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  • 9 years ago
घास सपनों सी, बेल अपनों सी
साँस के सूत में सात सुर गूंथकर
भैरवी में कभी साध केदारा
गूंगी घाटी में, सूने धारों पर
एक आसन बिछाया है मन
रेत में नहाया है मन

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