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  • 5 years ago
एक दूसरे को फूटी आंख देखना पसंद नहीं करने वाले इसराइल और संयुक्त अरब अमीरात यानी यूएई ने आपसी संबंधों को बहाल करने लिए एक समझौता किया है। इस समझौते में कहा गया है कि इसराइल वेस्ट बैंक में अपने कब्ज़े वाले हिस्सों की विवादास्पद योजनाओं को निलंबित करेगा। लिहाजा, इस समझौते को अरब-इसरायल शांति की दिशा में बड़े कदम के तौर पर प्रचारित किया जा रहा है। इसके साथ ही संयुक्त अरब अमीरात अरब देशों में इसराइल के साथ संबंध बहाल करने वाला मिस्र और जॉर्डन के बाद तीसरा देश बन गया है। इस समझौते को जहां यूएई ने कूटनीति 'जीत' करार दिया है। वहीं इसराइल ने इसे दोनों देशों के लिए 'ऐतिहासिक दिन' बताया। लेकिन इस समझौते के साथ ही यूएई मुस्लिम दुनिया के निशाने पर आ गया है। सऊदी अरब के प्रभाव वाले मुस्लिम देशों को छोड़कर लगभग सभी ने तीखी प्रतिक्रिया दी।.......तुर्की ने इस समझौते को यूएई का 'ढोंगी व्यवहार' बताया है। तुर्की के विदेश मंत्रालय ने कहा कि इतिहास और क्षेत्र के लोगों की अंतरात्मा इसराइल के साथ समझौते पर संयुक्त अरब अमीरात के 'ढोंगी व्यवहार' को कभी नहीं भूल पाएगी, क्योंकि अपने हितों के लिए उसने यह फैसला लिया है। तुर्की की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि ये बेहद चिंताजनक है, क्योंकि यूएई को अरब लीग की ओर से तैयार किए गए 'अरब शांति योजना' के साथ चलना चाहिए था। उन्होंने कहा है कि इस तीन-तरफ़ा ऐलान को फ़लस्तीनी लोगों के लिए फ़ायदेमंद बताया जा रहा है, जो कि बिल्कुल भी विश्वास के लायक नहीं है।

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