सुखों की आँख से तो बाँचना आता नहीं हमको सुखों की साख से आंकना आता नहीं हमको चलें चलते रहें उमर भर हम पीर की राहें सुखों की लाज से तो ढाँपना आता नहीं हमको
निहारें दूर से गुजरें, गुजरते ही चले जाएं मगर अनबन उमर भर साथ चलने को उतारू है सभी दुख दूर से गुजरें...
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