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  • 7 minutes ago
वंदे मातरम् गीत में मिट्टी की सुगंध: दीपेंद्र हुड्डा

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Transcript
00:00जिस आंदोलन में धर्म, जाती और प्रांच की सिमाओं को लांग कर जिस गीत ने देश को एक सूत्र में बांधने का काम किया था।
00:12भारतिय राश्वाद, आजादी की लड़ाई और भारतियता के अध्यात्मिक इतिहास में वंदे मातरम का स्थान अधुईतिये।
00:23आज भी जब हम ये गीत गाते हैं, तो इस गीत के एक एक अक्षर में हमें देश की मिट्टी की सुगंद आती है।
00:33हमें इस गीत के एक एक अक्षर में लाखों शहीदों की तस्वीर दिखाई देती है।
00:39हमें इस गीत के एक एक अक्षर में स्वतंता संग्राम की अवाज सुनाई देती है
00:45और इस गीत के एक एक अक्षर में आजाद भारत के पिछले 75 साल की गौरव गाता की गूंज भी सुनाई देती है
00:55और भारत वर्ष के स्वर्णिम भविश्य के सपने भी संजोए जाते हैं
01:01वंदेगा अत्रम एक गीती नहीं
01:05ये भारत की राष्ट्रिये चेतना जगाने का एक महामंत्र था
01:10और इस महामंत्र को देने वाले बंकिम चंदर चडोपाध्याई जी को
01:16इसलिए रिशी कहा गया है मैं उनको महारिशी भी कहूंगा
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