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00:00वो चढ़ा कर रात में गम बूट्स का तकिया बना के सो रहे थे
00:04उत्तर में होता है
00:07महां सडकों पर आधी रात को गिरे हुए मावाली मिल जाते हैं
00:12जोन्होंने इतनी पीली है कि उनको पता ही नहीं कि वो सडक पर सो रहे हैं
00:15उनके देखे वो सड़क पर ही नहीं, वो अपने घर पहुँच चुके हैं, दर्वाजा खुल चुका है, बिस्तर बिच चुका है, और वो बिस्तर पर सो रहा है, उसने अपने ही जूते का तकिया बना लिया है, सड़क वाले कुटे को पास बुला लिया है, कि आ नुनू, आ �
00:45चाटी पड़ा था जूते को, आपको पता भी नहीं चलता, वैराग्य हो गया, और जिस वैराग्य का पता चले, और जिसमें जोर जब्रदस्ती करनी पड़े छोड़ने में, तो समझ लो अभी पाखंड चल रहा है, वैराग्य आंसूओं के साथ नहीं आता, हाँ, थोड़
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