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Vat Purnima 2025: सुहागिन महिलाओं के लिए वट पूर्णिमा के व्रत का खास महत्व है। इस दिन पूजा-पाठ करने से उतना ही फल मिलता है, जितना वट सावित्री व्रत वाले दिन की गई आराधना से मिलता है। चलिए जानते हैं वट पूर्णिमा व्रत में बिना बरगद पेड़ के कैसे करें पूजा



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~PR.115~HT.118~HT.336~
Transcript
00:00हिंदु धर्म में वट सावित्री वरत को नारी, शक्ती, प्रेम और त्याक का प्रतीक माना जाता है
00:06इस पर्व पर सभी महिलाएं प्रती की लंबी उम्र और अच्छी सेहत के लिए निर्जला वरत रखती है
00:11इसके अलावा वट सावित्री पर वट वरक्ष यानि बर्गत के पेड़ की पूजा का भी विधान है
00:17मानेता है कि वट वरक्ष में ब्रह्मा, विश्नु और महेश का वास होता है
00:21इसलिए पीर की उपासना करने से महिलाओं को सभी देवताओं का अशिरवाद मिलता है
00:25इस वरत को साल में दो बार रखा जाता है जिसमें पहला जेस्ट मावस्या और दूसरा जेस्ट माह की पूर्णेमा तेथी पर रखा जाता है
00:32इस साल 26 माई 2025 को वर्ट सावित्री के वरत को रखा जा चुका है इसके बाद अब बट पूर्णेमा वरत किया जाएगा
00:38पंचान के मताबिक इस बार जेस्ट पूर्णेमा ती थी कि शुरुआत 10 जून को सुबह 11 बचकर 35 मिनट पर होगी
00:44इसका समापन 11 जून को दोपहरे एक बचकर 13 मिनट पर है ऐसे में बट पूर्णेमा का वरत 10 जून को रखा जा रहा है
00:50इस वरान जहां पती की लंबी उम्र और विवाहिक जीवन सुखमाई के लिए वरत रखने का विदाने वही इस दिन लोग बरगत के पेड़ की पूजा करते हैं
00:58ऐसे में सवाल ये आता है कि अगर बरगत का पेड़ ना हो तो कैसे पूजा करें
01:02अगर आपके आसपास वट वरक्ष नहीं है तो वरत से एक दिन पहले आप किसी ऐसी जगह पर जाकर वट वरक्ष की थोड़ी सी मिट्टी घर ले आएं
01:09इस मिट्टी को एक साफ जगह पर रखकर उसके उपर सावित्री सत्यावान और यमराज की छोटी मूर्तियां ये चितर स्थापित करें
01:17उसी जगह को पूजा इस्थल मानते हुए पूरे श्रद्धा भाव से पूजा करें
01:21मिट्टी का ये प्रतिकात्मक रूप वर्ट वरक्ष की उपस्तिती के सामान ही माना जाता है
01:26जब भावना सच्ची हो तो प्रतीक भी पूजनिये बन जाता है
01:29इसके लावा अगर आपको पूरा पेड़ नहीं मिल रहा
01:31लेकिन कहीं से वट वरक्ष की कोई फला युक्त टहनी मिल सकती है
01:35तो वो भी एक अच्छा उप्षन है
01:37उस डाली को किसी गमले में मिट्टी में रोब दें
01:39और वरत की दिन उसे ही वट वरक्ष का प्रतीक मान कर पूजा कर ले
01:43ऐसे में आप पूजा के सारे परंपरिक कर्म उसी डाली के चारो और कर सकती है
01:49जैसा की धागा बांधना, कथा सुनना, परिकर्मा करना आदि
01:52अगर ना वट वरक्ष मिल पाए ना उसकी डाली और ना ही मिट्टी उपलब्ध हो तो एक और अच्छा विकल्प है तुलसी का पौधा
02:00तुलसी हिंदुधर में बेहद पूजनिय माने जाती है और घर में ही अवेलेबल भी होती है
02:05ऐसी कंडिशन में आप तुलसी के पास बैठकर श्रद्धा और विधी के साथ वरत की पूजा कर सकती है
02:10वहाँ पर आप वरत की कथा सुने वरत की भावना को आत्मसाथ करें और मन से संकल पलें इस रूप में भी वरत पूर्ण हो जाता है
02:18इसके लावा ये सब बंजना जरूरी है कि किसी भी पूजा में जगह या सामगरी की ज्यादा एम्पोर्टन्स नहीं होती
02:24आपकी श्रद्धा और भावना यदि आप सच्चे मन से आस्था के साथ वरत करती हैं तो वट वरक्ष की शारिरिक आनुपस्ति थी आपके पूर्णे या फल में कोई कमी नहीं लाती
02:34सावित्री ने अपने संकल पर निष्ठा से यमराज तक को चुका दिया था उसी भावना से अगर आप ब्रत करें तो परिणाम भी उतने ही अच्छे होंगे
02:41फिलाल इस वीडियो में तो नहीं अगर आपको ये जानकारी पसंद आई हो तो इसे लाइक करें शेयर करें और चैनल को सब्सक्राइब करना बिल्कुल न भूलें

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