00:04आधनिया अध्यक्ष महुदेग मैं बंदे मात्रम के 150 वी जैन्ती पर
00:22इस मेत्वपूर्ण चर्चा में भाग लेनी के लिए खड़ा हूँ
00:30और अपने वक्तविय के शुरुवात में मैं बंगाल के उस पवित्र भूमी को नमन करना चाता हूँ
00:41जेज भूमी से ईश्वा चंद्र विद्या सागर आए राजा राम मोहन रोई जी आए बनकिम चंद्र चाड़े जी आए
00:52स्वामी वेवेकानंद जी आए औरविंदो गोष जी आए खुदी राम बोस आए
00:58कभी नस्रूल इसलाम जी आए रविनना टगोर जी आए और सुबास चंद्र बोस जी आए
01:05वाकई में बंगाल की इस पवित्र भूमी में एक अद्बुत ताकत है
01:16जिस भूमी ने हमारे देश को ना सिर्फ हमारा राष्ट्रगान दिया लेकिन राष्ट्रगान के साथ हमें राष्ट्रगीद भी दिया
01:31और कहीं न कहीं मैं इस समय पर क्यूंकि स्वतंत्रता सेनानियों का उले किया गया
01:42स्वतंत्रता संग्राम का उले किया गया उस समय के कवी लेखक जिनों ने ऐसे शब्दों का प्रयोग किया
01:56ऐसे कविताय रची ऐसे गीत रची जिन गीतों के साथ जिन शब्दों के प्रेणाओं के साथ लाखों के तदाद पर सुतंतता सेनानियों ने अंग्रेजों का जुन सेनरी की ताकत मिली
02:18वे ऐसे शब थे वे ऐसे गीत थे मन्दे मातरम रबिना टगोर जी के वे दे माइंड इस विदाओट फियर वो गीत जंडा उचा रहे हमारा वो गीत सरफरोशी की तमन्ना वो गीत बिद्रो वो गीत इंकिलाब जिन्दाबाद
02:45वो स्लोगन करो या मरो जे हिंद सत्यमेव जैते भारत छोरो ऐसे कई नारे थे ऐसे कई गीत थे जिन गीतों ने जिन शब्दों ने
03:00हमारे सतंतता संग्राम में हमारे भारत के समाज को ताकत दी
03:06बदने बातरम के इतिहास की और उसकी जंग की बात आधरन ये प्रदान मंतरी मोदी जी ने की
03:15हाँ जो मंगल पांडे का जो विद्रो था उस विद्रो के विफलता के बाद भारत में एक बेचेनी थी और अंग्रेजों का जुल्म और बढ़ गया था
03:30और ऐसे वक्त में 1872 में मनकम चंद्रचड़ जी ने जो पूरे बंगाल में एक जो रेनेसांस चल रहा था जो भाषा के संदर्व में जो एक क्रांती चल रही थी उस क्रांती में वो भी एक महत्वपून धारा थे
03:48जिस क्रांती में राजारा मोहन रौई भी थे जिस क्रांती में ब्रह्मो समाज भी था और उन्होंने 1872 में वो पहले दो पंक्ती लिखे जो आज हमारे राश्टगीत के भाग में हैं
04:021872-75 के बाद लगबग 9-10 सालों के बाद उन्होंने आनन्द मत लिखा जहां पर उन दो पंक्तियों में उन्होंने और कई पंक्तिया जोड़ी और आनन्द मत की आनन्द मत की संदर्ब में लिखा गया
04:20आनन्द मत उस अंदर्ब में लिखा गया जिस समय इस इंडिया कंपनी इस प्रकार के टैक्स हमारे किसानों पर लगा रही थी कि जीना बहुत मुश्किल हो गया था
04:40लेकिन वाकई में ये जो एक गीत था जो आनन्द मत में उलेखे था बास्तविक रूप में ये नारा कब बना
04:53इसकी शुरुआत हुई गीच से
04:56लेकिन ये इसकी एविलूशन
05:00इसका पुर्ण पुर्ण जनम
05:03एक नारा के दौरा
05:05एक राजनेतिक नारा के दौरा
05:071905 में हो
05:091905 में
05:11वाईसियरोई करजर ने
05:13बंगाल के
05:15दो भाग करके
05:17सोचा
05:19कि इस पर इसके दौरा
05:21वो बंगाल और
05:23बंगाल के दौरा पूरे भारत पर
05:25एक घेरी चोट डालेंगे
05:28लेकिन
05:29यहीं उनकी गलती थी
05:31अगर मैं देखूं
05:33कि आदोनिक स्वतंतता संग्राम
05:36में
05:37वो कौन सा पल था
05:39जिस पल से
05:41भारत के
05:43स्वतंतता संग्राम में एक नई ताकत आई
05:45वो 1905 के उस स्वदेशी आंदोलन से था
05:50जो स्वदेशी आंदोलन
05:52बंगाल के पार्टेशन विभाजन के बाद
05:55उजागर हुआ
05:56और उसमें जैसे
05:58इतिहास में
06:00हमने पढ़ा है
06:01कि औरोबिंदो गोश जी को एक ताकत मिल
06:04बंदे मातरम का वो जर्नल
06:07और उसके द्वारा
06:09जुगांतर पार्टी
06:11के द्वारा ये मेसेज गया
06:16कि हमें
06:18भारत को
06:18एक नई दृष्टी से
06:20एक नई ताकत से
06:22एक नई मंथन के द्वारा
06:24हमें विद्रो करना है
06:25और यही बात
06:27आने वाले समय में
06:30पूरे प्रदेश में
06:32ये फैला
06:34और व्यापक रूप से फैला
06:36और ये बहुत
06:38इस पूरे वंदे मातरम की जो यात्रा है
06:41इस यात्रा को अध्यान करना
06:43बहुत जरूरी
06:44कि कहीं बंगाल में
06:46बंगाल के भाषा के क्रांती से निकला
06:49ये गीत
06:51जो दस वर्ष बाद आनन्त मत के नौवल में
06:55इसमें और पंक्तिया जोडी गई
06:57बंगाल में एक राष्ट्र नारा बना
07:001905 में
07:02और ऐसी प्रेढ़ना मिली
07:04जिस प्रेढ़ना से पूरे भारत में
07:07वो व्यापक रूप से प्रचारित हुआ
07:09प्रचार होने के
07:12कई माध्यम थे
07:13अधर्निय प्रधान मंत्री जी ने
07:16ग्रेमबो फोन का उलेक किया
07:17लेकिन पैंफलेट और पब्लिकेशन का भी
07:20यह बहुत महत्वपून भूमिका थी
07:21यह पैंफलेट और पब्लिकेशन के द्वारा
07:24बंगाल का यह नारा
07:26गया पंजाब में
07:28गया महराश्टरब में
07:30गया मदरास में
07:32ट्रांसलेशन के द्वारा
07:34अधर्निय सुब्रहमानियम भारती
07:36ने जिस प्रकार से
07:381905 में इसकी ट्रांसलेशन की
07:401908 में इसकी ट्रांसलेशन की
07:43तो कही जगा पे
07:44ये कंड़ में
07:46टामिल में तेलुगू में
07:48अलग-अलग भाशाओं में
07:50आनन्मत और आनन्मत के द्वारा
07:52पूरे बंदे मात्रम की जो व्यक्या है
07:54जो मूल भाव है
07:55पूरे देश में फैला
07:57खुदीराम बोश जी का
08:00उलेक यहाँ पे क्या
08:01और हाँ
08:03जिस प्रकार से कोट ट्रायल्स होए
08:05सिर्फ खुदीराम बोश जी का नहीं
08:08और अब इन्दो घोश जी के भी
08:09कोट ट्रायल्स से
08:10पूरे देश को
08:12यह दिश्य देख रहा है
08:14कि किस प्रकार से
08:16वंदे मात्रम के दुआरा
08:17हमारे स्वतनतता सेनानी
08:20बिटिश का विद्रो कर रहे था
08:22और फिर
08:24सिर्फ
08:26स्वतनतता सेनानियों
08:28के बीच नहीं रहा
08:29एक व्यापक रूप से
08:31यह छात्रों के बीच में
08:33यह समा गया
08:34मंदे मात्रम का उजागर
08:37राजामूंडरी
08:39आर्ट्स कॉलेज में किया गया
08:41कोकानाडा आर्ट्स कॉलेज में किया गया
08:44गोदावरी, कृष्णा, गुंटुर तक फैला
08:47बंगलादे उस समय के
08:49माइमें सिंग सिटी कॉलेज तक पहुचा
08:51और यहां तक भी नहीं
08:54बाहर जब
08:55जो हमारा तिरंगा ज़ज
08:58जब 1907 में
09:00पूरे विश्वे में
09:02प्रकाशित किया तो उस
09:04तिरंगा जंडा में भी
09:07बंदे मात्रम उलेके था
09:09कला के द्वारा भी
09:12अब अने द्रात ठगोर
09:15उन्होंने एक पेंटी के
09:17एक चित्र
09:19इस पे इससे
09:21प्रेडला लेते हुए किया
09:23तो कहीं न कहीं हमारे पूरे स्वतंतता
09:26संग्राम में
09:27कला साहितिक
09:29का एक बहुत महरपून भाषा
09:31और बहुत महरपून भूमी का रही है
09:33राजनेतिक नारा से
09:36जैसे की
09:38कहा गया
09:39राष्ट्र में इसको एक राष्ट्र
09:42तवज्य मिनने
09:43लगा और इस
09:46बंदे मात्रम को सिर्व एक
09:48राजनीतिक राना नारा नहीं
09:50लेकिन राष्ट्र गीत से
09:52इसको देखा जाए
09:54ये तवज्यू ये महत्व
09:55अगर कोई किसी राजनेतिक दल ने दिया तो वो कॉंग्रेस पार्टी है कॉंग्रेस पार्टी ने जब 1905 का स्वदेशी आंदोलन भी नहीं हुआ
10:091896 में कलकत्ता में कॉंग्रेस के अदिवेशन में गुरुदेर अबिदला टगोर जी ने
10:17खुद वंदे मातरम को एक मधूर वानी में उन्होंने उसका गीत प्रदर्शत किया
10:25और बाद में उन्होंने एक चिट्थी में लिखा भी पंडित नहरु को
10:30that the privilege of originally setting the first stanza of वंदे मातरम to the tune was mine
10:38when the author was still alive
10:40और कहीं न कहीं ये भी बताने की बहुत जरूरत है कि रबिनला टगोर जी बंकिम चंदर चाड़े जी को
10:48बहुत करीबी से उनको बिले और बंकिम चंदर चाड़े जी ने काफी समर्थन भी रबिनला टगोर जी को दिया
10:581905 में स्वधेशिय अंदोलन भी हुआ
11:02और 1905 में कॉंग्रेस का बनारस में अधिवेशन हुआ
11:07जिस बनारस के अधिवेशन में अध्यक्ष्ट कर रहे थे जी के गोखले साप
11:12और दुबारा 1905 के उस बनारस के अधिवेशन में
11:16सर्ला देव चोधरी जी ने
11:19वंदे मात्रम का गीत प्रदर्शत किया
11:23लेकिन इस 1905 के बनारस के दिवेशन में
11:26उन्होंने वंदे मात्रम में एक बहुत ही महत्वपून संसोधन वो लाए
11:31वो संसोधन क्या था जनसंख्या की
11:36जो ओरिजिनल वंदे मात्रम था
11:39उस अंदर मात्रम में जिस जनसंख्या का उजागर किया था वो था साथ करोर का
11:47क्योंकि उस समय बंकिम चंदर चड़े जी जिस संदर्ब में लिख रहे थे
11:53तो वो बंगाल की संदर्ब में लिख रहे थे जिसमें बिहार भी था उडिसा भी था असम भी था
11:59और इसलिए उस संदर्प में उन्होंने लिखा साथ करोर। लेकिन जब 1905 में बनारस का दिवेशन हुआ उस 1905 के दिवेशन में सरला देव चोधरी जी ने उस साथ करोर को तीस करोर करके पुरेक राष्ट्यक का तवज्यू मंदे मातरम को दिया।
12:18और वैसे ही महात्मा गांदी ने इंडिया उपिनियन में उन्होंने लिखा और 1907 में और अबिंदो गोष्ट ने संधिया के मैगजीन में लिखा कि वी वांट स्वराज पर आल संस अफ मदर इंडिया।
12:35और अब अब आते हैं जो मूल बात आधर ने प्रधान मंतरी मोदी जी ने कही।
13:05कि आपके राजनेतिक पूर्वज खुद बिटिश के खिलाफ लड़ रहे थे।
13:10ऐसे लग रहा था कि आपके राजनेतिक पूर्वज ने बिटिश के खिलाफ विभेन आंदोलों में भाग लिया।
13:20तो ये जो इतिहास को दुबारा लिखने की रिवाइस करने की जो मंशा आज प्रधाल मंतरी मोदी जी की बाशन में मुझे सुनाई दे
13:30सर मैं आपके साथ तो मैं वितर वितर करने आया नहीं हूँ
13:35और दूसरा और दूसरा जो उद्धेश्य था
13:40कि एक राजनितिक रंग इस पूरे वंदे मात्रम के चर्चा को देने का था
13:49उन्हें ने उजागर किया कॉंग्रेस वर्किंग कमिटी का और पंडिट नहरू जी का
13:54और ये एक आदत है सर ये मेरे पास एक टेबल है कि जब जब प्रदान plantingada मोदी जी किसी भी विशे
14:02पे पोलतے है तो पंडिट नहरू जी का नाम कितने बाइ लेते हैं और कॉंग्रेस परटी का कितने बाद लेते ज़ाएं
14:08मैं बस एक ही उदाने देना चाहता हूँ कि इससे पहले ओपरेशन सिंदूर का डिबेट में हमने आधर्णिय प्रदान मंत्री मोधी जी को सुना क्या आप जानना चाहेंगे कि पंडिट नेरू का नाम कितने बार उन्होंनों लिया 14 बार ओपरेशन सिंदूर पे 16 बार उन्ह
14:38जा रहा था तब 10 बार पंडिट नेरू जी का नाम लिया और 26 बार कॉंग्रेस पार्टी का ओस प्रकार से जब 2022 में जब राश्रपती अभीवाशन पे जब राश्रपती अभीवाशन पे प्रदान मंत्री मोधी जी अपना बात रख रहे थे तो 15 बार पंडिट नेरू का �
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