01:36ये मनजर देकर शेर का गुसा आसमान को शू जाता है और वो फाहत को बुरी तरह मारता है ये बात जब निदा को मलूम होती है तो वो शेर से कहती है कि फजर कोई ममूली लड़की नहीं और आपके दिल में इसके लिए कुछ जजबाद जरूर है तब ही आपने इसके लिए �
02:06करता है कि रिष्टे तोड़ना बहुत आसान होते हैं लेकिन मैं रिष्टा तोड़कर खुद को दुबारा जोड़ नहीं पाऊंगा और ये जुम्रा एक गहरी दर्दबरी हकीकत को जाहर करता है दूसरे जाने फजर का बाप करता है कि जब कोई मुझ से सलाम करता है तो म�
02:36दूसरे को दूर दूर से देखते हैं आखों में कहीं सवाल दिलों में शुपी हुई दास्तान और माहौल में एक अजीब सी खामोशी शुपाई होती है इसी लम्हे में दोनों की आखों में एक दूसरे के लिए वो जजबात नजर आ रहे हैं जिने अलफास में बयान करना
03:06दर्मान होने वाले टूटे फूटे को भी बहुत खूपसरत से दिखा जा रहा है हर किर्दार अपने दर्द अपनी मजबूरी और अपने अंदर की जजबात से लड़ रहा है और यहीं इस कहानी को आम ड्रामे से मुनफरत करती है I tell some poetry शेर के जखमों में एक शुपी हु�
03:36लेकिन शेर का सबर जिसे कोई पहाड हो जो अब भी ठर चुका है निदा ने जब कहा फजर आम नहीं शाय तब इसने शेर की दिल को वो गहराई दे दी जो किसी को मलूम नहीं साज से फेल रही हैं धोके हर तरफ लेकिन कुछ रिष्टे हैं जो बनें दर्द के हरफ हैं शे
04:06कहती है रोकती है शेर और फजर की दूर से वो आखिर नजर जैसे दो तकदीर हैं जिने वक्त ने एक पल को बराबर कर दिखाया है ये दास्तान है खामोशी की जजबात की उन कहे लबजों की ये किसा एक ऐसी मोबत का जो शुपिवी नफरतों का सहारा है ये ड्रामा नही