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00:00बार-बार संत बोलते थे ना कि वो धनसंची है जो आगे को होए उनका आशे क्या था वो कहते थे कि तुम्हारी हस्ती में जान इतनी होनी चाहिए कि तुम्हारे पास जो कुछ अ सब छिंजाए तुम सड़क पे नंगे खड़े हो जाओ तब भी तुम्हारा आत्म गौरव आ
00:30परव पर जरा भी दाग ना आए बहुत सारी बातें सिर्फ इसलिए सच हो जाती हैं क्योंकि कभी पर्खी ही दूँगे नहीं तो गलत को गलत मानने में कोई काय को डरेगा लेकिन हमारी कहीं गलती पकड़ जाती तेका चेहरा कैसे लाल हो जाता है क्यों
00:43प्रणाम अचारे जी बचपन में लगता था कि खुद में कोई कमी नहीं है कोई अपूर्णता नहीं है फिर धीरे धीरे समाज ने सिखा दिया कि हम अधूरे हैं अपूर्ण हैं और अभी बहुत कुछ हासिल करना है
01:02मैं जीवन भर अपने को अपूर्ण अधूरा मान कर संगर्श करता रहा अब मैं फिर से वो बचपन जैसी पूर्णता दुबारा हासिल करना चाहता हूं
01:11मैं चाहता हूं कि स्वेम में पूर्ण रहूं और मुझे किसी पर आश्रित न रहना पड़े धन्यवाद अचार जी
01:19जो बच्चे की पूर्णता है वो नकली होती है
01:29यह कहना कि बच्चा अपूर्ण नहीं है
01:36लगभग वैसा ही है जैसे कोई कहे कि
01:46छोटा बच्चा पैदा हुआ उसके दाथ नहीं है
01:49एकदम अभी पैदा हुआ है 15 दिन का है उसके दाथ नहीं है
01:55या पात साल का बच्चा है उसमें कामवासना नहीं है
02:00छोटा भी बच्चा है क्या उसके दाथ नहीं होते हैं
02:08होते हैं
02:10छुपे होते हैं मसूडों के अंदर होते हैं अभी
02:14तो बच्चे में भी अपूरुणता होती है पर छुपी होती है
02:19जो चीज है पर छुपी होई है उसको वृत्ति बोलते हैं
02:24है तो पर छुपी हुई है
02:27आएगी सामने
02:30क्योंकि प्रकट होने की उसमें
02:33टेंडेंसी तो है
02:34वैसे ही पाँच साल वाला है
02:37क्या उसमें काम वासना नहीं है
02:42है छुपी हुई है
02:44और अगर आप
02:46मनों ब्याग्यानिकों के पास जाएंगे
02:49तो कहेंगे इतनी चुपी हुई भी नहीं है
02:50अगर आप उसके व्यवहार का
02:53बहुत बारीकी से आकलन करेंगे
02:55तो पता चलेगा कि
02:57है उसके व्यवहार में भी है
02:58प्रच्छन है
02:59तो बच्चे में भी
03:04अपूर्णता होती है
03:07या कम से कम अपूर्ण
03:08हो जाने की वृत्ति होती है
03:10और इसका प्रमाण ये है कि
03:12समाज उसे
03:14रजामंद कर
03:16पाता है ये
03:17मानने के लिए कि तू अपूर्ण है
03:20देखिए पूर्ण को
03:22अपूर्ण नहीं बनाया जा सकता
03:24बच्चा पूर्ण होता
03:26तो समाज, शिक्षा, परिवार
03:29ये सब मिलकर
03:30भी पूरी कोशिश करके भी
03:32उसको
03:34कभी नहीं जता पाते
03:36कि तू अपूर्ण है
03:38तो बच्चे में
03:40अपूर्णता की वृत्ति तो जन्म से
03:42ही विद्धिमान होती है
03:43बस वृत्ति सामने नहीं आ रही होती है
03:47फिर
03:48जितनी भी
03:50हमारी विवस्थाई है
03:53और हमारी पूरी
03:54प्रणालिया है जो हमारे सब
03:56चक्कर है
03:58वो उसकी उसी
04:01वृत्ति का इस्तेमाल करके
04:02उसे कुछ जता देते हैं
04:05उसे मानना पड़ेगा
04:07उसे मानना पड़ता है
04:11अब फिर
04:13प्रशना था अब उसने मान लिया मैं अपूर्ड हूं अब मैं क्या करूं
04:15बहुत तरीके से हम उसको जताते हैं कि तू अपूर्ड है
04:19मावाब यहां तक बोल देते हैं कि
04:23बेटा प्यार तुम्हें तभी करेंगे जब तुम्हारे
04:26इतने परसेंट नंबर आएंगे
04:28और छोटी सी बात
04:32तुमको मेडल तभी मिलेगा
04:35जब तुम
04:38पहले दूसरे तीसरे स्थान पे होगे
04:42यह तो हर जगे होता है ने
04:44तो आपने क्या करा है आपने
04:47एक शर्ट आरोपित कर दी है उसकी हस्ती पर
04:51आप करें तू प्रेम का अधिकारी तभी है
04:54जब तू इस शर्ट को पूरा करेगा
04:56तू सम्मान का अधिकारी तभी है
04:58जब तू इस शर्ट को पूरा करेगा
04:59वो इस बात को फिर आत्मसाथ करता है
05:02वो अपने अस्तित्तों के उपर भी
05:05शर्ट लगा देता है
05:06वो अपने अस्तित्तों पर भी
05:10शर्ट लगा देता है
05:11तो गहता है कुछ शर्टें तो पूरी होनी ही चाहिए
05:14नहीं तो जिंदगी बेकार है
05:15और ये
05:17सिखाया आपने है और वृत्ति
05:20देहने दिये
05:21ये वृत्ति उसको देहने दिये
05:24सिखाया
05:24परिवार, समाज, शिक्षा, मीडिया
05:27इन्होंने मिल करके है
05:28कि कुछ शर्टें लगाओ नहीं तो जिंदगी
05:31बेकार है
05:32एकदम बेकार है कुछ नहीं हो जाते है
05:35अब प्रश्णी है कि फिर ये शर्टें हटाएं कैसे
05:40कैसे कहें कि मैं बेशर्ट आत्मा हूँ
05:43आत्मा माने क्या
05:45वो जिसको किसी सुधार की जरूरत नहीं
05:48वो जिसको किसी बैसाखी की जरूरत नहीं
05:55संभल की जरूरत नहीं
05:57ना सुधार चाहिए ना सहारा
06:02उसको बोलते है आत्मा
06:04ना सुधार चाहिए ना सहारा
06:07लेकिन ये बात ऐसी नहीं है कि
06:10रटली दोहरा दी तो हो जाएगा
06:12ये बात जीवन में दिखाई देनी चाहिए तब है
06:15जीवन में दिखाई नहीं दे रही है और बस मौखिक है
06:18और कह रहे हो अरे मुझे सुधरना नहीं तो और खतरनाक हो जाएगी ये बात
06:21जीवन ऐसा है कि आपको सचमुच सहारे की जरूरत है भी
06:25और आप कह रहे हो कि नहीं सहारा नहीं चाहिए तो बड़ी गड़ बड़ो जाएगी रडख़डा के गिरोगे
06:31तो ये कैसे हम करें कि जीवन के उपर जो हमने शर्तें लगा दी है वो हटें
06:41देखिए उन शर्तों को जायस ठहराने का हमारे पास एक तर्क होता है तर्क ये होता है अगर वो शर्त पूरी नहीं हुई तो हाई राम मेरा क्या होगा ये तर्क है हमारा
06:53अगर वो शर्थ पूरी नहीं हुई तो बरबाद हो जाओंगा यही तरक है
06:59यह तरक एक कहानी है तभी तो इसको माननेता बोला जाता है अपूर्णता एक माननेता है तथ्थे नहीं है
07:06माननेता मानने जो आपने कहानी मान लिए उसको माननेता बोलते है
07:09कहानी है आपने इस्थान उसको सत्य का दे दिया है उसको मानेता बोलते हैं
07:15कैसे अंतर करें कहानी में और सत्य में बहुत आसान है
07:19जाँ चलो, प्रयोग कर लो
07:22थोको, बजाओ, परिक्षण कर लो
07:29कहानी जो कुछ बोल रही है देख लो ना कि सच है कि नहीं
07:32जीवा नहीं तो प्रयोग शाला है
07:34आपने अपने उपर एक बात कह दिये
07:37कि अगर
07:38ऐसा हो गया तो हाईराम मर जाओंगा
07:41मैं कहा करता हूँ
07:45वैसा होई जाने वे
07:46देखते हैं
07:51अरे क्या बोल रहे हैं
07:52आप मैं कह रहा हूँ मैं मर जाओंगा
07:54आप कह रहे हो जाने तो मारना चाहते हैं
07:55अच्छा ठीक ठीक समझ गए आपकी बात समझ गए
07:57ऐसा करिए
08:00प्रयोग
08:01प्रयोग प्रयोग का क्या मतलब होता है
08:06अरे एक कजम तो बढ़ा के देख लो
08:08ये पानी नहीं है तेजाब है
08:13बोल रहे हो कूच जाओ
08:15सामने भरा हुआ है पानी तरनताल है बढ़ियां मस्त
08:20साफ भरवाया है
08:23अब मालिक हमारे क्या फर्मा रहे हैं
08:26ये तो तेजाब है
08:28अग्दम इसी में गोल के मार देना चाहते हो
08:32बोल रहे हो कूच जाओ
08:33बैं उनों ठीक समझे आई बात
08:35आप एक प्रयोग तो कर लो
08:37क्या प्रयोग है
08:38अरे एक तिनका डाल के देख लो
08:41थोड़ा सहास बढ़ेगा
08:43और तिनके के बाद थोड़ा उसमें नाखून डाल के देख लो
08:46गलेगा भी तो नाखून गलेगा
08:49नाखून आ जाता है दुबारा
08:50नाखून के बाद छोटी उंगली डाल के देख लो
08:53छोटी उंगली के बाद थोड़ा हाथ आगे बढ़ा लो
08:57पाउ डाल लो
08:58और जब लगे कि ठीक है
09:01पर शर्त को जाचो तो
09:04मानता को चुनोती तो दो
09:06तुम तो बिना जाचे पर खे प्रयोग परीक्षण करे कह देते हैं
09:11तेजा आप भरा हुआ है
09:12गोल के मारना चाहते हैं
09:14हड़ी भी नहीं बचेगी सब गल जाएगा
09:16आपने अपनी हस्ती के उपर जो शर्ते लगाई हुई है
09:23प्रयोग करा करिए न भई
09:25और उन प्रयोगों का तरीका है
09:29अपने आपको
09:31अपने सुरक्षित अनुभवों से
09:35आगे अलग इतर अनुभव देना
09:38सिर्फ जाचने के लिए
09:43जस्ट फॉर दा सेक आफ इट
09:45देखो ना करके
09:49इस बात है मान कर बैठ गए हो
09:52येना सडक के उस तरफ
09:55जो लोग रहते हों रोगही बड़े बेकार हैं
09:57उधर जाना नहीं
09:59उधर नहीं जाना है
10:01तो इसके लिए सडक पर ही डंडा गार दिया है
10:02बैरियर लगा दिया है उथर जाना ही नहीं है
10:04एक बार को
10:07वो जो तुमने अवरोध खड़ा करा है उसको फटाओ तुड़ा टहल करके आओ
10:10देख करके तो आओ कि जिनको तुमने ऐसा घोशित कर दिया है
10:14उस सच मुछ कैसे हैं माननिता को सत्यमत बनाओ
10:17माननिता को सत्यमत बनाओ
10:23चार किलोमीटर दूर है अपना दुकान कारोबार जो भी है कार्याल है
10:35बढ़ियां गाड़ी आती है उसमें ड्राइवर रहता है उसी से जाते है और शर्थ रख दी है कि ऐसा होगा तो ही जाएंगे
10:46एकाद दो दिन के लिए गाड़ी छोड़ दो ड्राइवर को छुट्टी दे दो देखो कि क्या ऐसा है कि पैदल चली नहीं सकते
10:54देखो कि क्या सचमुच ऐसा है कि पैदल चले आओगे तो कोई रास्ते में मारी देगा
10:58या थकान से ही गिर जाओगे चूर चार किलो मीटर में प्रयोग तो करो इमानदार प्रयोग होना चाहिए प्रयोग में एक हम बेमानी ये कर देते हैं कि प्रयोग करते ही इस तरीके से हैं कि प्रयोग असफ़ल हो जाए
11:16आज ऐए चार क्लोमीटर का बोलरहा है और गिर गए उसमें पर क्या बोले मैं तो पहले हुए किया ता हो नहीं सकता
11:33आप कहने ही रहे थे, आप चाहा रहे थे कि ना हो सके
11:37नहीं तो आप 40 km से शुरुवात नहीं करते न
11:40आप कई बार जब चाहते हो कि प्रयोग असफल हो तो असफल हो भी जाता है
11:52कोई आगे आपको बोल रहा है कि देखो
11:54दाल में नमक कम है थोड़ा डालो और आप दाल पका रहे हैं कोई आगे कहा रहे हैं दाल में नमक कम है थोड़ा और डालो
12:02और आपकी माननेता है कि दाल में नमक
12:05ठीक है अब सचाही है कि दाल में सचमुष थोड़ा सा नमक अभी कम है
12:10पर वेकति बार-बार आपसे आगरह करे ही जा रहा है दाल में नमक कम है
12:14अरे डालो
12:15तो आप कहते हैं ठाए च्छका में तू ले
12:22और फिर कहते हैं ले देख अब कैसा है
12:24तो बोलेगा ज्यादा हो गया यही तो मैं तबसे कह रहा था
12:27कि नमक ठीक है और डालेंगे तो स्यादा हो जाएगा
12:31ये प्रयोग नहीं है ये धांद लिए
12:34और ज्यादा तर हमारे प्रयोग ऐसे ही होते हैं
12:37वो प्रयोग कराई इसलिए जाता है
12:39ताकि आपकी माननेता न तूटे
12:41इमांदार प्रयोग करिए
12:49किसी भी आग्रह से मुक्त होकर प्रयोग करिए
12:52जो कुछ भी आपने अपने आपको बता रखा है
12:56न ये कहिए कि सही है न ये कहिए कि गलत है
12:58परखी है तो
12:59नहीं तो कैसे पता चलेगा
13:04फैक्ट और फिक्शन का
13:05बहुत सारी बातें सिर्फ इसलिए सच हो जाती हैं
13:19भाव भीतर लगातार यही होना चाहिए
13:27मैं ठीक हूँ
13:31पर मेरे अलावा किसी चीज़ के ठीक होने
13:38कि कोई आश्वस्ति नहीं है
13:41आत्मा सत्य है
13:45इतना ही कहना पर्याप्त नहीं होता
13:47मात्र आत्मा ही सत्य है भाई
13:51बाकी प्रक्रत यह है उसमें कुछ भी उपर नीचे चलता रहता है
13:55उसका काम है बदलना
13:57तो मैं सत्य हूँ
14:01मानने थोड़ी सत्य है
14:03और यह बिलकुल हो सकता है
14:05मैं सत्य हूँ लेकिन यहीं मानने था
14:07एकदम उल्टी-पुल्टी हो
14:10तो मानताओं को तो पर्खूंगा ना
14:13जीवन में लगातार ये विनम्रता होनी चाहिए
14:16विदानती ऐसा नहीं है कि वो
14:20अख़ड हो जाता हो कहता है जी हाँ हम तो
14:23पूर्ण हैं बहादूर हैं और हमारा कुछ हो नहीं सकता
14:26वो कहता है देखो मेरा जो कुछ है
14:28वो गलत हो सकता है मैं सिर्फ ये कह रहा हूँ कि
14:32मैंने आपको जवाब दिया वो गलत हो सकता है
14:38मैंने कोई कुछ काम कर दिया वो गलत हो सकता है
14:42हर चीज में मैं मानने को तयार हूँ कि उच्च नीच हो सकती है
14:45हर चीज़ मानने को तयार हो
14:48बस एक चीज़ है
14:50जिसमें हम किसी तरह का दाग धबा
14:52नहीं लगने देते
14:53हमारा केंद्र
14:55हमारी हस्ती
14:57आप बोलोगे मैंने काम बेवकूफी का करा
15:04मैं मान लूँगा
15:07आप बोलोगे मैं बेवकूफ हूँ
15:09ये नहीं मानता
15:11बड़ी विनम्रता है आप बोलोगे तूने सौ काम बेवकूफी के करे हैं
15:15मैं कहूँगा जरूर किये होंगे
15:17आप सौ कहरे हो मुझे तो लगता है
15:19मैंने दोसो ऐसे काम करे हैं जो
15:21बड़ी मूर्खता के थे मैं पूरी विनम्रता के साथ कह रहा हूँ
15:24लिकिन मैं अपने कर्मों की बेवकूफी को
15:26अपनी हस्ती की बेवकूफी नहीं बनने दूगा.
15:28ये एक चीज है जो विदानती स्विकार
15:49तो माननेता तो गलत हो इसकती है.
15:51तो मेरा नजरीया हमेशा खोजी कर रहेगा
15:55मैं तो देख रहा हूँ कहाँ पर गलबड हो गई
15:56और गलबड कहीं भी हो सकती
16:00सिर्फ एक जगह जगह जगह जगह नहीं हो सकती
16:02बाकी हर जगह मैं मान के चलूँगा
16:05कि गलबड संभावित है
16:07क्योंकि अगर मैं कहे दूँ
16:11आत्मा में भी गलबड नहीं होती
16:12और माननेता में भी गलबड नहीं होती
16:14और फलानी जगह भी गलबड नहीं होती
16:15तो ये तो आत्मा का अपमान हो गया न
16:19अगर आत्मा सचमुच असंग है और अतुल्ले है
16:22तो इसका मतलब जो आत्मा में है वो बात कहीं और नहीं मिल सकती
16:26तो अगर पूर्णता आत्मा में है तो पूर्णता को कहीं और नहीं होना चाहिए
16:31तो बाकी हर जगे तो गड़बड़ हो सकती है क्यों नहीं मानूंगा
16:34बिल्कुल हो सकती है एक दम मानता हूं
16:36और हर चीज को लेके पर्खूंगा
16:39और वो चीज अगर उल्टी-पुल्टी निकलेगी
16:42तो मुझे न लाज है, न शर्म है, न डर है
16:45मैं तो मान लूँगा
16:47हाँ ये तो चीज गलत निकल गई, हाँ भई
16:49ये बात तो गलत निकल गई
16:51आप गलत को गलत तब नहीं मानते हो
16:54जब गलत को गलत करने से आप गलत साबित हो रहे होते हो
16:58नहीं तो गलत को गलत मानने में कोई काय को डरेगा
17:01आपने कुछ गलत कर दिया
17:05अगर जो गलत कर दिया, सिर्फ वही गलत साबित हो रहा हो तो आप मान लोगे
17:09लेकिन हमारी कहीं गलती पकड़ जाती तक चहरा कैसे लाल हो जाता है
17:13क्यों क्योंकि हमने ये तुक बैठा रखा होता है
17:19कि अगर काम गलत निकल गया तो हमारी हस्ती ही गलत हो जाएगी
17:22काम गलत निकला है मैं तो जल्दी से मानूगा काम गलत निकला है
17:26मैं तो धन्यवाद दूँगा कि आपने मेरी गलती ढूंड के निकाल दी, निंदक नियरे राखिए, मैं तो हाँ बताईए और बताईए, और गलतियां बताईए
17:42समझ में आ रही है बात?
17:47प्रयोग, प्रयोग, प्रयोग, परखिए, परखिए
17:49जो भी आप मानके चल रहे हो, वो सत्य तो नहीं है
17:58हाँ, कुछ हो सकता है, जो सत्य की दिशा में है, कुछ हो सकता है, जो सत्य से एकदम ही उल्टा है
18:04लेकिन सत्य तो नहीं है, तो हर चीज में सुधार की सदा संभावना रहेगी न
18:11तो जो भी बात है उसको और विचार से देखना, उसको और ज्यादा विरक्ति से देखना, ताकि पुरुआ ग्रह मुक्त हो करके उसकी सच्चाई सामने आए, यही है।
18:41चाती पे बांद के मरोगे क्या, या वो धन संची है जो आगे को होए, उनका आशे क्या था, वो कहते थे कि तुम्हारी हस्ती में जान इतनी होनी चाहिए कि तुम्हारे पास जो कुछ सब छिन जाए, तुम सड़क पे नंगे खड़े हो जाओ, तब भी तुम्हारा आत्म ग�
19:11पैसा चिन गया, तुम्हारी इज़त चिन गई, तुम कहीं के नहीं बचे, तुम तो कुछ थे ही नहीं फिर, जो कुछ था वो पैसा था और इज़त थी, तुम कौन हो, तुम तो इतनी छोटी चीज हो गए कि पैसा ही तुम से बढ़ा हो गया, तुम तो इतनी छोटी ची�
19:41कुछ लुट गया हो
19:42तो भी उसके गौरव पर
19:45जरा भी
19:46दागना आए
19:48हाथ में अब कुछ नहीं है
19:54पहले हाथ में हो सकता है
19:56बहुत कुछ रहा हो
19:57पचास flexibility होती हैं
19:58दुनिया की हाथ में आ जाती है
20:00अब कुछ भी नहीं है
20:02एकदम कुछ नहीं है
20:05तो भी हम है न, हम, हमारा कुछ नहीं है तो भी हम है न, यह जो हम होने की बात है, बहुत आवश्यक है, ऐसा हम, हम माने अहम, ऐसा हम जो बिना किसी सहारे के चल सके, उसको ही तो कहते है, आत्मा,
20:35और ऐसा हम जो हमारा हमारा बार बार बोले, वही कहलता है साधरन हंकार, साधरन हंकार क्या है, जिसको सदा कोई विशय चाहिए, इससे चिपके हमारा, हमारा, हमारा, यह हमारा, यह हमारा, यह हमारा, यह हमारा, तब तो हमारी हस्ती ठीक है, और हमारा नहीं है अगर कुछ, त
21:05तरह से जो पूर्ण होता है जगत में उसके स्वस्त संबंद बनते हैं
21:08स्वस्त संबंद ऐसे ही दो लोगों में बन सकते हैं
21:13जो हम को देखे हमारे को नहीं देखे
21:16आपके भी जीवन में जो कुछ भी है
21:20चाहे जड़ पदार्थ और चाहे चैतन्य मनुष्य
21:24देखिए कि वो आपके हम को देखता है
21:27या हमारे को देखता है
21:29ये देखता है कि आप कौन है या ये देखता है आपके पास क्या है
21:33और आपको भी यही देखना है
21:37और वो हो जाता है सोता देखिए जब आप पूर्ण होते हैं
21:40तो आपको कोई ज़रूरत नहीं बचती न कि किसी दूसरे व्यक्ति के पास क्या है, इस पर नजर रखें, मुझे क्या करना है कि तेरे पास क्या है, जो कुछ भी होना चाहिए वो तो मेरे पास, पहले से ही है, तो अब मुझे इस बात की कोई फिक्र करने की ज़रूरत नहीं क
22:10वो आदमी खाली हो जाए आदमी ऐसा चाहिए जिसके पास जो कुछ है सब हटा दो सब छीन लो तो भी वो आदमी शेश रहे हम तो पूरे के पूरे ही है
22:22सुझवे आ रही है बाद
22:40सहारों के बिना चलने का जहां भी मौका मिले वहां प्रयोग करिए वहां भ्यास करिए
22:48मान लीजे आप कहीं पर जाते हैं और वहां पर आप पहले से ही जो आपकी प्रसिद्ध है वो लेके जाते हैं
22:58आप किनी लोगों से बात करने गए
23:00और वहाँ पहले ही आपने सूचित कर दिया
23:02कि यह तेंदरजी
23:04आ रहे हैं और बहुत बड़े आदमी हैं
23:06बड़े ग्यानी हैं और ऐसे हैं
23:10तो अब वो आपको नहीं सुन रहा है
23:12वो आपकी प्रसिधिकों सुन रहा है
23:15तो बीच बीच में प्रयोग करिए
23:17कहिए कि मैं वहाँ पर जाओंगा अनाम हो करके
23:20अनॉनिमस
23:21फिर देखते हैं मेरी हस्ती में कितना दम है
23:26अब वो नहीं जानते कि
23:29मेरा नाम क्या है
23:31अब वो जानेंगे कि मैं कौन हूँ
23:36अप्रयोग हो जाएगा ना कि आप में कितना दम है नहीं तो पहले आप थोड़ी बोलते थे
23:42आपकी यश आपकी प्रसिद्धिकीर्ति ये सब आपका बोलते थे
23:48बीच बीच में अपने जो कुछ भी सहारे बन गए हैं सायोंगे उनको जबरदस्ती भी हटा देना चाहिए
23:57जबरदस्ती नहीं हटा चोटी चोटी एकदम ही बहुत मामूली बात आदत लग गई है कि हम तो अफसर हैं तो गाड़ी तो ड्राइवर ही चलाएगा
24:07हटा ही ड्राइवर तो मैं जाओंगा अगर आप ऐसे हैं कि आप गाड़ी पार्किंग में अब खुद नहीं लगा पाते तो कौन सी आत्मा हैं आप
24:18माले किसी में हिल गए कि आज गाड़ी खुद पार्की में लगानी पड़ी एकदम दहल गए भीतर से अब यह क्या जीएंगे यह गाड़ी पार्की में लाने में दहल गए क्योंकि अब 15 साल हो गए थे ड्राइवर ही यह काम करा करता था
24:33और यह बहुत मामूली बात है एक दम छोटी बात है और बड़े प्रेयोग फिर वो होते हैं जो वालमीकी ने करे थे
24:53कि बड़ी माननेता है कि पत्नी तो मेरी मेरे साथ ही चलेगी तो जाकर गए उससे पूछ लिया कि तेरी खातिर सब चोरी चकारी पाप करता हूँ अब नरक जा रहा हूँ चलेगी
25:03एक दम लालाला करके पूछा होगा ने जो जूट तो जरूर बोलती ना जाने कैसे उसके मूँ से सच्ट पक गया बोली ये तो जगह ऐसी है कि परमिस्वर अकेले ही जाना आप बाकी सब जो भी मालवाले लूट का वो यहां छोड़ दो हमारे लिए
25:22वैसे ही ब्रदा रण्यक उपनेश्यद उसमें ही आग्येवलक हैं उनकी दो पत्नियां मैत्रेई और कात्याईनी
25:43तो कात्याईनी छोटी है उसका बड़ा मन इसी में लगा रहता है दुनिया वर की चीज़ें यह वो पचास यहां यह मिल जाए वहाँ
25:50और मैत्रेई ही है वो यागेवल के पास आगर के बताओ ग्यान क्या है तुम्हारा यह सब करती रहती है
25:56तो यागेवल की यह सब चलता है वो दो पत्नियां जब दो हो जाएं पत्नियां तो वहरागे पक्का है वो बोलते हैं मैं सब छोड़ चाड़ के जा रहा हूँ
26:04मैं तुम लोगों से कोई लेना देना नहीं अब मैं जा रहा हूँ
26:08लेकिन हाँ अब मैं जा रहा हूँ तो बताओ तुम्हारे लिए क्या प्रबंद करके जाओ
26:11तो खट से बोलती है छुटकी सबसे पहले
26:15असल में मैंत्रे ही बोलती है कि छोटी का हग पहले आता है छोटी है ना तो तू मांग ले तुझे क्या चाहिए
26:20बोलती है तुह आपस जितनी गाएं है ये हजार गाएं दे दो जितना रुप जो भी तुम्हारा एक अठा करे वाश्रम में सा हमारे लिए दे के जाओ
26:26तो अब उसने मांग लिया तो दे देते हैं तो उन्हें चिंता भी होती है कि ये बड़ी वाली क्या करेगी
26:32बड़ी वाली बोलती है कुछ तो तुम्हारे पास ऐसा है जिसके लिए तुम वो सब छोड़ रहे हो जो अभी तुम्हारे पास है
26:43मुझे वो देखके जाओ
26:45उन्हें ये सब छोड़ रहे हो इसका मतलब कुछ और है तुम्हारे पास कुछ और ना होता तो तुम ये सब न छोड़ पाते
26:55वो जो है तुम्हारे पास तुम मुझे वो देखे जाओ
26:57अब ये फंस गए वो ले ये तुने क्या मांग लिया ये हो फिर उसी पर उपनिशाद आगे बढ़ता है फूरा
27:13प्रयोक करने चाहिए बता तुझे क्या चाहिए मैं जा रहा हूँ देखो क्या मांगती है कात्याईन ही है वो या मैत्रे ही है
27:20ह मत्ब दोस्तों के साथ कहीं भी हर जगह है ये सब बाते करनी चाहिए
27:31और मैं आपको अभी से बताभी देता हूं परिणाम अपैक्शित नहीं आएंगे
27:35क्योंकि माननेता तो होती ही जूट है ना
27:37माननेता तो चीज ही जूटी है
27:41तो वो कभी आपको अपेक्षित परिणाम नहीं देगी
27:44करिए प्रयोग
28:07निंदक नियरे राखिये आंगन कुटी छवाई
28:22निंदक नियरे राखिये आंगन कुटी छवाई
28:34बिन पानी सावन बिना
28:40निर्मल करे सुभाई कवीरा
28:46निर्मल करे सुभाई
28:52करनी करनी सब कहे
28:58करनी माहि विवे
29:04करनी करनी सब कहे
29:10करनी माहि विवे
29:16वाकरनी वह जान दे
29:22जो नहीं पर खै एक कवीरा
29:28जो नहीं पर खै एक
29:34कवीर सोधन संचिये
29:40जो आगे को हो
29:46कवीर सोधन संचिये
29:52जो आगे को हो
29:58सीस चढ़ाए पोटली
30:04ले जात न देख्या को
30:10एक वीरा
30:12ले जात न देख्या को
30:16करदी
30:40जो आगे
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