Atal Jayanti के मौके पर मशहूर कवि Kumar Vishwas ने अपने चुटीले अंदाज़ से समां बांध दिया। मंच पर बैठे CM Yogi Adityanath और Rajnath Singh भी उनकी बातों पर ठहाके लगाते नजर आए। Kumar Vishwas की कविता और मज़ाकिया टिप्पणियों ने पूरे कार्यक्रम का माहौल हल्का और यादगार बना दिया। वीडियो में देखिए वो खास पल, जब एक लाइन पर पूरा सभागार हंसी से गूंज उठा। Atal Jayanti समारोह के ये दृश्य सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं। पूरा वीडियो देखें और जानें क्या कहा Kumar Vishwas ने।
00:00तो फिर मुझे लगता है कि महाराज जी का शाशन है सम्मान से बुला रहे हैं चले जाओ वन्ना सम्मान से भी बुला ही सकते है
00:05एक संत वो है जिन से सज्जन व्यक्ति मिलता है और मिलते ही मोक्ष को प्राप्त करता है
00:09मेरा स्वाब गिरा कि अठल जी की कृपा उनका स्ने मुझ पर भी रहा इस समारों मैं अपनी उपादेता समस्ता हूं मेरी उपादेता हर वार भजेश भाई तै करते हैं
00:272017 से वो मेरा इसी प्रकार से आर्थिक और भावात्मक शूशन जो कर रहे हैं उसके लिए मैं उनका आभारी हूँ
00:34एक आत बार तो मैंने प्रयास किया कि मैं आसे बच जाओं महराज जी
00:40मुझे लगा कहीं जहां दूसरी जगे ठीक ठाक सामान हो वहां जाओं
00:44तो उसमें फिर जब इनकी नहीं चलती तो ये महराज जी का नाम ले देते कि महराज जी आएंगे देख लीजिए आप
00:49तो फिर मुझे लगता है कि महराज जी का शाशन है सम्मान से बुला रहे हैं चले जाओ वहनना सम्मान से भी बुला ही सकते हैं
00:55कि हमारे मुख्यमंत्री जी पर इत्ती चर्चा होती है मैं पूरे बारत में जाता हूं इत्ती चर्चा होती है लोग कहते हैं वे तो संत हैं वे तो पीड़ा दिश्वर हैं और शाशन और हमारे यहां जो घटनाए होती हैं अपराद मुक्त जो प्रदेश हुआ तो मैंने लो�
01:25मुक्ष को प्राप्त करता है दोना प्रकार से साधन संपन है और आवश्यक भी है क्या करें देश ऐसी स्थिती में आ गया है पहले डॉक्टर्स आरेक्स लिखते थे वाई डी एक्स लिखने लगें क्या करेंगा ऐसे समय तो बहुत आवश्यक है आदेने रक्षा मंत्री जी �
01:55तो पार्टी के सभी लोग बैठे हुए आज यहां पर भहुदा पार्टी के ही लोग हैं तो दो प्रकार तीन प्रकार की पीडिया पार्टी में आ गए एक अटल जी की पीडी थी जिसमें आदर्णिय अडवानी जी जोशी जी वो एक पीडी थी फिर आदर्णिय रक्षा म
02:25मोधी जी की राजना जी की पीड़ी कहती है कि आपके घर पर कुड़ा फेके तो आप उससे ही साफ कराओ
02:30और मुख्यमंत्री जी की पीड़ी कहती है कि आपके घर पर कोई कुड़ा फेके तो आप कुड़े को भी साफ करो
02:37आप में से कुछ कम लोग समझें इस के लिम आपका आभारी हूँ
02:44समय की मर्यादा है सीमा है मैं केवल एक कविता सुनाऊंगा चुके आधरणी है
02:53मुख्यमंत्री जी को जाना है और बहुत व्यस्तता उनके बीच है समय है
02:58अटल जी जैसे लोग किसी देश में शताबदी में एक होते हैं
03:04जैसा राजना जी ने कहा आधरणी रक्षामंत्री जी ने कि पद बड़ा हो जाना महत्वपूर नहीं है
03:08जैसे कद बड़ा हो जाना महत्वपूर है और मैंने स्वयम देखा हम लोग बीए की पहली साल में पढ़ते थे
03:15हमारे यहां के एक शष्वी पत्रकार तेश्योकुमार गोयल जी आधरिने राजना जी उनसे परचित थे
03:21अठल जी उनके साथ बंदे मात्रम में संपादक थे वे सह संपादक रहे थे
03:25हमने एक कविसमेलन कराया एक कारिकम कराया स्रजन महोटसव और हमने उनसे कहा कि अठल जी को बुलवा दीजी
03:31अठल जी उस समय विपक्ष में थे उस बार चुनाव नहीं जीत पाये थे
03:33तो हमने बुलाने के लिए गए और वो आ गए और हम उस कार्कम को संपन करने के लिए कहीं से धन जोटा रहे थे
03:41तो नगर के एक उद्योक पती जो साड़ी का काम करते थे उस जमाने में हम उनसे 501 रुपया लेके आए
03:46तो पांसो एक जिसने दिया था उसने कहा कि मैं भाषन दूँंगा ये बड़ा संकट का काम था लेकिन अब वो
03:53पांसो एक दे रहा था तो भाषन दिलाना था तो आटल जी का प्रशंशक था वह खड़ा हुआ और उसने
03:58का मैंने का तुम जादा मत बोलना अंकल जी थोड़ देर बोलना बोले बस मैं दो लाइन पढ़ूँगा और उसने खड़े होके कहा कि आज अठल जी आए हैं बस मैं ये दो पंक्ति पढ़ना चाहता हूं कि शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस में ले अठल जी के लि
04:28तो वे कैसे हैं तो वह बड़ा कद होना कि आप किसी बात का बुरा ना मानो आप सदाशेता से लो लखनव वालो आपका सवभग्य है आपके संसदिक क्षेत्र का सवभग्य है कि यहां से अठल बिहारी वाजपई जैसे कीर्थी पुरुष ने संसद में शुभा बढ़ाई
04:58परिता सुना कर अपना स्थान लूँगा आप बहुत दूर से आएं हैं मैं क्या करूं घर जाओं तुम्हारे हैं अल्ला हद हो गई ऐसा ही बुलाने वाला ऐसे आने वाले
05:10इतने बड़े बड़े भाषण सुनता हूं आज बजट का बशण में सुनना था मुख्य मंतरी जी का बजट में यह हुआ बजट में यह हुआ
05:18मैं पूरा भाषन इस चक्कर में ही सुन गया
05:20कि इस मार बजट में हमने ब्रिजेश पाठक को पैसे दिये
05:22के कुमार इश्रास को दिया करो
05:24लाइन ही नहीं आई वह वाली
05:25बाकी सब आई एक लाइन नहीं आई
05:28उसके बाद मैंने बंद कर दिया
05:29मैंने का अब खतम है अब चलो अब जब मिलना ही नहीं है
05:3132-33 साल हो गए इसी क्रम को चलते हुए
05:34चात्र राजनीती से लेके आज तक
05:36ना मुझे मिला ना उसने दिया
05:38तो अब जितना मिल रहा है बेटा
05:40ये लाल लभाव में मिलना है
05:41जो भी मिलना है
05:42हाँ
05:43मैं एक कविता आपको सुना रहा हूँ
05:46आदिश सदी भीद गई जीवन की
05:49और मैं कभी भी वैश्णो देवी नहीं गया था
05:53हमारे ये धारणा है कि भगवान जब बलाते है
05:56भगवती जब बलाती है तभी जाना पड़ता है
05:58तभी पहुँचना पड़ता है
05:59इस बार नवरात्र में वहां के ट्रस्ट का आदेश आया
06:02कि पहली नवरात्री पर माता के द्वार पर आप कुछ सुनाईएगा
06:05तो मैंने सुचा कि जो भजन चल रहे हैं
06:08जो कविता हैं चल लएए उन्हें तो क्या सुनाना
06:10कुछ नया लिखना पड़ेगा
06:11तो मैंने एक कovitा लिखी और पिछले साल से इस साल के बीच में जो प्राध्मिक रूप से कुछ कविता है लिखी हैं, उनमें यही एक स्रेष्ट कविता मुझे लगती है, और यहाँ पर एक संत्वित्यत्व भी मंचपर हैं, जो संयोग से हमारे मुख्य मंत्री हैं, मैं उनक
06:41पहली पंक्ति आ रही है से समालिएगा मैंने वहाँ द्वार पर बैठकर मा को क्या सुनाया
06:54कि भवानी सुन लो राम कहानी भवानी सुन लो राम कहानी भवानी सुन लो राम कहानी भवानी सुन लो
07:11जब तक आपकी आवाज नहीं आएगी चाहे मुख्यमंत्री जी जाएं चाह ना जाएं यही लाइन चलेगी
07:14भवानी सुन लो राम कहानी भवानी सुन लो राम कहानी रोज नहीं लगती है लेकिन है ये परम पुरानी
07:34अगली पंक्ती जो समझ जाएंगे उनकी तालियां कुझेंगे रोज नहीं लगती है लेकिन है ये परम पुरानी
07:46वही कहानी एक जो तुमने वही कहानी एक जो तुमने दो जन्मों में मानी भवानी
08:01सुन लो राम कहानी भवानी सुन लो भवानी सुन लो राम कहानी
08:14इस कहानी में क्या है जिस कहानी का समर्थन भी बहुत है और विरोध भी परियापती हुआ
08:19के मात पिता का मान भाईयों के सनेह का मानक
08:29मात पिता का मान भाईयों के सनेह का मानक
08:39सत्यसनातन परंपराका युग युग अमर कथानक
08:49इसको गाकर धन्य हुई रिशी वालमी की कीवानी
09:08अगली पंक्ति पर पुरा हॉल कुझेगा
09:10इसको गाकर धन्य हुई रिशी वालमी की कीवानी
09:18इसकी महीमा इसकी गरीमा बजरंगी ने जानी भवानी
09:34सुन लो राम कहानी भवानी
09:44सुन लो भवानी अपना कोई आदर नहीं है
09:54कोई सम्मान नहीं है
09:55कौन इतना कविता का इतना आदर कहां से हो
09:58कितने महतुपुण लोग बैठें और अपना समय दें
10:01हम जिसे गा रहे हैं उसका नाम बहुत बड़ा है
10:04पंक्तिपड रहा हूँ
10:05और पहली पंक्तिपड जो कभी यहां बैठें हैं
10:08साहितिकार बैठें हैं
10:09उनका इसने मिले और भारती जन्ता पार्टी के लोग
10:12कितने भी गर्वित हो जाएं कि इतने रज्य में सरकार है
10:14कि हिंद्र में तीन बार आगी कि चोथी बार आएगी
10:16हम तो यह मानते हैं कि जैसी भी पार्टी है
10:19जो भी है कभी के द्वारा चले गई है
10:21कभी के परिश्रम से उसके शब्दों से चली है
10:23कि तुलसी तुलसी से पावन हो गए कथा यह है गाकल
10:36भाग्य बली है फिर भी खुद को
10:52कहें राम का चाकल
10:55भाग्य बली है फिर भी खुद को
11:01कहें राम का चाकल
11:04एक पंक्ति खास तोर पर सुन लिजगा
11:06भाग्य बली है फिर भी खुद को
11:11कहें राम का चाकल
11:14जब तक सब नहीं बजाओगा यहीं चल लगी है
11:16भाग्य बली है फिर भी खुद को
11:21कहे राम का चाकल
11:24यह कोरी कल पना नहीं है
11:29आगम निगम बखानी
11:32यह कोरी कल पना नहीं है
11:39आगम निगम बखानी
11:42लखनों में हाई कोट की एक ब्रांच है
11:44यह देश अदबुत है
11:47यहां राम हुए है या नहीं हुए है
11:49इस बात का मुकदमा सुप्रीम कोट में 30 साल चला न्याय के देवता को न्याय के मंदिर में ही पुष्ट कराना पड़ा कि वे वहीं पैदा हुए जहां उनका मंदिर बना है अद्बुत देश है और विडमना देखिए कि जब आखरी चरण में मुकदमा था उनी दुनों राम
12:19तो मैं गोमती के तठ पर पंक्ति पढ़ रहा हूँ राम हुए है नहीं हुए इसकी गवाही देने के लिए मैं एक पंक्ति लेकर आया हूँ
12:27अगली पंक्ति का गवाह अच्छा लगे तो उसकी लहरों के समान तालियां उठती देखूँ
12:40यह कोरी कल पना नहीं है आगम निगम बखानी युग युग से इसका साख्षी है
12:54मा सर्यू का पानी भवानी सुन लो
13:04नी भवानी सुन लो भवानी सुन लो
13:14आपकी आवाज कमा रही है भवानी सुन लो
13:19अंतिम मंदिस कविता का पढ़ रहा हूँ
13:27के वन्चित वनवासी गिरिवासी
13:32देखिए नया परिवर्टों नोता है सोच में संसकार में
13:37वर्षों से चली आई एक पध्धती बदलती है
13:39तो चीजे कस्मसाती हैं ये कस्मसाहट का धौर है
13:43यहाँ नए साल पर पहली बार ऐसा हो रहा है
13:47कि आगरा में जो एक कब्रिस्तान है सफेद रंग का
13:51उसे देखने जाने की बजाए युवा ज्यादा मात्रा में
13:54आगरा जक की बजाए अयोध्या जी जा रहे हैं
13:56वरंदावन जा रहे हैं परिवर्टन हो रहा है
13:58तो बदलते में देर लगेगी
14:03और तरक का उत्तर दिया जा सकता है
14:06कुतरक का नहीं दिया जा सकता
14:08जिनको लगता है कि धर्मनिर्पेक्ष देश है
14:12इसमें इतना राम क्यों इतनी राम नौमी क्यों
14:15धर्मनिर्पेक्ष है तब ही तो सब चला है
14:17अगर राम रिष्टेदार नहीं है, राम पूरवज नहीं है, तो इतनी सारी Christmas मन रही है, हम ही लोग मना रहे हैं,
14:24सेंटा क्लॉज कौन हमारे फूपाजी थे पर भी मना रहें ना इताचा मना रहें तो देश में सभी का आदर है तब कह रहा हूं निवे दन करता हूं कि भवानी सुन लो
14:34भवानी
14:37कैसी कहानी है वंचित वनवासी गिरिवासी जिसमें बने सहायक
14:51वंचित हमारे संजय निशाद जी बैठे हैं कम हसा करो अभी वीडियो पर हंस दिया थे कितना बुरा लगा है तोड़ा
15:00लेकिन ये निशाद हैं ये मुझसे जब भी मिलते हैं हाथ मिलाते हैं मैं कहता हूं भाई आप से हाथ नहीं मिला सकता आप हमारे बौस के मित्र के घर से हो
15:10हम तो सेवक लोग है हम लोग तो राम जी के चरणों की धूल के दास है आपने तो उनसे भी वसूल करवा लिया था
15:19तो अगर इस सरकार में वसूल कर रहे है तो इसमें समस्या क्या है रामजी की सरकार है तो निशाद वसूल कर रहे है उसमें क्या है
15:27पर मुझे यह पता नहीं था कि एक नाव पारकराने की इतनी बड़ी फिस देनी पड़ेगी कि एक आदमी को मंत्री बनाना पड़ेगा बता ही है
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