In Veer Hanuman – Bolo Bajrang Bali Ki Jai, young Maruti embraces his divine strength, faces demons, and walks the path of devotion and bravery. Witness Hanuman’s journey from childhood mischief to becoming Lord Rama’s greatest devotee. A tale of power, purity, and purpose! 📿⚔️🔥
00:30सब्सक्तิ जिगे सरकत बुष purpose�ー जितना ही बल्क � followed क्यूं Varum
00:43अंसे बहुत दीने मेरा कुल में रशला है में इसके बहुले भन तर्यए तर को पाप मध समझें के की सि Hamburg था या रशली Guys
00:51आप तो परंपिता है, इस रिष्टी के रचेता, तेरे पुत्र को शमा कर दीजिए और नियमा नुसार, तुम्हें तुम्हारा पुत्र अवश्य में लेगा, किंतु, किंतु, सदा सदा के लिए, तुम से बिछडने के लिए, जाओ, जाकर मिल लो अपने पुत्र से, वो आ �
01:21अपनी माता को पुन है पाने किजिए, नहीं, ब्रह्मादेव, इसा मत कीजिए, इसा मत कीजिए, ब्रह्मादेव, इसा मत कीजिए, ब्रह्मादेव, इसा मत कीजिए, ब्रह्मादेव, इसा मत कीजिए, ब्रह्मादेव, इसा मत कीजिए, ब्रह्मादेव, ब्रह्मादेव, �
01:51अनुमान!
01:54अनुमान!
01:56अनुमान!
02:01अनुमान!
02:03बोटे रह!
02:09अनुमान!
02:21मारोधी!
02:29मारोधी!
02:34मारोधी!
02:36बढुमार!
02:45मारोधी!
02:47अद्भूत अंजना, अद्भूत, अन्तता तुम मेरे ब्रमजाल में फस ही गई, मेरी माया से रची हनुमान की छवी को तुम सत्य जुमान बैठी
03:12अद्भून, आपने गई कि मैं अनुमान के पास लाटूगी, तो मुझे लगा जैसे कोई वर्दात भी आपने, कि तो इस मिलन के साथ नदाखा मिरा भात कर आपने उसे अभी शाफ में बदल दिया है, मैं हैसा नहीं होने दूंगी परमपता, मेरे पुत्रे के साथ साथ, आ�
03:42पुत्रवियोग की पीडा में अपने प्राण देने चली है अंजना
03:52जाओ अंजना जाओ जाओ
04:00मिल जाओ हनुमान की छवी में
04:04कुच जाओ
04:06वैसे भी
04:08हुमारी मृत्यू के पश्चात तो हनुमान को तूटना ही है
04:15हनुमान ऐसे तूटेगा
04:19ऐसे तूटेगा की मृत्यू की फिक्षा मांगेगा
04:24और मेरे मार्क से
04:27सदा सदा के लिए हट जाएगा
04:31दूपज़
04:32हाथ का नाले कर धुमके वो बड़े बलवान
04:35हम भचते तुमको तुम भचते रहते राम
04:38हाथ का नाले कर धुमके वो बड़े बलवान
04:49हम भजते तुमको तुम भजते रहते राम
04:55अरे लाल लागोट में जड में हमारे वीर हनुमान
05:00मंगल दन में करने आए मंगल काम
05:06अरे लाल लागोट में जड में हमारे वीर हनुमान
05:11लाल लागोट में जड में हमारे वीर हनुमान
05:17आया विर हनुमान
05:47कौन है आप और क्यो रोका मुझे
06:03मुझे जाने दीजे अब रुत्यों मेरा मोक्ष है
06:08जोड़िये माता मेरी बात सुनिये
06:12धर्रेपूर्बग कृपयातर के एक बार मेरी बात सुन लीजी
06:15मेरे मार्क से हट जाहिए
06:17मुझे इस पीडा से मुक्ती चाहिए
06:19जदी मेरी बात सुनने के पश्चाद्वी आपको समझ में आए
06:22तो आप यहां से
06:24कुछ जाना
06:26मैं नहीं रोकोगा
06:28परन्तु पहले एक बार
06:30धर्रेपूर्बग मेरी बात सुनिये
06:32मुझे कुछ नहीं सुनने कुछ नहीं समझना है
06:34मैंने अपना पुत्र कोया है
06:36मुझे उसके बीछे जाना ही होगा
06:38मेरे पुत्र के बिना मेरे श्वास लेना तुमर है
06:40मुझे जाने दीजिए
06:42मुझे जाने दीजिए
06:44मुझे जाने दीजिए
06:46मुझे जाने दीजिए
06:48मुझे जाने दीजिए
06:50मुझे जाने दीजिए
06:52मुझे जाने दीजिए
06:54मुझे जाने दीजिए
06:56मुझे जाने दीजिए
06:58आपका वो पुत्र
07:00जिसे स्वयम
07:02जेव ने आशिरबाद दिया है, जो लपकतर कोटी योजन दूरे सूरे तक एक छलांग भर में पहुच जाता है, वो भला इस पहाड की चोटी से गिर कर मृट्ची को कैसे प्राप्त हो सकता है?
07:15हाँ माता, आपका पुत्र तो वो है, जिसे स्वयम अगनी जला नहीं सकती, जल दुबा नहीं सकता, जिसका शरीर बज्र की भांती अभेत्य है, यहां तक कि स्वयम यमराज भी उसके प्राण पर नहीं सकते, क्योंकि उसे स्वयम परम पिता प्रह्मा से अम्रत्म का वर्दान
07:45कैसे प्राप्त हो सकता है मता, मैं, मैं जानता हूँ आपके मारुती को, संसार को लिए हनुमान है, भाम तो मेरा तो, भारम पियमित्र है, क्योंकि यहां एक बचन तोटा है, क्योंकि यहां एक बचन टूटा है,
08:15जिसका मुल्य मेरे पुत्र को चुकाना होगा, उसे अपने प्राफ़ करें
08:19ये सत्य है माता, एक वचन तो टूटा है
08:22आपके पुत्र ने आपको पाने के लिए स्वयम ब्रह्मदेव को विवश कर दिया
08:30स्रिष्टी के नियोमों को बदलबा दिया
08:33जो अनुचित था, अब नियती के नियोमों में फेर बदल करने का मूल्य तो
08:40हनुमान को चुकाना ही होगा
08:43भले ही वो एक दिव्यवानर वालक है, बरदानों से युक्त है
08:50परन्तु अब, अब हनुमान को अपने जीवन के सबसे वड़े संघर्ष की यात्रा पर जाना होगा
08:57वो यात्रा, जो उसे उसके जीवन का आधार, उसका लक्ष, उसका उतेश्य दिखाएगी
09:08ये वो संघर्ष होगा माता, जो हनुमान के भविष्य को गती और मती दोनों प्रदान खरेगा
09:19और इस संघर्ष से उसे जो परम ज्ञान प्राब्द होगा, वो केवल हनुमान के लिए ही नहीं
09:26समस्त संसार के लिए शुबसिद्ध होगा
09:29परद्धू, संघर्ष की इस यात्रा में आपके पुत्र को बहुत अधिक समय लग जाएगा माता
09:39इतना अधिक समय की ये भी संभव है की आपका पुत्र आप से सदा सदा के लिए दूर हो जाए
09:49और संघर्ष की ये यात्रा रारंभ होगी सूरे लोग से
10:01सूरे लोग?
10:06हा माता
10:07जिसके संघर्ष की यात्रा परम कठिन हो उसे ज्ञान भी तो परम ही प्राप्त होना जाहिए
10:14इस कठिन संघर्ष यात्रा के पश्चात परम ज्ञान प्राप्त करने के लिए
10:20अनुमान को स्वयम सूरे देव के समक्षी जाना होगा
10:24तो अब अनुमान सूरे लोग जाएगा
10:38युबराज बाली को ये सूचना सीखर देने होगी
10:43युबराज बाली
10:50युबराज बाली
10:51मेरे आखेत में विग्न डालने कारण इतना बड़ा और इतना में तुम्हेत भून होना जाहिए
10:57कि तुम्हारे प्राण बक्ष्णू
11:12बोलो क्या सूच रहा है
11:15मारुति सुर्य को हाम समझ कर खाने निकला है
11:27मैंने रोका कि तुवो मेरे हर तर्को टालकर पावनिवेक से उड़ गया
11:33मैंने तुम्हारे जाने की भूल नहीं कर सकता
11:51नहीं, मैं यह होने नहीं दे सकती
11:54मारुति सूर्य देव की और जाने की भूल नहीं कर सकता
11:59पहले भी ऐसा हुआ है
12:02वो बात स्पर्ण करके मेरी आत्मा काम जाती है
12:05मारुति ने सूर्य देव की और चलांग लगाई
12:09अन जाने में भूल हुई
12:11तो बात उसके प्राणों पर आए
12:14अब भनुमान जान बूट
12:17नहीं
12:19मेरा पुत्रवाह नहीं जा सकता
12:21मैं से नहीं होने दे सकती
12:23मेरा पुत्रवाह पुना नहीं जाएगा
12:26जा उसके जीवन पर घात हुआ
12:28कदापी नहीं
12:29रुख जाएए माता देखिए
12:30आप उन्हें अपना धहरे खो रही है
12:32मेरी बात समझने का प्रेत्न कीजिये ना मा
12:35जहां उतेशे इतना बड़ा हो
12:38वहां मार्द में आने वाली बाधाएं भला छोटी कैसे हो सकती है
12:42जिस परम उतेशे के पूर्ती के लिए
12:44हनुमान ने जन्म लिया है
12:46उसके भविष्य के लिए
12:48हनुमान का इस सरवोच ग्यान को प्राप्त करना अनि बार्य है
12:52अर ये परम क्या उसे किवल सुर्य देव से ही प्राप्त हो सकता
12:56यान नहीं गात मेलेगा मेरे मारूती को
13:00उसे पुना अपने प्राहंड़ा उपर लगाने होंगे
13:04हम सुर्य देव पिछली बार एक पाला के हातों मेली हार को भूले नहीं होंगे
13:08पूले नहीं होंगे.
13:11इस बार वक्षामा नहीं करेंगे मेरे पुत्र को.
13:16मैं जान बुझ कर अपने पुत्र को मृत्त की और जाने नहीं दूंगी.
13:20यदि भाग्य में पिछडना लिखा है,
13:22तो इस विरहागाद दोख मैं अपने मारूती को नहीं सहने दूपगी.
13:26नियती का ये दंश मैंसा होंगी.
13:30मैं अपने प्राण का तुलगी.
13:32SM.
13:52ये कैसे माया है?
13:53कौन है आप आपर ये क्या खेल है?
14:02आपको सौंपा था
14:32ताकि आप उसे सहेज कर रख सके
14:34परन्तु आप तो स्वयम अपने ही दुख में डूप कर
14:38अपने प्राण त्यागने जा रही थी
14:41हनुमान को सदा सदा के लिए बिखेव में जा रही थी
14:45स्रिष्टी के कल्यान के लिए
14:48हम तरे देवों ने एक स्वांग रचा है
14:51जहां नारायन श्री राम अव्तार में
14:55संसार में धर्म और मर्यादा की स्थापना करेंगे
14:59और मेरा अंश हनुमान
15:03इस काज में श्री राम की सहायता करेंगा
15:08जिस वियोग की अगनी ने आपको इतना शोकसंतप्त कर दिया
15:13वो तो अगनी परीक्षा है
15:16वो अगनी परीक्षा जो हनुमान के जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है
15:21इसी वियोग की अगनी में तप कर
15:23हनुमान वो कुंदन बनेगा
15:26जो धर्म की आशा का श्रिंगार कर सके
15:29कितनी भी कठो है पंजाब
15:34गिन्तु हूँ तो मैं मा ही न
15:36अपने बुत्र को संकट में देखकर
15:40हर सत्य से में मूग हो गई थी
15:42पेरी इस बूल को क्षमा कर दीजे मादे
15:45क्षमा कर दीजे
15:46ये समय
15:48क्षमा मांगने का नहीं है दिवी अंजना
15:51अपितु हनुमान को उसके जीवन के उद्देशे से अवगत कराने का है
15:56हनुमान को उसके जीवन का उद्देश
15:59स्वयम खोजने दे
16:01आप हनुमान को हर कष्ट सहने दे
16:05हर परीक्षा को पार करने दे
16:08समय आने पर
16:11वो सभी सत्य स्वयम जान जाएगा
16:14पर अन्तु अभी उसे अपने मन को साथना शेश
16:18जो सर्वोच्च ज्यान की प्राप्ति के पश्चात ही संभव हो पाएगा
16:23इसलिए आप निश्चित होकर अपने कर्म करें
16:27क्योंकि धर्म का साथ और भाग्य का हाथ
16:32हनुमान के मन को भी उसके तन की भादी पज्रसमान बल्वान बना देगा
16:39माता मैं आगियो माता कहा है अब माता
16:58माता मैं आगियो अपके मारुथी आगियो माता
17:04मारुथी
17:28माता
17:40कर दो माता मादन आगियो माता
17:52पूलफर लाग्य कवंब माता
17:55माता
18:12वानुमा, प्रम्मदेव तक पू जुकादी, मारी प्रतिक्षा करने पी पुट्ण।
18:42पाता, चानती है, आपको पुना पाना ही मेरा उद्देश्य था, मैंने कितना स्मारन किया आपको, एक एक छान तर्जाओं मैं आपके लिए, आपकी छुनरी मेरा संबल बनी, आज आपको पाकर मेरा हर लक्षा उद्देश्य पुर्ण हो लिया
19:06संसार की हर माँ को तुम जैसा भाई मिले, जो हर संकत को टाल दे, तुम हो, तो किसी भी स्ट्री की आख हमें आसम नहीं आएंगे, तुम सब उत्रपा कर मैं क्या, संसार की हर माँ धन्य हो गई है
19:29जहाँ परविया के सर्या थोज लेराएगा, वहाँ धन्य है, स्वैम अपना मार खोच पाएगा, अतनी यात्रा कशुब आरंभ करो हन्मान
19:40आपको देखकर है कहा साइझ, कदाचित आप ही इस अधरन को रोग सकते हो, मच जाओ हमें ठोडकर
19:50कि किसी के परांद जाएख थुष्कता का प्तांदयो होता है wrapped together
19:59मच जाओ हमें जोड़कर पत्र
20:10मारुपी
20:40जासा कोई वर्दान नहीं है कि कोई उसे बंदी ना बना सके इसलिए मैं उसे यहां बंदी बनाऊंगा जब चारो और अंदकार होगा वहां उसके आशा की श्वास अपने आप तूट जाएगी ना उसके भीतर भी अंदकार पर दूँगा अनुमान कभी यहां से बाहर नहीं