Kaviguru Rabindranath Tagore is also known as Gurudev. He was awarded the Nobel Prize for Literature in 1913 for composing the world-famous epic Geetanjali. He is the only Indian to have won the Nobel Prize in the field of literature.
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00:00रवंद्रना टैगोर भारतिय सहत्य कला और दर्शन के एक ऐसे अद्भुत व्यक्तित्तु थे जिन्होंने न केवल भारत बलकी पूरी दुनिया को अपनी रचनाओं से प्रभावत किया
00:10बहु मुखी प्रतिभा की धनी रवंद्रना टैगोर एक प्रसिद्ध कवी उपान्यासकार नाटक कार दार्शनिक संगीत कार चत्रकार और समात सुधारक थे उन्हें गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है
00:23सभी जानते हैं कि भारत के रश्टगान जनगर मन की रशना टैगोर जी नहीं की थी लेकिन वो दो देशों के रश्टगान के रचईता है
00:31सहती के लिए टैगोर को नोबल पुरसकार भी मिला
00:35मैं उनके जीवन से जुड़ी कई ऐसी बाते हैं जो जादातर लोग को नहीं पता है
00:39अब सवाल योड़ता है कि आखर एस बार रविंद्रना टैगोर की जैनती कब मनाई जाएगी
00:45आपको बता दें कि मई मह में टैगोर की जैनती मनाई जाएगी
00:50आपको बता दें कि 7 मई 1861 में कोलकाता के जोड़ा शाको ठाकूर बाडी में उनका जन्म हुआ
00:58पश्रिम बंगाल और भारत के अने हिस्सों में उनकी जयनती को बंगाली कैलेंडर के नुसार पोचीशे बोईशाक के रूप में मनाय जाता है
01:06वहीं उनके पिता का नाम देवींद्र नार टैगोर था उनकी मा शारदा देवी थी वो चौधा भाई बहनों में सबसे छोटे थे
01:14वहीं टैगोर बचपन से ही पढ़ाई में काफी होनहार थे उन्होंने प्रतेश्टित सेंट जेवियर स्कूल से अपनी शुरुवाती पढ़ाई पूरी की उनका सपना बैरिस्टर बनने का था
01:24जिसे पूरा करने के लिए टैगोर ने 1878 में एंग्लैंड के बिज्ट्स्टोन पब्लिक स्कूल में दाखला लिया
01:31लंडन कॉलेज विश्विद्याला से कानून की पढ़ाई की लेकिन 1880 में बिना डिग्री लिये ही भारत वापस आ गये
01:38बच्पन से ही उन्हें कविताया और कहानिया लिखने का बड़ा ही शौक था जब वो महज आज साल के थे तब उन्होंने अपनी पहली कविता लिखी थी
01:45वही 16 साल के उम्र में टैगोर की पहली लगू कथा प्रकाशत हुई जब वो पढ़ाई करके भारत वापस आये तो उन्होंने फिर से लिखना शुरू किया
01:54मही टैगोर ने 1901 में पश्यम बंगाल के ग्रामीन शेत्र में शांती निकेतन स्थतिक प्रायोगिक विद्याले की स्थापना की
02:01इस विद्याले में पारंपरिक और अंधुनिक सिक्षा का समन्वे किया गया
02:061921 में ये विद्याले विश्व भारती विश्व विद्याले बन गया
02:10अब बात करते हैं उनकी प्रमुक रचनाओं की
02:13तो उनके प्रमुक कावि संग्रह में गीतांजली, सोनारतोरी, बानसी, बाला का शामिल है