ, मैंने एक बिल्ली को मारा था, जानता नहीं था कि वह जिन्न का बच्चा है, मैंने माफी मांगी थी, �
12:00मैं जानता हूँ, मैंने तुम्हें तकलीफ दी है, लेकिन जान बूच कर नहीं, मैं बस जिन्दा रहना चाहता था, तुम अकेली इनसान हो जिसने मुझे बच्चा समझ कर भी महबत दी है, अब मैं इनसान हूँ, तुम्हे खोना नहीं चाहता, अगले दिन सुबह चंदर�
12:30नूर को अपराधी समझा लेकिन वह किसी की किस्मत की रोशनी बनी है। औरतें शर्मिंदा हुई, मर्दों ने आँखें जुका ली। नूर ने सब को देखकर कहा। तुमने मुझ पर जुल्म किया। लेकिन मैं किसी से हिसाब नहीं चाहती। क्योंकि मेरी महबत लोट आई ह
13:00प्रिहाई दी है, मैं तुम्हें जिंदगी दूँगा। नूर की आँखों में आँसू थे, लेकिन उन में अब दर्द नहीं, खुश ही छुपी थी। कुछ महीनों बाद नूर ने एक खुबसूरत बच्चे को जन्म दिया। गाउं में पहली बार एक कुवारी मां के ब�
13:30चमक रही थी। नूर और जाहिद अपने बच्चे के साथ बैठे थे। जाहिद धीरे से बोला, तुमने मुझे अकेले पन और शाप से आजात किया है, अब हम हमेशा साथ रहेंगे।