मोची से दोस्ती (आज की कहानी)

  • 4 months ago
रमन हर रोज ही उस रास्ते से गुजरता था. वो वर्षो से सड़क के एक किनारे में श्रवण नाम के एक मोची को अपनी दुकान चलाते देखता था. श्रवण हर दिन ही पूरी तन्मयता से अपनी छोटी सी दुकान में बैठा लोगों के जूते और चप्पलें मरम्मत कर रहा होता था.

रमन कई बार शाम को दफ्तर से घर आते हुए श्रवण के पास बैठ जाता था और बातें करता था. कभी कभी वो श्रवण की मंगवाई हुई चाय भी पी लेता था और कभी खुद भी दोनों के लिए कुछ ना कुछ खाने पीने को मंगवा लेता था..................

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