बलरामपुर गांव में एक स्कूल था। वहां पर जोहन नाम का एक बच्चा पांचवी कक्षा में पढ़ता था। वह स्वभाव से तो बहुत नेक और हमेशा दूसरों की मदद करने वाला लड़का था परंतु बहुत ज्यादा मोटा होने के कारण अन्य बच्चे उसे पसंद नहीं करते थे और उसका बहुत ज्यादा मजाक बनाते थे। अरे सभी लोग अपनी सीट बचाओ मोटू आरा है। अगर यहां बैठा न तो सबकी सीटें टूट जाएंगी। अरे भाई क्यों मजाक बना रहे हो बेचारे का इतना बढ़िया गड्ढा है नीचे बिछाएं और बैठ जाओ। यह सुनकर सभी बच्चे कहते हैं यह सही है यह सही बात है और रोहन को अपनी तरफ खिंची लगती है और कुछ बच्चे उसे जमीन पर उस पर बैठ जाते हैं। रोहन को बहुत बुरा लगता है मगर वह चाहकर भी कुछ नहीं कर पाता। सारा दिन बहुत उदास रहता। आखिर मुझे भगवान जी ने ऐसा क्यों बनाया। न मेरा कोई दोस्त है और न ही कोई मेरे साथ खेलना चाहता है। वह घर आता तो और उदास हो जाता क्योंकि वह अपने माता पिता की इकलौती संतान था। कोई भी दोस्त न होने की कमी उसको बहुत खलती। हालांकि मां और पिताजी उसे बहुत प्यार करते थे और जितना हो सके उसके साथ समय बिताते जो हैं। चलो बताओ कैसा रहा आज का दिन। इसमें बताने जैसा क्या है आज सभी ने फिर से मेरा मजाक बनाया और मुझे परेशान किया। और यह कैसी कैसी रोहन बहुत तेज रोने लगता है अरी नहीं मेरे बच्चे ऐसे परेशान नहीं होते और बच्चों की मजाक बनाने से क्या मतलब। तुम्हें नहीं पता कि तुम मेरे लिए कितने प्यारे हो। यह कहकर मां उसे जोर से गले लगा लेती है।
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