00:00कनी से फल देरं मौस पिरू
00:04राइका
00:05राइका
00:06राइका, बात तो सुन्ये
00:08नहीं
00:09नहीं सुणने मुझे आपकी बात
00:12राइका, दर्वाजा खोलिए
00:14मैं आपको एक बात बताती हूँ
00:19अच्छझ मुझे बताईए
00:20क्ये नराज होने वाली क्या बात है
00:22नराज होने वाली बात? यानि मुझे? अजीबा न सारी जिबाई में नहीं बुलाया
00:27ये कोई मामूली सी बात है? इस पर मुझे नराज भी नहीं होना चाहिए
00:31हर श्यक्स की गुञ्जाइश नहीं होते कि सब को बुलाए
00:34अगर दो अफराद को बुलाया है तो बस दो अफराद को ही जाना चाहिए
00:38एक को बुलाया है तो एक ही को जाना चाहिए
00:41बगए दावत के हर किस नहीं जाना चाहिए
00:44आप भी मना करते थी कि जब राईका को नहीं बुलाया तो मैं भी नहीं आओंगी
00:49लेकिन छोटी बहन, छोटी बहन का तो कोई खयाल ही नहीं है
00:53भला छोटी बहन किसी गिंती में आती है
00:56उफ़ो राईका, किसी मुसल्मान के दावत को कैसे मना किया जा सकता है
01:01एक हदीस का मफ़ूम है कि
01:14अच्छा फिर ये बताये कि
01:21दावत कबूल करने से पहले देख लीजिये
01:31गिबत और चोली वगारा के लिए दावत नहीं दी गई हो
01:34और वहाँ गाने, बाजे या बेपरदगी का माहौल नहों
01:38लेकिन आपको मना कर देना चाहिए था
01:40राईका आपकी छोटी बहन है
01:42राईका को नहीं बुलाया
01:44यानि साल्गिरा की जान
01:46राईका को यह दावत नहीं दी गई
01:48मैं मना नहीं कर सकती थी
01:50अल्लाह के नभी सुललाहू अलेहिवा अलेहिवा सलम ने फरमाया
01:54जिसने दावत कुबूल न की
01:56उसने अल्लाह पाक और अल्लाह के रसूल सुललाहू अलेहिवा अलेहिवा सलम की नाफरमानी की
02:02यानि बिला वज़द दावत में जाने से इंकार ना करें
02:06एक मुसल्मान को चाहिए दूसरे मुसल्मान की दावत कुबूल करे
02:10अब मजीद इस पर कोई बात नहीं होगी
02:15आज तो मेरी सहेलिया आ रही है
02:17कणिस पादमा आभी और राईका अभी तक नहीं आई
02:20राईका को मैंने नहीं बुलाया
02:22वो क्यों?
02:23वो ये समझती है कि वो सालगिरा की जान है
02:26और कोई सालगिरा उनके बगर हो ही नहीं सकती
02:29नहीं अरीबा आपने गलत किया
02:31आपको ऐसा नहीं करना चाहिए था
02:34अल्ला के नभी सलला उली वाली वाली सल्लम ने रिशात फरमाया
02:38तुमारा खाना नेक लोख है
02:40और दूसरी बात आपने कणिस पादमा आभी को बुलाया
02:44और राईका को नहीं बुलाया
02:46तो ये तो और भी बुरी बात हो गई
02:48राईका क्या सोचेंगी?
02:50तो हम सबकी अच्छी सहली है
02:52आप ठीक कह रही है
02:54मुझे बुलाना चाहिए था
02:56खएर मैं देखती हूँ
02:58कणिस पादमा आभी भी अभी तक नहीं आई
03:00वैसे वक्त की बहुत पाबंध है
03:02पहली बार लेट हो रही हूँ
03:04वक्त की पाबंधी लाज़मी होनी चाहिए
03:15आपने होमग कर लिया?
03:17जी हाँ
03:18आपने अपने अल्मादी में कपड़े तै करके रख दिये?
03:21जी हाँ, मैंने कपड़े भी तै करके रख दिये है
03:24अच्छा?
03:25कल स्कूल जाने के लिए बैग भी सैट कर दिया?
03:28जी हाँ, बिल्कुल करे का
03:30मैंने कल स्कूल जाने के लिए बैग भी तै यार कर लिया है
03:34कपड़े भी कर करिया
03:36खलाइए
03:40लीजिये,हूलाम रसूल भाई,ा गए
03:43हूलाम रसूल भाई?
03:44हिलन है परीबा के घाँर छूड कर आ जाए
03:46आजें? चलें आजें
03:54अच्छा ख़ैर ये तो बताये
03:57के हम केक के उपर मुम बत्ती क्यों लगाते हैं?
04:00क्योंके मुम बत्तियां केक के नीचे रखना मुष्किल है
04:03क्या आपको मालूम है?
04:05के मैं आपके लिए क्या गिफलाई हूँ?
04:08आपको पिंक कलाय का डॉल हाऊस पसंद है न?
04:11वाओ! यानि आप मेरे लिए डॉल हाऊस लाईए?
04:15नहीं! वैं तो पिंक कलाय का पेंसल बॉक्स लाईए हूँ.
04:25अस्सलामू अलेकुम वरह्मतू लाही वबरकातू
04:28वरह्मतू लाही वबरकातू
04:32आईए आईए आपका ही इंतिजार हो रहा था
04:35अच्छा गुलाम रसूल भाई अल्ला हाफ़ेज
04:37आट बजे लेने आज़ाईएगा
04:42गुलाम रसूल भाई मुझे आरीबा के घट छोड़कर आजाएँ
04:46मैं अभी तो कनीस फात्मा आपी को छोड़कर आया हूँ
04:49आप उसी वक कह देती मैं आपको उनी के साथ छोड़ा था
04:52वो असल मैं आपी गिफ्ट भूल गईए
04:55चले अच्छा आजाईए
04:56आप राइको को भी बुला लीजिये
04:58उसके बगाए कैसे मजाएगा
05:00वो तो आने के लिए पहले ही बेकरार थी
05:04अच्छा ये बताये के
05:06क्या आप दावत में शिर्कत के अदाब जानती हैं
05:09क्या दावत में शिर्कत के अदाब भी होते हैं
05:12जी हाँ
05:13हमें बताये के वो क्या अदाब है
05:16किसी मुनासिब जगा बैठना चाहिए
05:18दूसरों के जगा पर नहीं बैठना चाहिए
05:21जिस तरफ से खाना लाया जा रहा हो
05:24उस जाने बार-बार ना देखिये
05:26कि ये मुनासिब बात नहीं
05:28जहाँ बैठें देखिये
05:30कि आसपास और लोग भी बैठें हैं
05:32तो इन्हें सलाम करें
05:34उनके खैरियत मालूम करें
05:36खाने में जो कुछ पेश किया जाए
05:39खुश दिली से खाना चाहिए
05:41खाने में एब नहीं निकालने चाहिए
05:45अल्ला हाफिज भाईजान
05:47अल्ला हाफिज
05:48अस्सलाम वालेकुम वरह्मतु लाहि वबरकातु
05:51अच्छा हुआ रैका आप आगईं
05:53रैका के बगएर मज़ा भी तो नहीं आता
05:56वालेकुम उस्सलाम वरह्मतु लाहि वबरकातु
05:59रैका आप अच्छा हुआ आप आगईं
06:02अभी मैं आपको बुलाने का सोच ही रही थी
06:04मैं समझी कि आप मुझे बुलाना ही भूल गई
06:07हदीश शरीफ में बिना बुलाय दावत में जाने से मना किया गया है
06:12वैसे मैं गिफ़्ट देना आई थी आपी को
06:14आपी भूल गई थी
06:16भूल गई थी या आपी को भुला दिया था
06:19आपी आप सब सहलियों के सामने शर्मेन दाना करें
06:22वैसे भी अरीबा ने आप दावत भी दे दी है
06:26हूँ
06:27हूँ
06:28हूँ
06:29अल्लाह से दूआ है कि अल्लाह पाक आपको
06:32सेहत और तंद्रूस्ति और एमान के साथ
06:35लंभी जिन्दगी आता फर्माएं
06:37आमीं