Skip to playerSkip to main contentSkip to footer
  • 3/9/2020
सर्द-गर्म का एहसास तो हर दिल को होता है, हर दिल में एक शायर बसता है...बस वो शायर होने से ड़रता है... शायरी महज़ लफ़्ज़ों का ताना-बाना नहीं, ये तो वो लम्हे हैं, जो हम हर घड़ी जीते हैं, बस! Express करने से डरते हैं, बल्कि हमारी हर मुमकीन कोशीश राज़दारी... पोशीदगी... बनाए रखने की होती है, उसे न पता चल जाए कहीं, फलां क्या कहेगा? सब-सारे लोक-लिहाज छोड़ के, अगर कोई हिम्मत जुटा के कुछ कह भी बैठे, फिर नई उलझन शुरू होती है, किसे सुनाएँ, सुनेगा कौन??? पसन्द नहीं आया तो??? किसी ने कुछ react ही नहीं किया तो??? वो अन्दर का शायर मरने लगता है, शायरी की अलख़ जगाए रखने को, वाह! वाह! बहुत लाज़मी है, "ASPIRING शायर 's " उसी नये-नवेले शायर को ज़िन्दा रखने की एक कोशीश है ।

Get your Aspiring Shayar's registration form-
https://drive.google.com/file/d/1BsCYNe2HXcDDIt3t02Ghui92nK8slv9m/view?usp=drivesdk

Then mail it to-
aspiringshayars@gmail.com

Recommended