Skip to playerSkip to main content
  • 3 minutes ago
'वंदे भारत आजादी के आंदोलन का आधार...', राज्यसभा में बोले अमित शाह

Category

🗞
News
Transcript
00:00मानेवर एक प्रकार से जिसकी उद्धोषणा देर सो साल पहले बंकिम बाबुने की ये विचार तो बहुत चीर पुरातन है
00:15रामाण के अंदर प्रभुस्री राम ने भी जब उनको सला दी गई कि इतनी वैभवसाली लंका है आप लंका जिती लिये हो तो वहोध्या जाकर क्या करना यहीं रह जाते हैं तब उन्होंने कहा कि माता और मात्रुभुमी इस्वर से भी बड़ी होती है मैं माता और मात्रु
00:45मात्रु भुमी का महिमा मंदन आचारिय संकर ने भी किया और मात्रु भुमी का महिमा मंदन आचारिय चानके ने भी किया यह सभी ने समय समय पर हमारे अस्तित्व को मात्रु भुमी के साथ जूडने का काम है मात्रु भुमी ही हमें पहचान देती है वो ही हमें भासा देती
01:15उठाने का अवसर देती है इसलिए मात्रु भूमी से ज्यादा कुछ हो नहीं सकता यह भाव जो चीर फुरातन भाव था उसको बंकिम बाबु ने उनर जिवित किया और वो गंगोर रात्री जैसे
01:33गुलामी के कालखन के अंदर जैसे एक बीजली प्रकास फेला देती है उसी प्रकार से बंदोव मात्रम के गानने गंगोर अंधेरे के अंदर जन जन के अंदर गुलामी की मानसिक्ता छोड़ कर आजादी की प्राप्ती स्वराज की प्राप्ती का एक जोस जगाने का काम किया
02:03का प्रतीक मन उन्होंने बहुत सुन्धर तरीके से वनन किया है कि सुखस्म और कारण तीनों प्रकार से
02:13वन्दे मात्रम भारत की सक्ति को जगाता है। स्तूल सरीर, वन्दे मात्रम का उच्चारण हमारी सरीर में सक्ति
02:23और उत्साह भरता है राष्टव भक्ती की प्रक्रिया सक्ति को जगाती है
02:31सूख समसरील हमारे भावनाय हमारे विचारों को वो सुध करता है
02:36और हमारी चेतना को वो जागरूत करता है
02:39और कारण आध्यात्मिक सरी में भी उन्होंने कहा
02:44कि मंकिम बावु एक रुसी चेतना से प्राप्त मेगा से ही वन्देव मात्रम की रचना किये है और बहुत अच्छे तरीके से गीत केवल देश बक्ति की देश प्रेम की अभिवेक्ति नहीं है बलकि भारत माता की दिव्य सक्ति का आवान है
03:06भारत की मुल्चेतना सनातन सक्ती उसको पुनरजिवित करने का ये वंदे मातरम मंतर है और इसलिए आजादी के वक्त सभी हमारे नेताओं ने वंदे मातरम को आजादी के अंदोलन का आधार बनाने का काम किया
03:24कई सारे हमारे आजादी के संग्राम के सैनानी जिनको अंग्रे जोने फासी पर चड़ाया इस सब में एक एक चीज सामानिय निकल कर आती है तो फासी के तक्ते पर चड़ते चड़ते जो सहीद अंतिम सब्द बोले वो सभी के मूँ से वंदे मातरम ही मतर है
03:52स्वदेशी का आहवान करना हो विदेशी माल का बहिसकार करना हो राष्ट्रिय सिक्षा का आहवान जगाना हो हर वक्त राष्ट्र बक्ती जगाते वक्त वंदे मातरम का उद्गोस इस देश ने सुना भी इस देश ने महसूस भी किया
04:13पंजाब के गदर आंदोलन में वंदे मात्रम के सिर्षक से कई पर्चे बाटे गए। महाराष्ट में वंदे मात्रम के विशेश अंक गनपती और सिवाजी के उत्सव में बाटे जाते थे।
04:28तमिल नाडू में सुब्रनम भारती जी ने तमिल अनुवाद करकर हिंद महासागर को भी क्रांती की चेतना से आंदोलुट कर दिया था।
04:58और खतरनाग भी कहते थे। और स्री अर्वीन पर राध द्रो का मुकदमा भी चला और उनको सजा भी गई। अन्ततों गत्वा उसको प्रतिबंधित कर दिया।
05:08या मान्वर कॉंग्रेस के अधिवेशन उने भी वंदे मात्रम के महिमादन को
05:15गान को गाया अठारा सो चैनवे में गुरुवड टागोर ने कॉंग्रेस अधिवेशन में इसको पहली बार सारव जनुक्रूप से गाया
05:271905 में कॉंग्रेस के वारान सी अधिवेशन में महान कवियत्री गाई का सरला देवी चोधरानी ने पूर वंदे मातरम का गायन किया
05:38और 15 अगस 1907 को जब देश आजाद हुआ सुबे साड़े छे वजे सरदार पटेल के आग्रपर पंडित उमकारनाट ठाकूरजी ने आकास वानी से अपने मधूर स्वर में वंदे मातरम का गायन करकर देश को भावू करते हैं
05:59और इस सभी भावना को देखते हुए समविदान सभा की अंतिम बैठक 24 जनवरी 1950 को समविदान सभा के अध्यक्स राजेंद्र प्रसाद जी की अध्यक्सता में जो ही उसमें राष्टर गान के बराबर सन्मान देते हुए वंदे मातरम को राष्टर गीत गोसीद करने का का
Be the first to comment
Add your comment

Recommended