00:00सीधिया आपको रासवा लिए चुलेंगे जहां पर ग्रेमिंत्वी अमिच्छा बोगे
00:03सभापति महदय इस यह सदन जब से बना तब से कई सारे इत्यासिक पल इस सदन ने जिये भी है
00:26और सदन की कारेवाही के माध्यम से राष्ट्रत जीवन की स्मूति में वो समाहित भी हुए
00:40मेरा मानना है कि यह जो आपका नेना है सदन का नेना है कि वंदे मात्रम के 150 साल के प्रवेश पर
00:52इम्हान सदन वंदे मात्रम के भाव के लिए वंदे मात्रम के यसोगान के लिए
01:03और वंदे मात्रम को चिरन जीव बनाने के लिए एक चर्चा करें और ये चर्चा के माध्यम से
01:13विशेश कर हमारे देश के बच्चे किसोर युवा आनिवाली पिडियों तक वंदे मात्रम का आजादी के लिए योगदान
01:27वंदे मात्रम गान की रचना में राष्टर भक्ती और राष्टर की संस्कृति के प्रती समर्पन का जो बाव है
01:42उसका आने वाले महान भारत की रचना में योगदान इसके संकल्प के साथ जुडाव इस सभी चीजों से
01:53हमारी आने वाली पिडिया भी यूग तो हो इसलिए मैं आपका और सदन के सभी सदत्स्यों का रदय पुर्वक
02:04बहुत-बहुत अभिनन्दन करना चाहता हूं कि आज एचर्चा यहां पर आकार लेए
02:11कि मोहदय हम सब कि सवभागय साली है कि हमें एक इत्यासिक पल के साक्सी भी बंड़े हैं और इसमें हिस्सा भी ले
02:24महान सदन में जब बंदे मात्रम की चर्चा हो रही है तब कल कुछ सदस्यों ने लोग सभा में प्रस्तन उठाया था कि आज बंदे मात्रम की चर्चा बंदे मात्रम
02:45पर चर्चा की जरूरत क्या है महदय वंदे मात्रम पर चर्चा की जरूरत वंदे मात्रम के प्रति समर्पन की जरूरत वंदे मात्रम बना तब भी थी आजादी के आंदोलन के वक्त भी थी आज भी है और जब 2047 महान भारत की रचना होगी तब भी रही है क्यूंकि अमर क�
03:15मा भारती के प्रती, भारत माता के प्रती, समर्पन, भक्ती और कर्तवय के भाव जागरूत करने वाली कुरूती हैं।
03:27इसलिए जिनको आज वन्दे मात्रम की चर्चा क्यूं हो रही है, वो समझ में नहीं आ रहा है।
03:37मुझे लगता है कि उन्होंने नए सिरे से अपनी समझ पर ही सोचने की जरूरत है।
03:43कुछ लोगों को इसमें दिखता है कि बंगाल में चुनाव आने वाला ही इसलिए वन्दे मात्रम की चर्चा हो रही है।
03:52वो मंदे वात्रम के महिमा मंदलन को बंगाल के चुनाव के साथ जोड़ कर कम करना चाहते हैं।
04:00यह सही है कि वंदे मात्रम की रचनाकार बंकिम बाबू बंगाल में पैदा हुए, बंगाल में गित्की रचना हुई
04:12और आनन्द मठ जिसमें बाद में वंदे मात्रम समाहित हुआ, उसकी पुष्ट भूमी भी बंगाल थी।
04:24मगर जब वंदे मात्रम का प्रगटी करन हुआ, वंदे मात्रम बंगाल तक सिमित नहीं रहा था।
04:31दुनिया भर में जहां पर आजादी के दिवाने थे, वो गुप्त बैठक भी करते थे, तो पहले वंदे मात्रम का दान करकर बैठकी सुरुआ थे।
04:44और आज भी सरहत पर हमारा जवान, जब अपना सर्वोच बलिदान देता है, ये आंतरिक सुरक्षा के लिए देश के पुलिस का जवान, सर्वोच बलिदान देता है, तो जब वो अपने प्रान त्याकता है, इसके मुह पर एक ही मंत्र होता है, वो वंदे मात्रम।
05:07मनेवर ये वंदे मात्रम का गान वंदे मात्रम का गीत ये भारत माता को गुलामी की जंजीरों से मुक्त करने का नारा बना था
05:23आजादी के उद्गोस का नारा बन चुका था आजादी के संग्राम का एक बहुत बड़ा प्रेना स्त्रोत बना था और सहीदों को अंतिम बलिदान सर्वोच बलिदान देते वक्त अगले जनम में भी भारत में ही जनम लेकर फीर से माभारती के लिए बलिदान करने की प्रेन
05:53इस चीर पुरातन राष्ट को अनेक सद्यों तक अपनी संस्कूति के राष्टे पर आगे बढ़ाने की प्रेणा भी कई सारे मनिस्यों को इस वंदे मात्रम से इदिए
06:11वंदे मात्रम की दोनों सदनों में इस चर्चा से वंदे मात्रम के महिमा मंदन से वंदे मात्रम के गवरव घान से हमारे बच्चे किशोर युवा और आने वाली कई पीडिया वंदे मात्रम के महत्व को भी समझेगी
06:35पर उसको राष्ट्र के पुन्न निर्मान का एक प्रकार से आधार भी बनाएगे।
06:42मनेवर बंकिम चंद्र चटोपाध्याजी ने 7 नवंबर 1875 को वंदे मात्रम की रचना उनकी सार्वदे ने खुली।
06:56यह दिन कार्तिक सुकल नवमी का था। अक्सर नवमी या जगद्रात्रि पुजा के रुप में यह दिन मनाया जाता है।
07:07और जब रचना की तब सुरू में कुछ लोगों को लगा कि एक उत्कुरूष्ट साहितिक प्रूती है।
07:16परंटु देखते देखते देखते वंदे मात्रम का एक हीत देजबक्ती त्याग और राष्ट्रियत चेतना का प्रतीक बन गया जिसने हमारे आजादी के आंदलोन का राष्टा प्रसस्त किया।
07:32और कब वंदे मात्रम की रचना हुई वंदे मात्रम की रचना की प्रूष्ट भूमी हम सबने जरूर याद करनी चाहिए।
08:02अपने शाशन के काल में भारत के घुलामी के काल में एक नई सभ्यता, एक नई संस्कूर्ती हमें ठोपने का प्रयास किया था।
08:14और उस्वक ये वन्दे मात्रम का रचना बंकिम बाबुने की और वो रचना के अंदर बहुत बारीकी से जो हमारी मुल सब्वेता थी हमारा सैंस्कूरूतिक राष्ट्रवाद था
08:32देश को माता के रूप में कलपना करकर देश की माता के रूप में जो कलपना की इसकी अराधना करने की हमारी परंपरा थी उसको उन्होंने पूनप्रस्ताफित किया था
08:48और इसलिए ये घित देखते कोई प्रचार के बगर उसको ना सोस्यल मिडिया था ना प्रचार के कोई साधन थे उल्टा जो सरकार थी वो तो उसको रोकना चाहती थी प्रतिमन लगाती थी वंदे मातरम बोलने वालों पर कोड़े बरसाये जाते थे जेल में डाल दिये जा
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