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  • 10 years ago
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LS चुनाव से पहले संजय सिंह को उत्तराखंड का प्रभारी बना कर भेजा गया,
संजय सिंह जी ने पार्टी के निस्वार्थ Volunteers को दरकिनार करके वहाँ के एक धनाड्य गलत छवी के व्यक्ति को पहले से मौजूद सन्गठन के उपर थोप दिया तो Volunteers ने सभा मे जा विरोध किया,
तथा उस थोपे हुए नेता द्वारा स्थानीय जनता के साथ दुर्व्यव्हार , लोगों की संपत्ति कबजाने और पार्टी के Volunteers के माता पिता को घर जा धमकाने के बारे अवगत करा वहाँ से निकल गए।

अब जब संजय सिंह द्वारा थोपे नेता का भांडा फूट गया तो उस नेता के भाडे के गुंडों ने संजय सिंह और साथ मे आशुतोष के साथ हाथापाई और बदतमीजी की।
अब पंजाब मे जब लोगों का झुकाव, रुझाव AAP की तरफ़ है क्यूंकि पंजाब की जनता अकाली दल और काँग्रस पार्टी के भ्रस्ट शासन से त्रस्त हो AAP मे एक स्वच्छ राजनीति का विकल्प देखती है
जहाँ एक तरफ़ दिल्ली से आये कुछ लोग AAP के सन्गठन को बूथ और मोहल्ला लेवल तक बनाने की कवायद कर रहे हैं जो वाकई मे लोक-तांत्रिक व्यवस्था के अनुरूप तर्क संगत लगता है,
वहीं दूसरी तरफ़ संजय सिंह इस व्यवस्था के बिलकुल उलट जा कर अपनी मर्जी से अकाली दल, काँग्रेस, BJP पार्टी की जुठन छुट-भैएया नेता, पैसे और रसूखदार, दबंग, वो लोग जिन्होने LS चुनाव के समय विरोधी पार्टियों मे रहते हुए AAP को हराने मे कोई कसर नही छोडी थी को ला Volunteers के उपर थोपा जा रहा है।
जिसका साथ पंजाब संयोजक छोटेपुर बखुबी दे रहे हैं।

आज अगर इन थोपे हुए नेताओं की मनमानी पर कोई प्रश्न उठाता है तो उन्हे पार्टी से बाहर करने की धमकी दे कर चुप करने कोशिश की जा रही है या बाहर किया जा रहा है।

तो क्या अब समय नही आ गया कि पंजाब के वो निस्वार्थ Volunteers जो AAP को व्यवस्था परिवर्तन का विकल्प मानते हैं, AAP से उन लोगों की आशायें, अपेक्षायें जो अब तक की राजनीति का शोषण से परेशान हो AAP को एक अच्छी और स्वच्छ राजनीति का विकल्प मान रहे हैं उनकी अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए उत्तराखंड के Volunteers की तरह पंजाब के Volunteers को एक जुट हो गलत का विरोध नहीं करना चाहिए?

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