00:00ुपारे पिता जी को संडे को बोखार आया और बीमार हो गए और फिर इतनी तब खराब हो गए उनको तीहीं भरती करा अपनाग पुल ले गए तो धर से वो बच के ही नहीं आपाए उनका नाम दालचंद बालमी की था
00:16तो लोग कितनी बेहने हों भाई नहीं हैं क्या करते थे पता जी आपके पक्के में थे की कच्छे में भी नहीं हैं भाई नहीं हैं हम लोग साथ बेहने हैं
00:36कर दो लोग यह है लड़की है उनकी छो तो लिचे में परकर पी होजह चोटी-चोटी वाली भेहन है और उस ईस से बड़ी है था पांच ओडी है दो हमोगी हैं पांच गर पे हैं
01:04Now what do you want to do with Satsan?
01:06We want to get a job of working with our house.
01:11Because we were here with our father.
01:15Who is this?
01:17What happened to his father?
01:19He came to the house and came to the house.
01:23That's why.
01:25He was in the house.
01:27He was in the house in Nagpur.
01:29He came to the house and then came to the house.
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