00:00आज इस चर्चा को प्रधान मंत्री जी ने शुरू किया उन्होंने भाशन दिया और इसको कहने में कोई जिजक नहीं है कि भाशन अच्छा देते हैं फोड़ा सा लंबा लेकिन भाशन अच्छा देते हैं
00:19अगराप इजाजत दे तो मैं बोलूहूं एक कमजोरी है अहां उसी पर बोल रहे हैं बन्दे मातरम पर बोलबाद है अब सर मैंने तारीफ कर ली खुड़ा ओठाश बड़ी भाशन आज दिशे बन्दे मातरम काया तो हम बन्दे मातरम पर रहें ठीक गए गाए है अच्छा �
00:49पहाशन बहुत अच्छा देते हैं लेकिन तथ्यों के मामले में कमजोर पड़ जाए इसमें भी एक कला होती है कि तथ्यों को किस तरह से जनता के सामने रखा जाए मैं तो नहीं नहीं हूँ जनता की प्रतिनिधी हूँ कलाकार तो नहीं हूँ
01:10किसी लिए मैं भी सदन के सामने कुछ तथ्यों रखना चाहती हूँ लेकिन सिर्फ तथ्यों के रूप में रखना चाहती हूँ
01:20ऐपैं कि मैं उधारन दो मैं उधारन दो दो
01:29मुद्हारन देती हूँ शर मांग रहे हैं जट सर्व देन कि बंदेन आतर म के बारे में वंदेन बात रेम की जो सालिए पर आपने बड़ा कारिक्रम आयोजित � kiya था उसमें प्रदान मंत्री जी ने भाशन दिया
01:47उसमें उन्होंने का कि 1896 में पहली बार गुरुदेव रबिंदरनाथ टगौर ने ये गीत एक अधिवेशन में गाया
01:59उन्होंने ये नहीं बताया कि कौन सा अधिवेशन था
02:04महासभ हिंदू महासभा का अधिवेशन था
02:07RSS का अधिवेशन था
02:10किस बात से कत्रा रहे थे कि ये कौन्गरेस का अधिवेशन था
02:14और उधारें दू कि मैं अपना भाशन जारी रखो
02:22आप दे रही हो अरे दे रही हो जो वन्दे मातरम की जो क्रोनोलजी है
02:32वो भी आप समझेए जो असली क्रोनोलजी है
02:361875 में महाकवी बनकिम चंद्र चत्तो पाध्या ने इस गीत के पहले दो अंतरे लिखे
02:45जो आज हमारे राष्ट्रगीत घोशित हुए हैं मतलब जो घोशित हुए थे और जिसको हम आज अपना राष्ट्रगीत कहलाते हैं
02:56यह पहले दो अंतरे लिखे 1882 में साथ साल बाद उनका एक उपन्यास प्रकाशित हुआ आनंद मठ उस उपन्यास में यही कविता उन्होंने प्रकाशित की लेकिन इसमें चार अंतरे जोड़ दिये
03:141896 में कॉंग्रेस के अधिवेशन में गुरुदेव रबिंद्रनाथ टगौर ने पहली बार ये गीत गाया
03:261905 में बंगाल के विवाजन के खिलाफ अंदोलन के समय वंदे मातरम जनता की एकता की गुहार बनकर गली गली से उठा
03:39गुरुदेव रबिंद्रनाथ टगौर जैसे महान स्वत अंतरता से नानी इस गीत को खुद गाते हुए बंगाल की सडकों पे उत्रे
03:48विद्यारतियों से लेकर किसानों तक व्यापारियों से लेकर वकीलों तक हर कोई ये गीत गाने लगा
03:56इस गीत की शक्ति को समझे ब्रिटिश सामराज इसको सुनकर कापता था और हमारे देशवासी इसको सुनकर वे मन बनाते थे वे हिम्मत बनाते थे
04:10कि इस भयंकर सामराज के खिलाफ सत्य और रहंसा के नैतिक हस्तियारों को लेकर शहीद होने की तयारी करते थे
04:18ये गीत मात्रिभूमी के लिए मर मिटने की भावना को जगाता है
04:24इस गीत की शक्ति ये है इस गीत का हमारे देश से जुड़ाव ये है
04:31लेकिन 1930 के दशक में हमारे देश में जब सामप्रदाइक राजनीती उभरी तब ये गीत विवादित होने लगा
04:411937 में अब ये मैं दूसरा उधारन देने वाली हूँ
04:45क्योंकि प्रधान मंत्री जी ने अपने भाशन में इसका उलेक किया और गलत किया
04:51इसलिए मैं इसके जो सचे जो तथ्य है वो आपके सामने रख रही हूँ
04:561937 में नेता जी सुभाष चंद्रबोस कॉंग्रेस का अधिवेशन कलकत्ता में होने जा रहा था
05:05उसका आयोजन कर रहे थे
05:06तो जो मोदी जी ने पत्र लिखकर पत्र सुनाया सदन में 20 अक्तूबर का और कहा कि जवाष लाल नेहरू जी ने बोस नेता जी को एक चिठ्थी लिखी और ये कहा
05:22कि इस पर चर्चा होनी चाहिए उससे पहले तीन दिन पहले नेता जी शुभास चंद्रबोस ने पंडित जवाहलाल नेहरू को एक चिठ्थी लिखी थी
05:33जिसका जिकरह आपके प्रधान मंत्री ने नहीं किया और इस चिठ्थी में इस चिठ्थी में सुन लीजेगा
05:42सुन लीजेगा
05:44सुन लीजेगा
05:50आप नेताजी के लफज नहीं सुनना चाहते
05:54बंगाल का चुनाओ आ रहा है
05:58सुनिये, सुनिये, सुनिये
06:04कोई बात ने
06:08हम तो देश के लिए है
06:10हम देश के लिए हैं
06:14आप चुनाओ के लिए हैं हम देश के लिए हैं
06:18हम जितने भी चुनाओ हारे हम यहाँ बैठे रहेंगे
06:22और आपसे लड़ते रहेंगे और आपकी विचारदारा से लड़ते रहेंगे
06:26अपने इस देश के लिए
06:28अपनी स्मिट्टी के लिए लड़ते रहेंगे, आप हमें रोक नहीं सकते हैं.
06:36सुन लीजिए सुबास चंदर बोश जी ने क्या कहा, सुन लीजिए,
06:40सुन लीजिए, मैई दियर जवाहर, मैई दियर जवाहर,
06:45रफेरेंस बंदे मातरम,
06:48we shall have a talk in Calcutta,
06:50and also discuss the question in the working committee,
06:52if you bring it up there.
06:55I have written to Dr. Tagore to discuss this matter with you
06:59when you visit Santini Ketan.
07:01Please do not forget to have a talk with him when you visit Santini Ketan.
07:05ये सत्रा अक्तूबर को लिखी जाती है,
07:09दस अक्तूबर को नहरुजीज का जवाब देते हैं,
07:15और आप के प्रश्टूबर को,
07:17माफ करिये, बीस अक्तूबर को,
07:20ये सत्रा अक्तूबर को नहरुजीज का जवाब देते हैं,
07:27इस जवाब की एक पंक्ती प्रधान मंत्री जी ने सुनाई,
07:31बाकी पंक्तियां क्यों नहीं सुनाई,
07:33क्योंकि उनमें नहरुजी क्या कह रहे हैं,
07:36there is no doubt that the present outcry against Bandi Maatram
07:40is to a large extent a manufactured one by the communalists.
07:45whatever we can do, whatever we do,
07:52we cannot pander to communalist feelings,
07:55but to meet real grievances where they exist.
08:01I have decided now to reach Calcutta on the 25th morning.
08:06This will give me time to see Dr. Tagore as well as other friends.
08:11You understand?
08:14Pradhar?
08:16चुप है?
08:17तो समझी गए होंगे.
08:18फिर क्या होता है?
08:20फिर क्या होता है?
08:22फिर नहरुजी कलकत्ता जाते हैं और गुरुदेव जी से मिलते हैं.
08:26और उसके अगले दिन,
08:28गुरुदेव जी एक चिठी लिखते हैं,
08:30जिसमें वो लिखते हैं.
08:32अंग्रेजी में चिठी है, उसका एक अंच मैं आपको हिंदी में बता दिती हूँ.
08:37जिसमें गुरुदेव जी कहते हैं,
08:40कि जो दो अंतरे हमेशा गाए जाते थे,
08:44उनका महत्व इतना गहरा था,
08:47कि उस हिस्से को कविता के शेश हिस्से,
08:50तथा पुस्तक के उन अंशों से अलग करने में उन्हें कोई कठिनाई नहीं थी.
08:56उन्होंने ये कहा,
08:57कि स्वतंतरता संग्राम में हमेशा से वही दों अंतरे ही गाए जाते थे,
09:02और उनको गाते हुए कुर्बानी देने वाले सेकडों शहीदों के सम्मान के लिए,
09:07उन्हें ऐसे ही गाना उचित रहेगा.
09:10उन्होंने यह भी कहा,
09:11कि बाद में जोड़े गए अंतरों का सामप्रदायक माइना निकाला जा सकता है,
09:17और उस समय के माहोल में उनका इस्तमाल अनुचित होगा.
09:22इसके बाद,
09:24इसके बाद,
09:2528 अक्तूबर 1937 में,
09:27कॉंग्रेस की कार्य समिती ने अपने प्रस्ताव में वंदे मात्रम को राश्ट्रगीत घोशित किया.
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