शब्दयोग सत्संग, फ्री हर्ट्स कैंप १४ मई, २०१८ नैनीताल
“न कुछ पैदा होता है, और न ही कुछ नष्ट होता है।“ ~ अद्वैत बोधदीपिका
प्रसंग: “न कुछ पैदा होता है, और न ही कुछ नष्ट होता है।“ इस भावार्थ से क्या समझें? संतो, महर्षि इन सब के वचनो को कैसे समझें? दुःख क्या है? सत्य क्या है? क्या है जो नश्वर है?
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