क्या आपको पता है… महाभारत का एक ऐसा योद्धा आज भी ज़िंदा है जो पिछले पाँच हज़ार सालों से मृत्यु की प्रतीक्षा कर रहा है? यह कहानी है द्रोणाचार्य के पुत्र, अश्वत्थामा की — जिसे भगवान श्रीकृष्ण ने ऐसा श्राप दिया कि वो कभी मर नहीं सके!
00:00क्या आप जानते हैं महाभारत का एक ऐसा योध्धा जो 5000 सालों से आज भी जिन्दा है जिसके शरीर से रोज खून बहता है लेकिन वो मर नहीं सकता कहा जाता है कि वो आज भी हिमाले की गुफाओं में भटकता है अपने कर्मों का प्रयाश्वित करते हुए वो योध्धा को
00:30कहा जाता है जब वो पैदा हुआ तो उसके माते पर एक रत ने चड़ा था जो उसे अद्भुच शक्ती और तेज प्रदान करता था उसकी छड़ आकाश्वाणी हुई ये बालक अजेय होगा इसे कोई देवता या मारव नहीं मार सकेगा उसके नाम में ही उसका भाग ये
01:00द्वन्दी था और शायद अकेला जो उसे चुनोती दी सकता था कृष्ण भी उसकी वेर्ता से परिचित थे क्योंकि अश्वत्थामा ने नारायनास्त्र ब्रह्म श्रास्त्र जैसे विनाशकारी हत्यारों का ज्यान प्राप्त किया था लेकिन युद्ध के बीच उसके भी
01:30द्रोड को ये यकीन हो जाए कि उनका पुत्र मर चुका है तो वो शस्त्र छोड़ देंगे युद्धिश्टिर जो सदव सत्य बोलते थे उनसे कहा गया कि कह दो अश्वत्थामा मारा गया उने कहा अश्वत्थामा हता नरोवकुंजरोवा जिसका हिंदी में अर्थ है अ�
02:00बद्ध कर दिया जब अश्वत्थामा को पिता के मृत्यु का समाच्वार मिला तो उसका मन प्रतिशोद से भर गया रात के अंधेरे में जब पांड़ों का शिवर सो रहा था अश्वत्थामा ने नारादस्त्र और फिर ब्रह मश्रा अस्त्र का प्रयोग किया उसने पां�
02:30ुपुआ
03:00तेरे माथे का रत्न छीन लिया जाएगा और तेरा तेज समाप्त हो जाएगा
03:04तो इस धर्ती पर अकेला भटकेगा अपने पापों का प्रायश्वित करते हुए जब तक कल्युक समाप्त नहीं हो जाता
03:10क्रिष्ण का ये शाप शाश्वत हो गया अर्जुन ने उसके माथे से रत्न निकाल लिया और अश्वत्थामा लवलुहान अवस्ता में युद्ध भूमी से निकल गया हमेशा के लिए
03:21कई कथाएं कहती हैं कि अश्वत्थामा आज भी जीवित है हिमाले बद्रिनात और चंपावत की गुफाओं में कभी कभी एक घायल साधू के दर्शन होते हैं जिसके माथे पर गहरा घाव होता है और जो केवल द्रोड पुत्र कहकर अपना परिचा दीता है
03:36अब सवाल उठता है कि क्या अश्वत्थामा आज भी जीवित है कई लोग कहते हैं कि हिमाले के घने जंगलों में एक लंबे बालों से धका व्यक्ति दिखाई देता है जिसके मस्तक पर एक गहरी चोट है जो कभी भरती नहीं
03:49सन 1983 में बरेली के एक संत ने कहा उनके पास एक योधा आया था जिसने अपने माथे के घाव के लिए औश्यधी मागी
03:58वहीं रूपकुंड क्षेत्र के कुछे तपस्वियों का कहना है कि हर रात एक व्यक्ति आता है हवन करता है और रो कर चला जाता है
04:06गिरनार परवत के साधू भी कहते हैं वो आता है कुछ नहीं बोलता और अचानक लुप्त हो जाता है
04:12कोई नहीं जानता ये कथा है या वास्तविक्ता परन्तु ये निश्चित है कि अश्वत्थामा की कहानी अमर्ता के शाप की सबसे गूर कथा है
04:21कभी-कभी जीवन में अमर्ता भी शाप बन जाती है अश्वत्थामा इस बात का जीता जाकता उधारण है
04:28जहां करोध, एहंकार और प्रतिशोध एक महान युद्धा को अमर्ता के दुख में बदल दीते हैं
04:34ये थी कथा अश्वत्थामा के शाश्वत्थामा की लेकिन आपकी इसको लेकर क्या राय है कमिट में जरूर बताएं
04:40और अगर आपको ऐसी ही रहसे में पौराने कथाएं पसंद हैं तो इस वीडियो को लाइक, शेर और चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें
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