00:00बंदे मातरम के दो पत तो सभी ने सुने हैं लेकिन बाकी के बारे में लोगों को जादा पता नहीं है
00:07और जिनल वरजन में से अजिकांत असों को भुला दिया गया है
00:11उन पदों में भारत की विशेश्टाओं को दर्शाया गया है
00:14अब उन परों के महत्त और अरत को पूरी तरशाय से समझने का आउसर आ गया है अजिक्ष्मोदे
00:21और यही आउसर है पहला पर जिशेश्ट आया गया उसमें बंकिम बावो भारत माता के संदर्व में कहते हैं
00:30तुमही विद्या हो तुमही धर्म हो तुमही हिर्दय हो तुमही मर्म हो तुमही मेरे सरीद की प्राण शक्ति हो
00:39बंदे मात्रम से इन कुछ पक्तियों सो लिकालने का सवर्थन करने वालों से मैं यह पूछना चाहता हूं
00:45जिन्होंने भी दिखाला किस संदर में, किस अर्थ में, किस भावना में, किस तरह और किस दिर्श्टिशे उनको बंदे मातरम की यह सारी पंग्तियां सामप्रदाइक और राजनेटिक लगी।
00:59मैं बताता हूं उन्हें ये पंतियां सामप्रदाई को राज दीति क्यों लगी इसका कारण है क्योंकि वे बंदे मात्रम वो जिन्ना के चस्मे से देख रहे थे इस करे इस कारण हो नहीं सामप्रदाई
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