00:01एक दफा का जिक्र है कि एक पठान शहर में टोपिया बेच रहा था।
00:06वो बहुत थक गया तो आराम करने के लिए वो एक दरख्त के नीचे लेट गया और सो गया।
00:12उसी दरख्त पर कुछ बंदर भी रहते थे। उन्होंने उसकी सारी टोपिया उठा ली।
00:17जब पठान की आँख खुली तो अपनी टोपिया गायब देखकर घबरा गया।
00:21उसने इधर उधर देखा लेकिन टोपिया न मिली। अचानक उसकी नजर उपर दरख्त पर पड़ी। बंदर उसकी टोपिया लेकर बैठे खेल रहे थे।
00:30पठान को एक तरकीब सुजी। उसने अपने सर की टोपि बंदरों की तरफ फैकी तो बंदरों ने भी उसकी तरह टोपिया उसकी तरफ फैकी। पठान टोपि भैकता तो बंदर टोपिया फैक देते। इस तरह पठान को अपनी सारी टोपिया मिल गई।
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