उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार अपने विकास के लाख दावे करती हो लेकिन वास्तविकता उनके दावों से परे है। आप सोच सकते है जिस सूबे के सीएम खुद को विकास पुरुष बताते हुए प्रतिदिन एक नया वीडियो अपलोड़ करते हो, जहां घर की लड़ाई के शोर में जनता की आवाज दब जाती हो, वहां कोई इंसान भूख से मर जाए तो उसकी आवाज भला कौन सुनेगा। जी हां हम सच कह रहे है कि इलाहाबाद के मऊआइमा में बोड़ीपुर धरौता गांव के 28 साल के धर्मेंद्र ने भूख से दम तोड़ दिया। आपको यकीन नहीं होता तो एक धर्मेंद्र की पत्नी की हालत भी देख लीजिए। अपनी उम्र से पहली बूढ़ी दिख रही धर्मेंद्र की पत्नी भी पिछले काफी समय से बीमार चल रही है। आपको बता दें कि धर्मेंद्र जाति से दलित और राज्य सरकार द्वारा गरीबों के लिए चलाई गई योजनाओं के तहत वे बीपीएल कार्ड के हकदार थे लेकिन प्रशासन की बेरुखी के चलते वो आज तक अपना बीपीएल कार्ड नहीं बना सके थे। आपको बता दें कि मुफलिसी और बीमारी के चलते धर्मेंद्र के दो बच्चे पहले ही गहरी नींद सो चुके है, अब धर्मेंद्र भी उनके पास चले गए। बीमारी की हालत में खाट में पड़ी धर्मेंद्र की पत्नी की आखों के आंसू तक सूखा चुके है। पहले बच्चों को खोने का गम अब पति ने भी भूख और मुफलिसी के आगे घुटने टेक दिए इसका साथ छोड़ दिया। धर्मेंद्र की पत्नी आज भी अपने खराब स्वास्थ्य से जूझ रही है, हड्डियां दिखने लगी है उम्र से पहले भुखमरी ने बूढ़ा बना दिया है। लेकिन आज घर के आंगन में लोग बैठे है, दिलासा दे रहे है, कोई पैसे से मदद कर रहा है, कोई इलाज का भरोसा है। लेकिन खुद को अकेला और असहाय पड़ी धर्मेंद्र की पत्नी के पास अब कुछ नहीं है..सिवाय पहाड़ जैसी जिंदगी और एक बीमार शरीर के...। प्रशासन अब हालात का जायता ले रहा है...मदद का भरोसा भी दे रहा है...लेकिन अब बहुत देर हो चुकी है। बहुत देर....इलाहाबाद से जागरण न्यूज नेटवर्क की रिपोर्ट।
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