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  • 6 years ago
झाबुआ. (पंकज मालवीय) देशभर में प्रसिद्ध झाबुआ जिले का गाय गोहरी पर्व सोमवार को धूमधाम से मनाया गया। जिला मुख्यालय से 12 किलोमीटर दूर ग्राम खरडू बड़ी में ग्रामीण अपनी गयों को सजाया और हिडी गीत गाते हुए गोवर्धन पूजा की। इस दौरान मन्नतधारी जमीन पर लेट गए और सजी-धजी गौमाता उनके ऊपर से गुजरीं। वर्षों पुरानी परंपरा का इस दीवाली पर भी ग्रामीणों ने निर्वहन किया। वहीं झाबुआ में शाम को ग्वालों गायों को लेकर आजाद चौक स्थित गोवर्धननाथजी की हवेली पर परिक्रमा करने पहुंचेंगे। परिक्रमा पथ पर रखे गोवर्धन पर्वत के अंश के पास मन्न्तधारी लेटेंगे और उनके ऊपर से सैकड़ों गाएं गुजरेंगी। 

 

4 से 5 बार दोहराया जाता है सिलसिला

मन्नत पूरी होने पर दिवाली के दूसरे दिन लोग अपनी गायों को सजाकर मंदिर पहुंचते हैं। यहां भगवान की पूजा के बाद गायों को पूजा जाता है। इसके बाद मन्नत लेने वाले लोग मैदान में पेट के बल लेट जाते हैं। इसके बाद गायों का झुण्ड उनकी पीठ पर चलता हुआ निकल जाता है। ये सिलसिला 4-5 बार दोहराया जाता है।

 

गाजे -बाजे के साथ लाते है मंदिर

गाय जौहरी पर्व के लिए लोगों ने पहले अपनी गाय का श्रृंगार कर किया और फिर चारा खिलाया। इसके बाद गांव के लोग इकट्ठे होकर गाजे बाजे के साथ मंदिर पहुंचे। गाय जौहरी को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हुए। इसे आप आस्था कहें या अंधविश्वास लेकिन सच्चाई ये है कि इस पर्व के दौरान मैदान पर लेटे हुए लोगों के ऊपर से कई गायें दौड़ती हुई निकल जाती है, लेकिन उन्हें कोई चोट नहीं लगती। यहां के आदिवासी समाज में ये मान्यता है कि गाय के पैरों के नीचे बैकुंठ होता है।

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