00:00दीवाली की राथी, सारा गाउं रोशनी हसी और खुशियों से चमक रहा था, लेकिन गाउं के किनारे एक टूटी हुई जोपडी में अब भी अंधेरा था, अंदर एक दरीब पपी बैठा था, फटे पुराने कपडों में अपने बीमार मालिक के पास, जो कमजोरी से सिर भ
00:30दिये ले लो, दिये ले लो, लोग मिठाईया और पटाके खरीद रहे थे, लेकिन कोई उसकी तरफ नहीं देखता था, कुछ ने उसका मजाक उड़ाया, लेकिन पपी ने हिनमत नहीं हारी, शाम होते होते उसने कुछ सिक्के कमाए, वो दोड़ता हुआ गया, अपने मालि
01:00अधिमी आवाज में बोला, बेटा, तू ही मेरी जिंदगी की असली रोश्नी है, उस रात, उस गरीब पपी के लिए दीवाली प्यार, उमीद और वफा का त्योहर बन गई
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