00:00मैं निदर लेंड्स में था, वहाँ पर एक कैफे में बैठा हुआ था, वहाँ पर मुश्किल होता था मिलना शाकहारी, तो उससे बाचीच चल रही है, कोशिश चल रही है कि वहीं पर जो मेन्यू में उसमें से किसी चीज को वो बिना मास्के बना दे, कि शेफ था उनका, वो
00:30वो मस्त है अपनी दिंदगी में, मौसम अच्छा है, मस्त है, वो पुलकित है, घास चर रहा है, मुझे क्या पढ़ी है उसकी जान ले लूँ, वो भी किसलिए है कि मुझे पेड़ भरना है, इससे अच्छा भूखा न मर जाओं मैं, ये बात किसी बहुत गहरे सिधान से भ
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