"A thought-provoking mockumentary, crafted and portrayed as a short film to reflect society's hidden truths." "GHOOR" is not just a short film — it’s a mirror to our society. A bold and intense portrayal of what every woman silently faces every single day — from streets to public transport, from offices to campuses. This film questions the unseen violence inflicted by lustful gazes, and how 'staring' too is a form of harassment. Through six disturbing yet relatable scenes, this film unearths those harsh realities which we often ignore. It asks one simple question — will your gaze protect or destroy? If this film can bring even a slight change in one man’s perspective, our mission is accomplished.
Movie : GHOOR Released on : 16 MAY 2025 Language : MULTI Director : HARSH GOGI Producers : HK MEHRA / PARVEEN KUMAR Music : SURAJ KASHYYAP Post-Production : STUDIO FEEDFRONT Artists: VANDANA SANDHU ASHA GUPTA AMIT AKB SARWAN HANS BALWINDER RANA PARAMJIT MEHRA MAAHI VERMA AMANJOT JASVIR JASSI NIRMAL RAJPOOT VIVEK LAU LEKH RAJ KIRAN KAY
🎵 Music Licensed From: https://pixabay.com/ 🎼 Track Title(s): motivational-inspiring-speech-background & beats-spiritual-knowledge-cinematic-movie 🎛️ Licensed Under: Digital License (Downloaded & Verified) 📜 Special Thanks to all the composers and creators whose stock music added life and emotion to this film.
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🎥 Directed by: Harsh Gogi 🎬 Presented by: Solo Knacks Cineverse, Studio Feedfront & Rafi Sai Films
01:22और अगर इस फिल्म को देखने के बाद एक भी मर्द का नजरिया बदल जाए
01:27तो समझ लेना कि यह फिल्म बनाने का हमारा मकसद पूरा हो गया
01:34बहुत से ऐसे सच है जो आज भी कई लड़कियों के सीने में
02:04दफन है जमाने बदले संसाधन बदले पहिरावे बदले रहन सहन बदला लोग बदले लेकिन नहीं बदली
02:15वो हवस से भरी लड़की को कपड़ों के अंदर तक स्कैन कर देने वाली
02:22बेशरम बेगैरत गंदी घूर
02:34समाज में लड़की को घूर ने उसे अपनी हवस का शिकार बनाने की कहानी तब से ही शुरू हो जाती है
02:41जब से उसने अभी जवानी में पाफ तक नहीं रखा होता है
02:45लगाम अभी को वालब होता है
03:15ना उम्र देखी जाती है ना हालत
03:22बस देखी जाती है उसकी मासूमियत
03:25और उसी मासूमियत को
03:26अपनी गंदी नजरों से नोचने का इंतजार करते हैं
03:31ये दरिंदे
03:45सिम्रम बेटा कांशा जल्दी आरा ना
03:56आहां, रोज की तरह
04:15हर सुबह जब वो घर से निकलती है
04:27एक नई जंग लड़ने निकलती है
04:30ये जंग उसके कदमों से नहीं
04:33उन आखों से होती है
04:35जो हर लमहा उसके शरीर को चीरती है
04:40कपड़ों के पार झांकती है
04:43और उसे नंगा महसूस कराती है
05:13क्योंके अज़दास
05:43अगने करे से अजय चांगर हो दो यह कैसा साही आढ़ कोसु कार
05:54शार श Mic
06:03нет
06:13बन दर्वाजे छोटी सी जगा और वहां भी चैन नहीं
06:31खामोशी में उसकी सांसें तेज हो जाती हैं
06:35क्योंकि साथ में खड़ा है वो जो आखों से ही कपड़े उतार रहा है
06:41शब्द नहीं कहे जाते पर नजरे चुपती हैं बेहत अंदर तक
07:11है यहां हर नजर
07:16यहां हर नजर
07:26यहां हर नजर एक एक स्रे बन चुकी है, जैसे पल-पल उसकी शरीर को स्कैन किया जा रहा हूँ, खड़े तो सब है, चुपचाप पर आखें बोल रही है, बेहूदगी की भाशा में
07:56आखें बोल रही है
08:26बोल रही है, बोल की भाशा में
08:57कर दो
09:03एक
09:04कर दूनिया कर दूनिया कर दोनी कर दोन ने प्रशेद सिंगरों कि जौने कर दो दोनी का लुए कि जोड़ों कि दो स्वार्रा ने मोई तो जब थे जोनी आए, गलना ने स्वार्ण।
09:31इस बेबसी का एहसास सिर्फ आटो रिक्षा में सफर करने पर ही नहीं होता
09:44पब्लिक ट्रांसपोर्ट कोई भी हो
09:46टैक्सी, रेल या बस
09:49मर्दों की बेशर्म, घूरती हुई
09:52आखी, बस में ना चाहते हुए भी
09:55उनका बेहूदगी से भरा हुआ
09:57टच, इसी वेबसी और शर्मिंदवी का एहसास दिलाता है
10:02किसे सिर्फ वही समझ सकती है
10:04जो अस लम्हे को जीती है
10:27किसे सकती है
10:46बस में ना चाहते हुए भी उनका बेहूदगी से भरा हुआ टच, इसी बेबसी और शर्मिंदगी का एहसास दिलाता है
11:11तुसे सिर्फ वही समझ सकते हैं जो स्लम्ही को जीती है
11:16जरूरी नहीं हर जगह तुम बेबस और मजबूर हो
11:23कुछ हाथ उठते हैं तुम्हारी आबरू को, तुम्हारी मर्यादा को
11:29मजबूरी के हाथों तार तार होने से बचाने को
11:34हम जाएडा जैनल है
11:39मां जे चाहिदा आया हम अक कि अर्म के सकते हैं
11:41मौनिंग्ट ना मिटना देपेंची मेरे बदे तेरी बोल अरटे
11:44मौनिंग्ट बर्ड़ी नेए ज़ादी जादी मेनुखाम आज पूरा क्लियर चाहिदा है
12:00मैंनो भी उपर पोड़ दिनी पेंदिये या, तो जी समीदे क्योंनी अस गाल हो?
12:03सिंगरान काफ मेली टेंचेंची बेठी है, अपना काम कारे इना तरो इजा ही कामा?
12:08याय मेराज काम करने बिल्को जी नी कारदा गया, मीनो समीद नी अंदी, एक यह दो बदन लगी
12:14जाए, सारी ने काफ सुनों मेरी आके
12:25मंची सारी
12:28जी सार, की गालाज जी है?
12:31बाकी नी आए?
12:32बास सार आंगे होने
12:34ओके
12:35तुसी हुली सारी है, सायट ते निकल दो
12:38जी सार, जहां के काम देखके
12:40जनू उस्सी टाइमन पोड़ देनी है
12:42एक जा की नाजए
12:50But, do not get it in?
12:54कॉमारी कि वहनए सार
12:56कॉमारी कॉमारी कॉमारी करत दो
12:58कि जिदा थने हुआ है
12:59कि भान थो
13:00काम में रहां करे FIR हो
13:01जो रहां काम बाससी…!
13:03द पार तर्क मेर कम कराना राट से
13:05जो रहे है है जैँ
13:06काम में आण fire
13:07अभर के बेट आ रहा डिखाए तरो में कान्लाश में अगां अगर आफ सब आखाम पुए आखाए गॉलाश्य पार अगर टोगाए अधिक जब गदोगी कार दो वोले टिए अगरोक जब गोगान कि लिट गर्लाश यहाओ ओगे ऐगाँ तव यहाँ ओगाँ
13:15चाम हो एकाम हो और खीके काम क्जा करते हैं
13:18ने साथु आर देट का जा हुआ हुआ है
13:22कमी और फ्लत्रम केंехक था।
13:25वाफ भीर मतबू ये जित जिंद ही आए
13:31खरीत वंक कॉसे तुपर
13:41थे चाहिए
13:43वीडिया है defend
13:44मी नहीं को किते हैं पुर्टाती च्छिर अधिर्टा में तेप सकते हैं किता है ते हुआ जल्सक्राइब की कल नहीं एक होगे अग्या तो हम खाती है
14:03कुछ नजरें सिर्फ देखती नहीं, ढाल भी बनती है, कुछ आवाजें सिर्फ बोलती नहीं, तुम्हारे लिए दुनिया से लड़ भी जाती है
14:33इनलती है।
15:03ना कोषन दी साहदन साधेना है।
15:05अपाया जी ऑशन गला थो है ऐला दोडाहिना।
15:08उसलिदि की आ किसमा जी साथ करना सिना।
15:11किसिए माग को ऍताक।
15:17कि मैं को जैसे मुकत है नेक्समा करती में Україउ
15:21अब � 순 utilization करना झाबी किता यहा जो आठना जो निया जोतおおत इंड여
15:30लेकिन अगर कहीं उसके लिए रक्षक है
15:58तो वहीं उसका शिकार करने के लिए भक्षक भी है
16:03नजरों के खंजरों से उसके अस्तित्व को चलनी कर देने को
16:09दफ्तरों में कुछ और भी होता है देखिये
16:28क्यूब गजब देखिया के सरे दोप्रेट्टों में उसके लेकि एधाने के प्राइब एक्षक नच्यारेगे खरोरी आडि लेखिया के लिएजा से आदोगे टेसे उएजाए लाइब उसके लिए रभाइब आवावचे लिएष्टेर यशाय रहाईश में लिएएश्वाम
16:58काम पर आई है लेकिन यहां भी जज्मेंट की अदालत चल रही है
17:02उसकी मेहनत से ज्यादा उसकी गर्दन का जुकाव देखा जा रहा है
17:07वो कुछ कहे भी तो कैसे क्योंकि आखों की ये कोट कोई सुनवाई नहीं करते
17:28उसकी गर्दन का जुकाव देखा जा रहा है
17:58कैंटीन में भी कोई ना कोई ऐसा जरूर होता है
18:10जो तुम्हारे अकेले होने का फाइदा उठाना चाहता है
18:14वो जूनियर भी हो सकता है
18:17या सीनियर भी हवस की नजर में न उहदा देखा जाता है
18:22न रिष्टा बस देखा जाता है
18:26एक मोका
18:28एक मोका
18:29एक मोका
18:30तुम्हाओ
18:54सक्सक्राइब पीस
18:55सक्सक्राइब पीस
19:24पार्क सब के लिए होता है लेकिन लड़कियों के लिए नहीं लगता हर नजर पीछा करती है जैसे वो वहाँ चलने की हगदार नहीं क्या सडकों पार्कों और हवा पर भी मर्दों का अधिकार है
19:54हम पार्कों ग데ो हाँ मेरिया मा की च elastic आर नहीं
20:12स्वालाच के लिए झारक이지 इलाच मेशिए
20:17तंर हुआısı
20:21क्या सडकों, पारकों और हवा पर भी मर्दों का अधिकार है
20:40कई दफा ये घूर इतनी हवस से भरी होती है
20:48मानो अभी यहीं पर ही ये नजरों से ही उसे चू रही हो
20:56और वहीं से कपड़े फाड रही हो
21:10कि अधर कर भ्ला रही हो
21:22तरो कि अधर कर दो कर भाड रही हो
21:29कि अधिक है कि अधर ये अधर ये व्यों का रही हो
21:40ते लो रे डप आप आप आप आप एकी
22:10सिमरन बेटा कुछ खाओगे
22:15नहीं मुझे कुछ नहीं चाहिए
22:19ने कमरे में जा रही हूँ
22:21आईना सामने है
22:29पर जो देख रही है
22:30वो दो रूप है
22:32एक कपड़ों में और एक
22:34बिना कपड़ों के
22:36फर्क सिर्फ उसके पहनावे का नहीं
22:39फर्क है देखने वाली नजर का
22:42क्या औरत को
22:45कभी इस घूर से आजादी नहीं मिलेगी
22:48कभी ये मर्द
22:50छोटी बच्ची के सामने
22:51नंगा होता रहा
22:53और कभी अपनी गंदी घूर से
23:00औरत को नंगा करता रहा
23:02मुझे तो अब अपना आप भी
23:04नंगा नजर आने लगा है
23:06कपड़े तो महज एक बहाना है
23:09जब तक इन मर्दों की घूर
23:11कपड़े नहीं पहनेगी
23:13हम औरते इनके आगे
23:15नंगी ही नजर आएंगी
23:17कि मेरा की किसूर से गया जो इंसान मेरे जामने नंगा हो के मिन तो घूंदा से
23:36की कसूर से मेरा
23:39एही कसूर से की मैं को और तौ इस कसूर से अगर के मिन नंगा हो के तो घूंदा से
23:47तुम्हारी नजर किसी और के लिए डर बन सकती है
24:02सोचो, समझो, नजरें बदलो
24:17जड़की हूँ कोई चीज नहीं, इंसान हूँ मैना चीज नहीं