00:00बूद इवनिंग सश्यकार एक बार फिर आप तमाम लों का स्वागत है क्राइम कहानिया विद शम्स
00:03आज कहानी की शुरुवात इससे एक तस्वीर से
00:06लाल रंग के कपड़े में ये एक पोटली है
00:12आप इसे कलश भी कह सकते हैं
00:16और इस बंद पोटली या बंद कलश के अंदर
00:19एक इनसान की अस्थियां हैं
00:23अंतिम संसकार करने के बाद रिती रिवाज के हिसाब से अस्थियों को
00:27गंगा में विसर्जित कर देते हैं बहा देते हैं
00:32इस सोच के साथ ताकि मरने वाले की आत्मा को मोक्ष मिल
00:37लेकिन ये जो तस्वीर आप अपनी स्क्रीन पर देख रहे हैं
00:43ये कलश जिसके अंदर एक इनसान की अस्थियां है
00:46पिछले करीब एक साल से एक घर के अंदर एक कोने में यो ही रख्ती हुई है
00:53इस इंतिजार में के इनसाफ मिले तो इनस्थियों को उनकी सही जगाँ पर ले जाए जाए
01:02और वहाँ इसे प्रवाहित कर दी जाए
01:04साल बीद गया इनसाफ का पता नहीं लेकिन ये अस्थियां उसी घर में
01:11अब ज़रा सोचें लुक भारा पूरा परिवार एक घर जिसके अंदर एक इनसान की अस्थियां जो उसी घर का बेटा है
01:21अगर रखी हो तो उस परिवार की रोजमर्रा की जिन्दगी पर क्या असर पड़ता होगा
01:26हालाकि केहते हैं यही एक अस्थियों को कभी घर में नहीं रखते
01:30लेकिन इस घर में है बाका इदा रखी हो जोली और उसी घर में
01:35उस परिवार की रोजमर्रा की जिन्दगी चल रही है
01:38इस दोरान में पिछले एक सारों में कितने तेहुआर आये
01:42कितने परिवार के बाहर महले में खुशियों का मौका आया
01:45इसी घर में लोग रहते हैं
01:50और इसी घर में रोज़ाना इन अस्थियों से उनका
01:54आँखों से एक टक्राओ भी होता हूँगा
01:57फ्रियाग भी आती होगी
02:00यह अस्थिया इसलिए पढ़िये हैं
02:03क्योंकि मरने वाले ने मरने से पहले
02:05एपने एक आखरी जो खाहिश जटाई
02:07उस खाहिश की वज़़ा से
02:10इस अस्थियों को उसकी सही जगाने मिल पा रहे हैं
02:13और यह आखरी खाहिश का पूरी होगी, होगी भी के नहीं, अभी कोई नहीं बता सकता।
02:23किसी काम से एक फंक्शन में, एक सेमिनार में मैं, जो इंडिया इंटरनेशनल सेंटर है, आइसी महां दिया हुआ था।
02:31और इतिफाक से उसी फंक्शन में, उसी सेमिनार में, एक शक्से मही मुलाकात थी, उसका नाम है विकास मोदी, विकास मोदी यानि के अतल सुभाष के छोटे भाई, अतल सुभाष तो याद होंगे आपको, पिछले साल यही दिसंबर का महीना था, तारिख 9 दिसंबर की थी,
03:01जब इस देश के सामने आया, हर नियूस चैनल पर चला, अख़बारों में खबले सुलखें वनी, तो एक बहस एक सवाल सी छड़ गई थी, तो कि अतल सुभाष ने मरने से पहले, यह 80 मिनट का विडियो रिका था, 24 पन्नों का आखरी नोट लिका था, और उसके साथ ही उस
03:31उसके घरवाले रखे रहें, और अगर इनसाफ मिला तो ठीक, रिकी रिवाच के साथ उसे विसर्जित कर दे और नहीं मिला, तो जिस अदालत से इनसाफ नहीं मिल पाया, आखरी अदालत तो देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रिम कोटी है, तो उस अदालत के बाहर जो
04:01करेंटेंगे, और एक साल से वो दिन चला आ रहा है, जब अतुल सुभाष के स्थियां उसके घर पर आज भी उसी तरीके से रखे हुई, और उसी अतुल सुभाष के छोटे भाई से हुई, और जब उन्होंने मुझे बताया इस चुकी, एक रिपोर्टर होने के नाते मेरे
04:31विकास मोदी ने मुझे बताया, मैं हैरान था, मैं संड़ था, शायद अभी जो मैं आपको बताऊंगा, आप भी यकिन नहीं करेंगे, नौ दिसंबर को अतिल सुभाष की मौत ही थी, कानून ये कहता है कि मौत के बाद 90 दिनों के अंदर अंदर चार्शीर दाखिल हो जान
05:01आपके अतुल सुभाष के इस मौत को लेकर जो F.I.R. दर्ज हुई है, उसमें वो चार्शीर पूरे 11 महीने बाद 6 नवंबर 2025 को कोट में दर्ज हुई, 6 नवंबर 2025 यानि लास्ट मन्त, पताब जो चार्शीर सिर्व तीन महीने में 90 दिन के अंदर दर्ज होनी चाहिए, व
05:31और अब नवंबर में जाकर दर्ज हुई, 6 नवंबर को जब ये चार्शीर दाखिल हुई, तो इस चार्शीर के दाखिल होने के बाद करना तक के उस अडिशनल चीफ मेट्रोपलिटन मजिस्टेट मेयो हाल बैंगलूरू में ये कहा गया कि इस चार्शीर पर 7 नवंबर 2025 क
06:01तारी होगी, क्या आप यकीन करेंगे कि इसके बाद जो अगली तारीख दी गई वो कब की होगी, ये तस्वीर आपको दिखा रहा है, इसी कोट ने अगली तारीख जो दी है, उस पर जो कुछ लिखा वाया आप पढ़ें, अगली तारीख दी गई, नवंबर 2026,
06:27कहां साथ नवंबर 2025 को सुनवाई होनी थी, जड़ सहाब नहीं आए, उसके एक साल दो हफ़ते के बाद की अगली तारीख है, अतुल सुभाश के केस में, नवंबर 20 नवंबर 2026, और ये है वो कोट कावस,
06:49मुझे यार नहीं पड़ता कि ऐसे किसी केस में, एक साल दो हफ़ते बाद की कोई तारीख दी जाती हो,
06:57दो महीना, चार महीना, पांच महीना, छे महीने तक समर्णी में आता है, एक साल दो हफ़ते के बाद की पहाँ, वो भी उस केस की तारीख, जिसके अभी मुकदमे का ट्रायल शुरू होना, पहली सुनवाई होनी, पहली हेरिंग होनी है, अदारत सीरे एक साल बाद की तारी�
07:27की पहली सुनवाई के लिए जग साब एक साल दो हफ़ते बाद का वक्त देते हैं, जैसे ही ये पेपर और ये खबर मीडिया में आती है, अदारत तक भी पहुंसती है, रखता कि हाँ गलती तो हुई है, इतना लंबा वक्त कौन देता है, तो फिर ये हुआ कि चलो गलती स�
07:57लगा नहीं, इसमें भी बहुत वक्त है, नवंबर का मामला, दिसम्बर, जन्वरी, फर्वरी, मार्ट, चार-पांच मैने इसमें भी लगए है, तो फिर एक जड़ साब ने खुद सू मोटर लिया, और उसका दोनों ने कहा कि नहीं, ये कुछ ज़्यादा ही ना इनसाफी ह
08:27होती है, अब ये अदालत में मुकदमा शुरू ही नहीं हुआ, अब ये पहली हेरिंग ही नहीं हुए, पहली सुनवाई ही नहीं हुए, क्या कहेंगे इस पूरे सिस्टम को, तो जब ये विकास मोटी गी ने बताया, तो मैं खोदी हरान था, लेकिन खैचली, अब ये है कि �
08:57आप यकीन मानी, आज यहां मैं बैट कर कह रहा हूं, कि कम से कम, सिर्फ मैं कोट-कोट की बात कर रहा हूं, दस साल निकल जाएंगे, मैं कम से कम बता रहा हूं वर नहो सकता 15 साल भी हो जाएंगे, इस कीस में न तो फैसला पाएगा, और नहीं, अतुन को जो आखरी खाहि�
09:27अभी जिसकी सुनवा ही चार दिन बाद पहली हीरिंग होनी है, इसमें अब आरोपत्र तै होंगे, आरोपत्र तै होने के बाद अभी तो यह आलम है कि जो करनाटक हाई कोट में चार्षिट बल लोर कोट में दाखिल के गईगी, वो सब कर नर्म है, तो अभी उसका ट्रांस
09:57मैंगलूरू के कोट में हो, कुछ साल के बाद फैसला आ गया, मान लिए अतुल के फेवर में आ गया, तो भी अतुल के इनसाफ नहीं मिलेगा, क्यों? क्योंकि अतुल के फेवर में है तो दूसरी पार्टी हाई कोट जाएगी उस फैसले को चैलेंज करने के लिए, अतुल क
10:27पहुंचेगी, तो जब सुप्रिम कोट पहुंचेगी तो इसका मतलब है, ये मुकदमा सुप्रिम कोट पहुंचेगा, फिर सुप्रिम कोट से जो फैसला आएगा, वो आखरी फैसला होगा, और तब कहीं जाकर इस अस्थी का इंतजार खत्म होगा, तो अगर तीनों अदा
10:57साल तो हाई कोड भी ले लेगा और उसके बाद सूप्रिम कोड का तो पता ही नहीं दो चार पाँ छे आठ दस साल भी ले सकते हैं तो मिनिमुम दस साल वन्ह पंद्रा के ऊपर भी जा सकता है तो अब यह मान कर चलिए कि दोनों ही सूरत में चाहिए फैसला किसी की हखम हो या �
11:27पड़ी रहेंगी और अगर आखरी फैसला अतुल की आखरी खाहिश के हिसाब से नहीं है तो क्या होगा दो ही चीजें होनी इन अस्तियों में पहला ये क्या तो इन अस्तियों को गंगा में विसरचित कर दी जाए फैसला हक में नहीं हुआ तो पिर कोट के बाहर के किसी ग�
11:57बात ये है मतलब आप सब भी सोचे खुद ही किसाल भर हो गया हेरीं तक शोंगी अतुल सुभाष के भाई नहीं ये कहा कि मैंने कहा कि अगर मान लीजे कि नहीं होता आपके हाक में फैसला तो आप क्या करेंगे तो हाला कि उन्हों ने जो बात कहीं मैं उसे पुली सासे सहम
12:27परिवार वाले भी अपनी जान दे देंगे हैं कि मैं मानता हूं ये अखलत ऐसा नहीं होना चाहिए बट उनका ये था कि पूरा परिवार एक मत है कि हम इन अतुल की अस्थियों को अपने घर में तब तक रखेंगे जब तक हमें इंसाफ नहीं गी जाता हुए अतुल सु�
12:57एक नया पालिका से जुड़ी भी थी उन पर टॉर्चर करने जूटे ज़ूटे लग्जाम में फसाने डौरी के केस में उन सारी खीजों को लेकर और ये कि उन्हें बार बार बैंगलून से जान पूर बलाय जाता है तंग किया जाता है मेंटली फिजिकली हरास किया जा रह
13:27थाने में डौरी और तवाम चीजों को लेकर अतुल का एक बेटा चोटा सा तो फिर ये था अतुल का की आखरे खाहिश में कि उसके बेटे को उसके मावाब को सौप दिया जाए वही पर वरिश करेंगे लेकिन बीच में फिर कोट आई कोट ने अतुल की पत्नी को ही उसके
13:57भाई से जब मैंने पूछा कि उस पैकेट में क्या है लेटर में क्या है उन्होंने कहा कि वसीयत के हिसाब से या आखरे खाहिश के हिसाब से अतुल ने जो कहा था वो पैकेट तो मेरे घर पर है लेटर भी है लेकिन हमें से किसी ने खोला नहीं ना पढ़ने की कोशिश की �
14:27इदर मैंने पूछा कि जिनों के खलाफ यानि अतुल के सुस्राजवाज़ों के खलाफ अतुल की पपनी सास बागी लोग ये जो सारे F.I.R. डज है जिस पर मुकदमे की सुनवाई होनी ये लोग कहा है तो पता कहला कि अतुल के वाइफ यहीं कहीं जॉब कर रही है
14:47पूरा परिवार अभी सबी जवानत पर बाहर है तो कोई भी जेल में नहीं है हाँ इस अतुल की अजीब औ गरीब आखरी खाहिश की वज़ा से अगर कोई सफर कर रा तो हमी का अपना परिवार
14:59क्योंकि खाहिश ऐसी है कि जब तक मेरी ये खाहिश पूरी नहीं हो इनसाफ नहीं मिले मिरी अस्थियों को विसरजित मत करना
15:08अब इस खाहिश के पीछे एक पूरे परिवार ने अब जिन्दगी जोगती है उनकी भी गलती नहीं
15:14एक बेटा जिसके मरने की उम्र नहीं थी वो ने छोड़कर चला गया बुढ़ा पेड़ी का जो सहारा लाटी वो चला गया
15:21तो अब एक खाहिशी बची है उन्हें लगता अगर ये भी पूरा ना कर पाए तो फिर क्या किया
15:26तेसी लिए उनके भाई हों माबाप हों सभी इस खाहिश को पूरी करने में लगे होंगे हैं
15:32लेकिन अफसोस होता है हमारी देश की ब्रिडिशनल सिस्टम पता नहीं कौन कभी इस पर कोई आवाज उठा पाएगा भी की नहीं
15:38कि मजाप नहीं तमाशा नहीं तो और क्या है कि एक ऐसे केश जो इतने दिनों तक पूरे देश में जिसकी वैसे भहस होने लगी थी
15:47उस केश में नटाइम पर चार्श्री दाखिल की गई
15:52जद साहब पहली सुनवाई की तारीख एक साल और दो हफ़ते बाद की दे रहे हैं
15:58पिर कहीं एक जद साहब को कुछ ख्याल आया तो उन्होंने सू मोटो लेते हुए अब दिया है
16:04लेकिन नहीं भी मतलब 5 दिसंबर को पहली हेरिंग है 9 दिसंबर को मौत ही थी
16:10एक साल में सिर्फ 4 दिन कम होंगे जब पहली बार इस मुकदमे का आवाज होगा
16:15पहली हेरिंग होगी तो अगर एक साल में सिर्फ सुनवाई की शुरुवात हो
16:20यही वज़ा तो है इतने सारे करोडों के इस हमारे यहां पढ़ेंग में
16:24और शहर यह भी है कि ऐसे केसों की तो कोई गिंती नहीं है
16:28इसलिए इनको प्रात्मिक्ता भी नहीं दी जाती है
16:31वैसे भी अपने देश में किसी को मतलब
16:33culpable homicide वाले मामले में
16:37not amounting to matter
16:38यानि किसी को लिए खुदकुशी के लिए उक्साने के मामले में
16:41आज तक किसी उस सजा तो ही नहीं है
16:42तो इतिहास देखते हुए
16:46Supreme Court के उस नजीर को देखते हुए
16:48direct involvement नहों
16:50तो इसमें भी क्या फैसला आएगा
16:53इसका हम लोग अंदाजा लगा सकते हैं
16:55लेकिन कोट का फैसला जो भी हो
16:57बाकिसारी चीज़ें जो भी हो
16:59यहां
17:01एक अस्ती इंतजार कर लिए
17:03इस इंसाब के लिए
17:05आप लोगों की इस पूरे
17:09अतुद सुभार्श के
17:11बारे में क्या राय है
17:13ऐसे केजिस में इस तरीकिसे
17:16जो कोट वक्त लेती है
17:19बरबाद करना कहूं के नहीं कहूं
17:21तो इससे कैसे एक पूरा परिवार
17:25सफर करता है
17:26और क्या इस अस्ती को यूँ
17:28घर में अभी भी रखे रहना चाहिए
17:30आखरी खायश पूरे करने का
17:32इंतजार करना चाहिए
17:33या फिर अतुल सुभाष की आत्मा की
17:36शांती के लिए इसे पूरे रिवात
17:38के साथ गंगा में परवाहित
17:40कर देनी चाहिए विसरजित कर देनी
17:42चाहिए जो भी आप किरा है
17:44आप ज़रूर दीजेगा
17:45बहुत सारे ऐसे केसे कोट के देखे हैं
17:48सुने हैं
17:49बरसों 40-40-35-35 साल
17:51यह पहला है
17:55मतलब मुझे ही यात नहीं है
17:57सिरस्ली में बता रहा हूँ
17:58कि किसी ऐसे केसी
18:00चली कोई
18:01इवन सिविल केस में भी शायर ऐसा नहीं होता होगा
18:04कि सीधे जचसाहाब
18:06चुट्टी पे हैं और उसके अगली तारीक दे रहे हैं एक साल दो हपते बाद के
18:0925 खत्म नहीं हुआ और 26 जब खत्म होने वाला होगा नमंबर के महीना 26 तब पहली तारीक होगी
18:17अब क्या उसकोट में इतना जादा पेंडिंग केस है इतना प्रेशर है अगर है तो फिर उपरी कोट क्या कर रही है उनके काम का वटवारा क्यों नहीं हो रहा है
18:29अंदर की चीज़ों तो पता नहीं है लेकिन वाकरी बहुत अफ्सोसनाक है
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