वैसे तो #भारत में #सरकारी उपक्रमों के #निजीकरण या #प्राइवेटाइजेशन को लेकर होने वाली बहस लंबे समय से चली आ रही है... और आज के वर्तमान दौर में बात की जा रही है कि सरकारी #कम्पनियों और उपक्रमों के 'डिस-इंसवेन्ट' या #विनिवेश को क्या निजीकरण ही क्यों न कहा जाए।