वृंदावन में भगवान के भजन केलिए आने वाली विधवा माताएं जीवन यापन के लिए भिक्षा वृत्ति पर आधारित है, जिसके चलते वे सड़कों पर भीख मांगती दिखती है।लेकिन कई साल पहले वृंदावन की इन्ही विधवा माताओं की दुर्दशा की कहानी जब मीडिया की हेडलाइन बनी तो सुप्रीम कोर्ट ने इन माताओं के जीवन और उसके बाद होने बाली दुर्दशा का संज्ञान लिया जिसके बाद फिर कई सामाजिक संस्थाओं ने इनकी जिम्मेदारी उठानी शुरू की , इन्हीं में एक संस्था है सुलभ इंटरनेशनल जिसने हजारों विधवा माताओं की बेरंग जिंदगी को फिर से रंगीन करने की कोशिश, और उन्हें समाज की बंदिशों को तोड़कर सारे सपने साकार करने का मौका दिया , जोकि अब समाज में रहकर हर तीज त्योहार को खुशियों के साथ मनाती है और हस्ती है गाती है, जीवन की खुशियां उनके पास है इसी लिए अब ये वृंदावन के गोपीनाथ मंदिर में संस्था के सहयोग से होली के उत्सव को धूमधाम के साथ मनाती है । जिसमें फूलों के साथ गुलाल की होली खेली जाती और यही विधवा माता अपनी जिंदगी के दुखो को भूलकर होली में खुलकर रंग और फूलो से होली खेलती है । सुलभ इंटरनेशन के संस्थापक विंदेस्वरी पाठक बताया कि हमने इनके जीवन में होली के रंग ही नही जिंदगी रंगीन करने का भी काम किया है । वहीं आज संस्था के साथ जुड़ने के बाद माताओं के चहेरे की मुस्कान ही अलग दिखाई देने लगी है वे कहती है कि जबसे बाबा मिले है तबसे उनके जीवन को पंख लगे है, वरना उससे पहले तो वो जीवन को सिर्फ जीती थी,
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