Skip to playerSkip to main content
  • 2 days ago
जैन धर्म में 24 तीर्थंकर हुए, जिनमें 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ का जन्म लगभग 872 ईसा पूर्व काशी (वाराणसी) के भेलूपुर में हुआ।
वे राजा अश्वसेन और माता वामा देवी के पुत्र थे। 30 वर्ष की आयु में उन्होंने गृहस्थ जीवन त्याग कर संन्यास लिया और सम्मेद पर्वत पर कठोर तपस्या के बाद कैवल्य ज्ञान प्राप्त किया।भगवान पार्श्वनाथ ने सत्य, अहिंसा, अस्तेय और अपरिग्रह के चार प्रमुख व्रतों की शिक्षा दी और 70 वर्षों तक अपने विचारों का प्रचार-प्रसार किया। उन्होंने चार संघों की स्थापना की और उनके प्रथम गणधर आर्यदत्त स्वामी थे।जैन धर्म में चार प्रमुख पंथ हैं — दिगंबर, श्वेतांबर, स्थानकवासी और 13 पंथी, जो अलग-अलग रीति-रिवाजों के साथ भगवान पार्श्वनाथ के संदेश का पालन करते हैं।

Category

🗞
News
Be the first to comment
Add your comment

Recommended