00:00अंग्रिजों ने बंगाल विभाजन के साथ ही भारत को कमजोड करने के बीच और अधिक बोने की दिशा पकड़ ली थी लेकिन बंदे मात्रम एक स्वार एक सुत्र के रूपे अंग्रिजों के लिए चनोती बनता गया और देश के लिए चत्तान बनता गया
00:28अधर नियद्धिक जी बंगाल का विभाजन तो हुआ लेकिन एक बहुत बड़ा स्वदेशी अंदोलन खड़ा हुआ
00:41और तब बंदे मात्रम हर तरब गुंज रहा था अंग्रेज समझ गए थे कि बंगाल की धर्ती से निकला
00:55बंकिम दा का ये भाव सुत्र
01:00आपकी बावनाओं के लिए मैं आदर करता हूँ आपको तो दादा कह सकता हूँ ना उसमें भी आपको इत्राज हो जाएगा
01:27गा। � बंगे बाव उने ये जो भाव विश्व तयार किया था उनके भाव गीट के दोआरा उन्हों ने
01:44अंग्रे जो को हिरा दिया और अंग्रेजों ने देखि कितनी कमज़ोरी होगी
01:51और इस गीत की ताकत कितनी होगी अंग्रेजों ने उसको कानूनी रूप से प्रतिबंद लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा था
02:01गाने पर सजा चापने पर सजा इतना ही नहीं बंदे मातम शब्द बोलने पर भी सजा इतने कठा कठोर कानून लागू कर दिये गये थे
02:20हमारे देश की आजहादी के आंदो नुद में
02:22सेक्रों महिलाओं ने नित्रुत्व किया लक्षावदी महिलाओं ने युगदान दिया
02:29एक घट्ना के मैं जिक्र करना चाहता हूँ
02:35बारी साल
02:38बारी साल में बंदे मात्रम गाने पर सर्वादिक जुल्म हुए थे
02:52बारी साल आज भारत का हिस्सा नहीं रहा है
02:58और उस समय बारी साल के हमारी माताए बेहने बच्चे मैदान में उत्री थी
03:08बंदे मात्रम के स्वाभिमान के लिए
03:13इस प्रतिबंद के विरोध में लड़ाए के मैदान में उत्री थी
03:18और तब बारी साल की एक विरांगना स्रीमती सरोजिनी भोष जिन्हों ने उस जमाने में वहां की भावना को दिखिये
03:35और उन्होंने कहा था कि बंदे मातरम जो प्रतिमन लगा है जब तक ये प्रतिमन नहीं हडता है
03:46कि मैं अपनी चूडिया जो पहंती हूं निकाल दोगी भारत में वह एक जमाना था चूड़ी निकालना याने मां महिला के जीवन के बहुत बड़ी घट्ना हुआ करते हैं लेकि उनके लिए वंदे मातरम की वह भावना थी उन्होंने अपनी सोना की सोने की चूडिया जब त
04:16ऐसा बड़ा ब्रत ले लिया था हमारे देश के बालग भी पीछे नहीं रहे थे उनको कोड़े की सजा होती थी छोटी-छोटी उम्र में उनको जेल में बंद कर दिया जाता और उन दिनों खास करके मंगाल की गलियों में लगातार बंदे मातरम के लिए प्रभात फिरिया �
04:46अर उसमें गीद गुंता था बंगाल में जाय जाबे जिवोनों चोले जाय जाबे जिवोनों चोले जोगो तो माजे तुमार काजे बंदे मातरम बोले
05:06अर्धार हेमा संसार में तुम्हारा काम करते और बंदे मात्रम कहते जीवन भी चला जाए तो वो जीवन भी धन्य है ये बंगाल की गलियों में बच्चे कह रहे
05:25ये गीत उन बच्चों की हिम्मत का स्वर्धा और बच्चों की हिम्मत ने देश को हिम्मत दी थी बंगाल की गलियों से निकली आवाज देश की आवाज बन गई थी
05:44कि 1905 में फरीदपूर के गाउं में पाच छोटी शोटी उम्मर के बच्चे जब बंदे मात्रम के नारे लगा रहे थे अंग्रेजों ने बेह रहमी संपर कोड़े मारे थे
06:07कि यह एक प्रकार जीवन और मृत्य के बीच लड़ाई लड़े के लिए मजबूर कर दिया था इतना त्याचार हुआ था
06:151906 में नागपूर में निल सिटी हाई स्कूल के उन बच्चों पर भी अंग्रेजों ने ऐसे ही जुल्म किये थे गुना यही था कि वो एक स्वर से मंदे मात्रम बोल करके खड़े हो गए थे उन्हें मंदे मात्रम के लिए मंत्र का महत्मय अपनी ताकत से सिद्ध कड़े का
06:45कि बिना किसी डर के फांचे के तक पर चड़ते थे और आखरी साथ तक बंदे मात्रम बंदे मात्रम बंदे मात्रम यही उनका भाव गोश रहता था
07:03खुदराम बोस मदनलाल धिंगरा रामप्रतात बिस्मल अस्फाग उल्ला खान रोशन सी राजे निरनात लाहडी रामप्रतात बिश्वास अंगिनत जिनों ने
07:26बंदे मात्रम कहते कहते फासी के फंदे को अपने गले पर लगाया था लेकिन देखिए यह अलग-अलग जैलों में होता था
07:41अलग-अलग इलाकों में होता था प्रकिया करने वाले चेहरे अलग थे लोग अलग थे
07:48जिन पर जुल्म हो रहा था उनकी भाशा भी अलग थी लेकिन एक भारत फ्रेश भारत इन सब का मंत्र एक ही था बंदे मात्रम
08:00चटगाओं की स्वराज क्रांती जिन युवाओं ने अंग्रेजों को चलोती दी बेपी इतिहास के चमकते हुए दाम है
08:16हर गोपाल बाल पुलीन विकास घोश त्रिपूर सेन इन सब ने देश के लिए अपना बलिदान दिया
08:31मास्टर सुरिशेन को 1934 में जब फासी गी गई तब उन्होंने अपने साथियों को पत्र ही था और पत्र में एक ही शब्द की गुंज थी और वो शब्द था बंदे मात्रों
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