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00:00मैं खुद को कमजूर हीन सोचती हूँ जादा तर समय दूसरों से तूलना करने की वज़ा से
00:30तुम इसलिए हीन बनेगो हो वो फाइदा छोड़ दो हीन नहीं रहोगे आपके हर दुख में आपका स्वार्थ मौजूद है आपकी हर बेबसी हर कमजोरी में आपका लालच मौजूद है जो बंदा मुझे पसंद है जब मैं उस हौट चिक के साथ होती हूँ तो बंदा उस �
01:00नमस्ते आशार जी मैं पसी मंगाल से हूँ मैं खुद को कमजूर हीन सोचती हूँ ज्यादा तर समय बहुत दिनों से हीन भावना से ग्रस्त हूँ दूसरों से तूलना करने की वज़ा से ऐसा हो रहा है कि क्या हो रहा है मुझे कुछ समझ में नहीं आता जब वो सिच्वे�
01:30थोड़ी बहुत थी इमांदारी की कमी भी दिखाई देती है जैसे मैं नहीं कर पाऊंगी ऐसा बोल करके काम उसे आपने आपको क्या मैं बचाना चाहती हूँ ये भी मेरा मूल प्रश्न ये है हीन भावना वास्तव में क्या है और कैसे इससे बाहर आ सकते हूँ
01:52जिद तगडी जिद बहुत तगडी जिद बहुत तगडी जिद और कुछ नहीं है हीन भावना बहुत बहुत तगडी जिद
02:06जिद दिखाएं क्या हीन भावना
02:14आज़ा विटा आज़ा
02:30मुटे तोर पे कद दोनों का लगवगे एक ही बरावर है
02:4019-20 कुछ होगा हाँ
02:42ठीक
02:44अब इनकी परंपरा है
02:47इश्रेष्ठ मानव वो होता है जो चौपाया हो
02:51चौपाया हो जाओ पिटा
02:54ऑन अल फोर्स
02:56ऐसे हाथ पर जाओ घुटने लिटने इचे रखे ऐसे हो जाओ
03:01ठीक है
03:02इसमें इनको फाइदा ये मिलता है कि
03:06ये पूरा
03:08रोटियों का डबबा ही है बहुत सारी रोटियां ही है
03:12ये ऐसे दे दी
03:13ठीक है
03:15अब इनकी परंपरा इनका स्वार्थ इनका जिद
03:19सब मिलकर इनकी पहचान बन गए है और इनकी दृष्टी में ये क्या है
03:23अब तुम उपना हो ठाग के है
03:28पूद के हो
03:29अब वैसे तो हम दोनों तो 19-20 थे ये 21 है
03:36ठीक है
03:37अब मुझे इनके सर पर टीप मारनी है
03:40ठीक है
03:41मार दी
03:42मैं तो हीन हूँ नहीं
03:44मुझे मारनी थी मैंने मार दी
03:45तुम मारो
03:46मारो
03:49मारो मारो
03:50करो प्रयास करो
03:52नहीं हो पाएगा
03:53तो अब इनके भीतर क्या जगेगी
03:55वो हीन भावना क्यों है
03:58मैं उच्च हूँ
03:59मुझे टीप मारनी थी मैंने मार दी
04:00ये नीच हैं
04:03ये हीन हैं
04:05यह नहीं मार पा रहे हैं, मैं उपर यह नीचे, क्यों?
04:11जिद है, मैं ऐसा हूँ, ऐसा ही रहूँगा।
04:13गीता
04:16तो ज़िद है, पालतू विक्टिम कार्ड नहीं खेलने का, जिद है
04:31और जिद के पीछे क्या है भारी?
04:35जाइए, स्वार्थ है, तगड़ा स्वार्थ है
04:40तुम तो कुछ हो ही नहीं
04:44सचमुच, अनिवारित्त, तुम तो कुछ हो ही नहीं
04:50तुम वही सब कुछ हो, जो तुमने पकड़ रखा है
04:53अगर तुम कहते हो
04:55कि तुम हीन हो तो हीनता भी तुमने
04:57पकड़ ही रखी होगी
05:00तुम्हारा चुनाव है तुम्हारा स्वारत है
05:02अन्य था हीनता कहां से आ गई
05:03जब तक मैं ये जिद पकड़े रहूँगा
05:09कि मैं तो चार पे ही चलूँगा
05:11चौपाया हूँ मैं, तब तक तो मैं हीन
05:13और उजित मैंने इसलिए पकड़ रखी
05:15क्योंकि उजित पकड़ने कारण मुझे
05:16आसानी से रोटी मिल जाती है
05:18हीनता अहंकार की अकड़ है
05:22हीनता अहंकार की दुरबलता नहीं है
05:25हीनता अहंकार की सबलता है
05:29वो इतना मजबूत है कि अकड़ ही हुआ है, कह रहा है कि
05:32भले ही कितना दुख मिले, मैं अपनी अकड़ नहीं छोड़ूँगा
05:35भले ही दुनिया में जगा जगा मूगी खानी पड़े, हार जहलनी पड़े
05:40टीप मारने थे टीप नहीं मार पा रहे हार जिलनी पड़ रही है
05:43फिर भी मैं अपनी अकड नहीं छोड़ूँगा
05:45तुम हीन कैसे हो
05:46तुम्हारे पुर्वाग्रा तुम्हें रोक रहे है
05:49तुम्हारे अंधर विश्वास तुम्हारा बंधन है
05:52तुम हीन थोड़ी हो
05:54तुम कहते हैं, अरे, मैं जोर से
05:57अब तुम आजाओ
06:04इता रहा हो, तुम क्या वहाँ गुफटबू कर रहे हो
06:07वोट पकड़ो पीछे से
06:11कॉलर
06:12पकड़ो
06:14पकड़ो, पकड़ा रहे हैं, पकड़ो करे
06:17मुझे आगे जाना है, मैं जानी पा रहा हूँ, मैं कितना बेबस हूँ, मैं कितना विवश हूँ, मुझे आगे जाना है, मैं जानी पा रहा हूँ
06:25लाल जै कॉन तुम जने हाजारगा आया था
06:29पकड़े रहे
06:31ये वेदानत है
06:39ये वेदानत है
06:47बंधन कटें, पिखलें, जंजीरें, आत्म ग्यान का भीशन ताप
06:53मैं तो कुछ हूँ ही नहीं, मैं जबरदस्ती इसको अपनी पहचान का हिस्सा बनाए हूँ, वरना ये मैं थोड़ी हूँ
07:01ना हम देहास में, मैं ये नहीं हूँ
07:03और तू मुझे बंधक बना सकता है, सिर्फ किसी चीज़ को पकड़के
07:09तू जिस चीज़ को पकड़ेगा, मैं उस चीज़ को ही त्याग दूँगा, बना बंधक
07:12तू जिस चीज़ को पकड़ेगा, मैं उस चीज़ को ही छोड़ दूँगा, बना बंधक
07:17कैसे बना लेगा
07:18कौन सी हिंता
07:19कौन सी मजबूरी
07:20कैसी दूर बलता
07:20सब लालत स्वार्थ और अकड की बात है
07:23नहीं रोक सकते
07:28ऐसे भी लोग हुए
07:30ये तो कोट है
07:31हाथों में बेडियां बांदी
07:33उन्होंने हाथ काट दिया
07:34हाथ ही नहीं है
07:36काहे में बेडिया लगाएगा तू
07:37शरीर को बंधक बनाओगे
07:42लोग हुए उन्होंने शरीरी त्याग दिया
07:44बोले किसको बंधक बनाएगा
07:46कैसी मजबूरी
07:49लालाच होता है
07:51अब है काओ
07:53तो फिर दुनियादार बने रहो
08:00पीछे से ताउजी धरे बैठे है
08:02आरी बात समझ मैं
08:09हीनता नहीं होती स्वार्थ होते है
08:14हीनता के माध्यम से
08:18कुछ मिल रहा होता है
08:20ये मत देखो कि हीनता से
08:22नुकसान क्या हो रहा है
08:23तुम यहाँ पर एक तरह से
08:25शोशित बनकर प्रदर्शित कर रहे हो
08:28तुम विक्टिम बनकर दिखा रहे हो
08:32पताओ तुम्हारा फाइदा क्या हो रहा है।
08:34तुम्हारा जरूर कोई फाइदा है हीन बने रहने में तुम इसलिए हीन बने गुए हो।
08:38वो फाइदा छोड़ दो, हीन नहीं रहोगे।
08:41ये फाइदा था।
08:44छोड़ दिया, मुक्तू।
08:48जो भी चीज आपको सता रही है, उसमें आपकी सहमती शामिल है।
09:17और ये बात ये, जो तुम्हें पीछे पढ़के दुखी भी कर रहे हैं, मान लो, जैसे कहते हैं, कि सांड पीछे पढ़ता है, लाल रंग के, लाल के नहीं पीछे पढ़ता हूँ, उसको दिखता ही नहीं ये लाल, पर मान लिया, ये पढ़ता है, और तुम कहरे हो अभी नई
09:47अनासक्ति का क्या आर्थ होता है विवेक वैराग्यमाने क्या होता है लाल शर्ट उतार दो सांड की सींग पर डाल दो उल्जातु हनीमून मना मुझे मुक्त कर
10:00ये थोड़ी कहो कि मैं सांड से हीन हूँ
10:07स्वार्थ छोड़ दो कैसी हीनता
10:17अपनिशाद इतना समझाते है न तुम अनन्थ हो जो अनन्थ है वो किसी से छोटा हो सकता है क्या
10:29जो अनन्थ है वो दुर्बल हो सकता है क्या
10:33तो दुर्बलता फिर क्या है अहंकार ही दुर्बलता है अहंकार ही विवश्टा है अहंकार ही हीनता है
10:41अहंकार मने
10:45स्वार्त लालच
10:48कहीं से जा करके कुछ ले लो
10:52किसी से कुछ मिल रहा है मिलता रहे
10:55मैं बहुत हीन हूँ
11:03अच्छा कैसे हीन अनुभाव करते हो
11:05मैं भी कॉलेज स्टूडेंट हूँ अच्छा
11:07तो जैसे आप यहां इतने लोग के सामने बोल रहे हो
11:11मुझे कभी किसी के सामने कुछ बोलना पड़ता है
11:13बीस लोग के सामने भी
11:14मेरे टांगे कापने लगती है मैं क्या करूँ
11:19I feel so inferior
11:20अच्छा
11:22अपने घर में दीवार के सामने भी बोलते हुए
11:27टांगे कापती है क्या
11:29बोलो
11:30तो टांगों में कमपन क्या बोलने की ओज़े से हो रहा है
11:34अगर बोलने की ओज़े से हो रहा होता
11:36तो अपने घर में सिर्फ दीवार है
11:38घर में दीवार है उसके सामने बोल रहा होता है
11:40तब भी कमपन हो रहा होता है
11:42तो टांगे क्यों काप रही है
11:45बोलो
11:48क्योंकि सामने ये जो बीस बैठे है
11:53तुम्हारा लाल अच्छ है उनकी तालियों में
11:57तुम्हें उनसे कुछ चाहिए
11:59इसलिए तुम्हारी टांगे काप जाती है
12:00जिस दिन ऐसे हो जाओगे कि मैं यहां पर सच बोलने आई हूँ
12:05तुम्हें ताली देनी ओ, ताली दो, गाली देनी ओ, गाली देनी ओ, भगना ओ, भग जाओ
12:10उस दिन टांगे नहीं कापेंगी
12:12कोई inferiority complex नहीं रहेगा
12:14पर स्वार्थ है
12:17स्वार्थ क्या है? सब फिर मेरे को cool बोलेंगे
12:20ए, see how eloquent
12:22मेरी campus में अच्छी image हो जाएगी
12:26है ना? नहीं चाहिए अच्छी image
12:31image रखो जेब में
12:32जो मुझे बोलना है मैं बोलूँगी
12:35मैं न तो तुम्हें खुश करने आई हूँ
12:38और न तुम्हें हर्ट करने आई हूँ
12:40मैं यहां सच बोलने आई हूँ
12:43अब बताओ कौन सी inferiority, कौन सा fear
12:46है कुछ? है?
12:48है?
12:51अकेले में बोलते हुए जब तुम नहीं
12:54inferior अनुभव करते
12:55तो public speaking में
12:57inferiority complex कहां से आ गया? सोचो
12:59तो सही
13:00बैठते हो और मालू में
13:04क्या करते हो? लोगों की आँखों में देखने लगते हो
13:06am I good? am I good enough?
13:08am I fine? do you approve of me?
13:11यही होता है न?
13:11क्यों चाहिए किसी से approval?
13:14क्यों चाहिए? और जो तुमें
13:16approval देगा वो तुमसे
13:18भी कुछ लेगा न? यह तो tit for tat है
13:20आत्म ग्यान में स्वयम को
13:27खुद ही जान जाते हैं फिर दूसरों
13:30की नजरों में अपनी
13:31पहचान नहीं तलाश नहीं पड़ती
13:33फिर यह नहीं पूछते
13:35Am I okay? What do you think of me?
13:38फिर किसी से नहीं पूछना पढ़ता
13:39What do you think of me?
13:41आईना है न? आईना बता देगा
13:42What do I think of myself?
13:47आपने आरे यह बात?
13:52I feel so inferior
13:53next to the hot chick in college
13:56अच्छा
13:58Why do you feel inferior? क्या हो गया?
14:00वो सांस ज्यादा ले पाती है
14:01जब धूप खिलती है
14:03तो उस पर धूप ज्यादा पढ़ती है
14:04ऐसा कुछ होता है
14:06Why do you feel so inferior to that hot chick?
14:09क्योंकि जो बंदा मुझे पसंद है
14:11जब मैं उस hot chick के साथ होती हूँ
14:14तो बंदा उस chick को देखता है
14:15तो मैं आ रहा है?
14:17इन्फिरोरिटी कहां से आ रही है?
14:18कोई inferiority नहीं है
14:19स्वार्थ है, काम ना है
14:21नहीं तो प्रकृति भर है भाई सब
14:28घास के तिनकेओं कभी देखा बोलते हुए
14:30कि पीपल के पेड के सामने
14:32मुझे बड़ी हीनता अनुभव होती है
14:35सुना?
14:37होता है क्या कभी?
14:38कुछ नहीं होता
14:39हमने तो यह देखा है
14:41बिल्ली और कुटा होते हैं
14:43तो बिल्ली कई बार कुटे को जापड मार देती है
14:45जिन लोगों के पास होंगे
14:46महावे नहीं सोचती है
14:48मैं छोटी हो बड़ी होता
14:49निकल
14:49महावे क्योंकि उसे कुछ चाहिए नहीं
14:54पर बगल में होट चिक होती ही
14:58करते हो हो सेक्सी अच्छी लोग है
15:00वो बंदा नहीं होता
15:03तो इंफिरिटी नहीं होती
15:04तुम्हें इंफिरिटी उस बंदी के जैसे नहीं होई है
15:06उस बंदे के जैसे होई है
15:07क्योंकि वो उस बंदे की कामना तुम्हें भी है
15:10और वो बंदा भी सेक्स का पुझा रही है, उसको इस लड़की की कामना है, यह सेक्सी वाली, अब आप भी सेक्सी बनने कोशिश करोगे, जबरदस्ती, यहाँ पर पोतो गए, यह करोगे, कितना भी पोत लो, अब उस जैसी लग नहीं रही, तो कहरी हो, I feel so inferior, यह मत पोतो,
15:40वो जो फाल्तू में उसकी लड़के की, तुमने अपने उपर चढ़ा रखी है, प्रेतात्मा, उसको उतारो, कोई inferiority नहीं है,
16:02हमारी कम्यूनिटी में बहुत हैं, मैं क्या करूँ, मैं मजबूर हूँ,
16:10एस अंस्थावाले की लasant करिके कि मजबूरी समझते ही नहीं,
16:13तो मजबूर नहीं हो, तो मतलबी हो, और इसले हम कुछ नहीं समझेंगे,
16:18और हम भी तुम्हारी तरह यह मजबूरी करह रो रहे होते हैं तो आज यह नहीं हो रहा होता है,
16:22यहां पर कोई आसमान से नहीं उतरा है ना जंगल से निकला है
16:36यहां भी अगर 200-200 लोग है तो सब के परिवार हैं
16:40और सब इंसान हैं, सब की वृत्तिया हैं
16:42सब इसी समाथ से आए है
16:44समाथ के प्रभाव यहां भी पढ़ते हैं
16:48तिहारों के दिन हें यहा भी आते हैं, पर हम फैसले अलग लेते हैं, रोते नहीं है कि हम मजबूर हैं, radical कि अपने सौारत के पक्षें फैसला है लेना चाहते हो तो लो पर सीधे बोलो कि हम सवारत ही हैं मतलब ही हैं, यह क्यों बोल रहा हो मजबूर हैं, कोई आके बोलो कि I am
17:18है चालाग भी है उसे सानुभूते भी बटोरनी है
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