Skip to playerSkip to main content
  • 3 years ago
मथुरा को ,यूं ही तीन लोक से न्यारी नहीं कहते,वाकई इसमें दुनिया से कुछ अलग है, समूचे भारत में होली फाल्गुन पूर्णिमा के दिन दहन होती है तब कही लोग चैत्र कृष्ण पक्ष प्रतिप्रदा यानि धूल के दिन होली खेलते है, किंतु बृज यानि मथुरा में होली बसंत पंचमी से शुरू होकर चैत्र कृष्णपक्ष पंचमी तक होती है मतलब पूरे एक महीने रंगो में सारोबार, अब आपको बृज के एक नए उत्सव से रूबरू कराते है,जिसे सुन आप भी हैरत में पड़ जाएंगे, वैसे लोगो के बीच एक कहावत है कि होली दीवाली एक साथ नही होती, किंतु बृज में एक आयोजन से होली में दीपावली का अहसास करा दिया। मौका था

: गोदा हरदेव दिव्यदेश मंदिर में चल रहे ब्रह्मोत्सव आयोजन का,जिसमें भगवान गोदा हरदेव घोड़े पर बैठ नगर भ्रमण को निकले। शोभायात्रा जैसे ही
ज्ञानगुदरी पर पहुंची, तभी वहां बड़े पैमाने पर आतिशबाजी हुई,जिसका लुत्फ श्रद्धालुओ ने उठाया। यानी होली पर उन्हे दीपावली कीआतिशबाजी की अनुभूति हुई,जिसका आनंद लेने के लिए ज्ञानगुदड़ी क्षेत्र में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी।...

भगवान गोदा हरदेव घोड़े पर सवार हुए, जिन्हे बहुमूल्य रेशमी जरी की पोशाक पहनाई गई, ठाकुरजी मे धनुष बाण धारण कर अपनी अद्भुत छवि के दर्शनश्रद्धालुओं को दिए, इससे पूर्व निज मंदिर में ठाकुरजी का सुगंधित जल द्रव्य से तिरुमंजन किया गया।
ठाकुरजी की सवारी जैसे ही विश्रामस्थल ज्ञानगुदरी पहुंची।
सवारी फिर मंदिर परिसर पहुंची, तो भील लूटन लीला हुई।
इसी लीला के तहत भील लूटन लीला का आयोजन मंदिर में हुआ। मल्टी न्यूज के लिए वृंदावन। से राहुल ठाकुर की रिपोर्ट

Category

🗞
News
Be the first to comment
Add your comment

Recommended