00:00मैं आनंदमठ जिस पुस्तक में जिस उपन्यास में वंदे मात्रम नहीं थे उसे पढ़ा हूं मैं उसका वह एक पन्ना पढ़ना चाहता हूं मूल सरूप में जहां वंदे मात्रम लिखा गया है
00:16मैं बंगाली में ही पढ़ूँगा इसे मूल सरूप में
00:20महेंद्र बोलील एतो देश एतो मानय भवानन्द बोलील
00:27आमरा अन्न मा मानिना जननी जन्म भुमिष्च गाद पी गरी असे
00:34अमरा बोली जन्म भूमी जननी आमा देर मा नोई बाप नोई भाई नोई बंधू नोई स्त्री नोई पुत्र नोई घर नोई बडी नोई आमा देर आछे के बल
00:47से शुजलांग सुफलांग मलय जो सितलांग सस्षो शामला तकन बुजिया मोहेंद्र बोली तबे आबार गाओ आबार गाओ मोहेंद्र नै समज लिया और उन्हे कहा अच्छा भवाननद फिर से एक बार गाकि मुझे सुनाओ भवाननद आबार गाईल
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