" जीवन में दु:ख को देखकर टूट जाना चाहिये? दु:ख होता ही क्यों है ? सुख के साथी से ग्रसित होकर बुरा बनना चाहिए? पैसे से बड़ा स्वास्थ्य और स्वास्थ्य से बड़ा चरित्र , क्यों? धोखा और भरोसा। विवेकानंद ने क्यों हैं," अगर सरि दुनिया को ही अस्पताल बना लें तो भी संसार से बीमारी का अन्त संभव नहीं है।"
Be the first to comment