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  • 2 days ago

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00:00अचार जी बस मेरी एक दुविधा है कि मुझे ऐसा लगता है कि इससे क्या मेरी प्रगती रुक रही है मैं कोई लक्षनी बना पा रहा हूँ मैं क्या करूँ नौकरी क्या सरकारी है हाँ पर मैं
00:11आप पहाड चड़ते हो उसे बोलते हो आरोहन है एसेंचिन प्रगती है क्योंकि आप गुरुत्वाकर्षन के विरुद्ध जा रहे हो कोई बाधा तो होनी चाहिए सरुप्रथम प्रगती के लिए आपके पास तो कोई बाधा ही नहीं है पेट तो मेरा भी भरा हुआ था आप
00:41या बस यह कहोगे कि मेरा सब फीक चल रहा है तो मैं बस यह समझना चाहरा हूँ कि क्या जो दूसरा वाला प्रोसेस है जो जिसमें बहुत टाइम लग रहा है जिसमें चूज करने में टाइम लग रहा है क्या वो किसी तरीके से मैं और कैसे उसमें इंप्रोवाइज कर सकता
01:11अचार जी प्रणाम, अचार जी, मुझे कोई समस्या नहीं है,
01:23मुझे इसी बात से समस्या है,
01:27मैं लगभग आपको तीन साल से सुन रहा हूँ, बदलाओ बहुत है,
01:33मैं खुश बहुत हूँ, अब आत्मविश्वास बहुत है,
01:37मैं खेल रहा हूँ, कूद रहा हूँ, मतलब मैं मन का काम भी कर रहा हूँ, अचार जी,
01:41खुश ही बहुत है,
01:43बस मैं जैसे अभी मुझे प्रमोशन मिला अचार जी,
01:47तो मैंने उसे डिनॉय कर दिया कि मुझे घर से दूर जाना है,
01:52क्योंकि अभी मेरे सब बंधा हुआ है,
01:55मेरे सेट्यूल बंधे हुए हैं,
01:57मैं आपको सुनता हूँ,
01:59सुबह खेलता हूँ,
02:00लेखन करता हूँ,
02:02मुजिक मैं जा रहा हूँ अचार जी,
02:04और्केष्ट वगेर भी करता हूँ,
02:06अच्छी जोब है,
02:07सब बहुत अच्छा है,
02:09मुझे अशा लगता है,
02:10मैं मुक्ती में जी रहँ,
02:11मैं मुक्ष में जी रहँ
02:13पर,
02:15Acharji, बस मेरे एक दुविधा है,
02:17कि मुझे अशा लगता है
02:18कि इस्से क्या मेरे प्रगती रुक रही है ?
02:21मैं कोई लक्ष नी बना पा रहा हूँ
02:23पारहू हूँ.
02:26मैं यह समस्य ने यह दुविधा है, मैं क्या करो हूँ?
02:30नौकरी क्या है? सरकारी है नहीं?
02:32हाँ, पर मैं..
02:40अचारजी, मैं आपका शिश हूँ.
02:42और मैं बहुत महनत करता हूँ, अचारजी.
02:45यहां तक की फीडबेक भी आते हैं कि आप प्राइवेट जॉब मैं हूँ.
02:49मैं बहुत महनत करता हूँ.
02:51मैं खुश बहुत हूँ, बस दुविधा यही है कि क्या मेरी प्रगती रुक रही है इससे,
02:58मैं बस इतना, मैं द्वन्द में हूँ ऐसा, बस.
03:03पेटा, दुनिया में जब भी प्रगती होती है, वो किसी बाधा के विरुद्ध होती है, न?
03:13आप पहाड चड़ते हो, उसे बोलते हो आरोहन है, एसेंचिन, प्रगती है, क्यूंकि आप गुरुत्वाकर्षण के विरुद्ध जा रहे हो.
03:25कोई बाधा तो होनी चाहिए, सरुप्रतम प्रगति के लिए. अन्य था, उसे गति बोलते हैं, बस. बाधा कुछ नहीं है, ऐसे ऐसे चल रहे हैं. उसे बोलते है, गति.
03:35तो प्रगति और अगति में कुछ तो अंतर होगा
03:40प्रगति माने क्या होता है
03:44जब नीचे खीचने वाली बाधा के विरुध धगति करी जाए
03:50आपके पास तो कोई बाधा ही नहीं है
03:53मस्त नौकरी है पेट भरा हुआ है खेलते हैं कूटते हैं
03:56तंतूर बजाते हैं सो जाते हैं तो फिर इसमें
03:59जब कोई बाधा ही नहीं है तो प्रगति कहां से होगी
04:01इलेक्ट्रिकल इंजिनियर कोई है यहां पे
04:06एक सर्किट है जिसमें रेजिस्टेंस ही नहीं है
04:09उस सर्किट का क्या होगा
04:11भुग जाएगा फट से
04:13जब बाधा ही नहीं है तो करेंट भी नहीं बहा सकता कितनी अजीब बात है हम उसको नाम देते हैं रिजिस्टेंस पर क्या वो रिजिस्टेंस है वो तो एनेबलर है एक रिजिस्टेंस लेस सर्किट हो तो फुग जाएगा
04:28हम resistance इसलिए minimize करते हैं
04:32electronics
04:34zero resistance की जो अवस्था होगी
04:38वो बड़ी गड़बढ होती है
04:40minimize थो हम करना चाहते हैं ताकि losses नहों
04:44पर zero resistance
04:45इसी थरीके से
04:48हम इस पर चलते हैं
04:51हम बोलते हैं friction है
04:53friction है फिक्षिन तो गड़बढ चीज है
04:55पर friction ना हो तो मैं गिर पड़ूँगा
04:57friction ना हो तो आप
04:59खड़े क्या आप बैठे भी नहीं रह सकते
05:01आप गिर जाओगे सोफे से भी गिर जाओगे बैठे बैठे
05:03बाधा कहा है बाधा तो होनी चाहिए तब तो प्रगति होगी
05:07जीवन में जब आपने अभी तक कोई बाधा ही नहीं चुनी
05:12कहीं आपने कोई ऐसा लक्षय ही नहीं चुना जो पाने लायक हो
05:21सीधे काऊं तो आप अभी तक अपना दुश्मन ही चेहनित नहीं कर पा रहे
05:26तो आपकी प्रगति कौन से होगी
05:29ऐसे ऐसे करिए करिए
05:33यह माइक पहने माइक पकड़के करिए ऐसे बार बार इधर डंबल्स कर रहे है
05:41बाइसे बन जाएंगी क्यों है ऐसे ही तो कर रहे है ऐसी तो करते है सब करो माइक पकड़के करो
05:48बन गई क्यों क्यों नहीं बनी कोई बाधा नहीं है
05:56हाथ में बाधा पकड़नी पड़ती है, तब ऐसे करने से कुछ होता है यहाँ पर
06:03लेकिन अचाहरी जी मुझे ऐसा लगता है कि
06:07मुझे यहीं तक आना था
06:09और बाधाय में पार करके आया हूँ, खूब संगर्च किया
06:14फिर मैं यहां तक आया, रिलेशन अच्छा
06:17यह भी अच्छा, जितना मुझे चहिए था, उतना मिल रहा है
06:20और
06:21मैं आपसे जुड़ा हूँ, और तीन साल हो रहा है अचाहरी आपसे
06:27और मुझे लगता हुश हूँ, बहुत खुश हूँ
06:29तो बस मतलब प्रगति बस मुझे यहीं तक जाना है कि
06:33यहीं तक जाना है तो यहीं तक रहो, उसका कोई इलाज नहीं है
06:37यह तो अपनी से इच्छा की बात है कि मैं अपने अब
06:41पुआ मिल गया है, उसमें पानी भी है, थोटे मूटे कीडे भी है, पेड भर जाता सरकारी नौकरी यह मस्त है
06:49क्या समस्य आया, उसमें कुछ नहीं है, बस जितना पक्तव है तुम्हारा उसमें से एक छोटा सा वाक्यांश कट जाएगा
06:58कट यह जाएगा कि मैं तो बड़ी से बड़ी चुनोतियां सुईकार करकी उनके विरुद संगर्श कर रहा हूं
07:04तो मेरे साथ तो वही चल पाएंगे तो चुनोतियां उठाने को सुईकार हो, बाकी सब तो मेरे लिए डेट वेट जैसे है न, एक फाइटर प्लेन और एक कमर्शियल एरलाइनर दोनों के वजन में क्या नुपात होता है, फाइटर प्लेन बहुत हलका होता है, क्योंकि फा
07:34उठा करके उनकी कामना की जगह पर ले जाना है, फाइटर प्लेन डेडवेट लेके थोड़ी चल सकता है, मैं फाइटर प्लेन हूँ, जो बाम बनने को तैयार हो, जो खुदी एक्स्प्लोड करने को तैयार हो, वो तो मेरे साथ नजर आएंगे, डेडवेट थोड़ी फा�
08:04और मैं कहा रहा हूँ, कुछ भी ठीक नहीं है, सब कुछ बदलने की ज़रूरत है, अब तेरा मेरा मनवा कैसे एक होईरे, तुम कहा रहा हो, सब ठीक ही चल रहा है, मैं कहा रहा हूँ, कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है, तो हम दोने एक साथ कैसे चलेंगे फिर, तुमको चल
08:34हम साथ कैसे चलेंगे बताओ
08:41पढ़ते हो दुनिया में क्या चल रहा है
08:44मैं थीखे मुझे यहीं तक आना था आगे जाना नहीं है
08:49पढ़ते हो दुनिया में क्या चल रहा है या बस अपना पेट भर गया तो सम्तुष्ठ हो
08:53दुनिया के लिए कोई तुम्हारे मन में समवेदना नहीं है
09:03पेट तो मेरा भी भरा हुआ था
09:06आप जिस सरकारी नौकरी में होगे उससे उपर की मेरे पास थी
09:10तो मैंने क्यों नहीं कह दिया कि मेरा भी सब अच्छे ही चल रहा है
09:14मुझे क्यों बाहर जा करके आफत मोल लेनी है संघर्ष करना है
09:18कुछ करोना कुछ समवेदना कुछ संस्टिविटी है दुनिया के लिए कि नहीं है
09:21या बस यह कोगे कि मेरा सब ठीक चल रहा है
09:23या मैं अपने विक्तिकत घर के लिए संघर्ष कर रहा हूँ
09:28मेरे चार चोटे चोटे बच्चे हैं मुझे उनके लिए कुछ वसियत विरासत च्छोड़कर जानी है
09:34तुनके लिए में पैसा ही कठ्था कर रहा हूँ
09:36मैं यह जो कुछ कर रहा हूँ
09:39किसके लिए कर रहा हूँ
09:40और तुम सारी बाते वो बोल रहे हो
09:44मेरे पास नौकरी है, मेरा ठीक चल रहा है, मैं आफिसे महनत कर लेता हूं, मैं इससे संतुष्ट हूं, मैं वापत आके गाना सुन लेता हूं, मैं दौडबाद कर लेता हूं, फिर मैं कीता सुन लेता हूं, मेरा सब ठीक चल रहा है, ये इतनी जो मेरा मेरा की बात है, इसको �
10:14साथ किलो मीटर में सडक पर कोई कुटा गाय जानवर कुरूरता का शिकार दिखाई नहीं देता क्या
10:19तो कैसे सब ठीक चल रहा है अंधे हो के जाते हो ओफिस
10:24साथ किलो मीटर में तो बहुत कुछ दिख जाता है तुमने कुछ नहीं देखा
10:29तो कैसे सब ठीक चल रहा है?
10:35किस शहर में जाते हो?
10:39सिटी है सर
10:40कौन सी सिटी?
10:40जबलपूर MP
10:41जबलपूर
10:42अचार जी, मैं आपके साथ हूँ
10:51मैं हमेशा से
10:52मेरे साथ नहीं हो
10:53अचार जी
10:54मेरे साथ हो
10:56रहसान कर रहे हो जैसे मेरे साथ
10:58कैसे मेरे साथ हो लोगे
11:00इतना सस्ता है
11:03कैसे साथ हो
11:08हर चीज में लोगों को
11:10हर चीज में कैसे साथ हो
11:11तुम तो आफिस जाते हो, जॉब करते हो, आपस आते हो
11:13खाना खाते हो, संगीत सुनती हो, वैयाम करते हो, सो जाते हो
11:15मेरे साथ कैसे हो
11:16मेरे साथ कैसे हो बताओ
11:21मुझे तो मेरी जिन्दगी की लक्ष मिल गया है
11:31मन्जिल मिल गई है
11:32बहुत मेहनत करी थी नौकरी मिल गई
11:33सरकारी अब मैं उसमें बहुत खुश हूँ
11:35तुम्हें तुम्हारी मन्जिल मिल गई है
11:36और मैं कहता हूँ कि मैं
11:38जिस यात्रा पर हूँ, उसमें मनजिल अनंत है, मुझे पता है, मुझे मरते दम तक मनजिल नहीं मिलनी, मेरे साथ कैसे हो तुम, भाई, मेरा काम उनके लिए नहीं है, जो अपनी घर ग्रहस्ती में संतुष्ट होकर बैठ गए है, कल को तुम शादी ब्या कर लोगे, बच्च
12:08जिनके दिल में आग लगी हुई है, मेरा काम उनके लिए है, जो मस्त हैं मिलकुल कि अब तो अपना मूटा बदा मधाया, सेक्योर पैसा आता है, परिशानी क्या है लाइप में, चलो हॉबी की तरह गीता भी पढ़ लेते हैं, उनके साथ मेरा थुड़ा अच्छ लेगा,
12:38चैन नहीं, और तुम्हें कहीं बेचैनी नहीं, तुम मेरे साथ कैसे हो, बताओ, मैं तो अभी आधे गंटे का ब्रेक भी हुआ था, उसमें भी काम कर रहा था, मुझे एक पल का चैन नहीं है, तुम कह रहे हो, मुझे कोई बेचैनी, कोई समस्या नहीं है, हम दोनों एक सा
13:08साथ नमशकार, मैं जाती सवाल पूछना नहीं चाता था, लेकिन छेड़ गया है, तो से follow-up पूछ रहा हूँ, मेरा बिलकुल reverse है, करियर में एक linear growth लगादार मिलती जा रही है, जैसे सोचा था कि इस point पे इतने पैसे मिल जाएंगे तो ठीक रहेगा, इस point पे इतने पैसे
13:38खाये जा रहा है अंदर से, खाये जा रहा है, और अब मैं बहुत ज़्यादा conscious हो रहा हूँ कि अभी तक मैं जैसा हूँ, मैंने जैसे चीज़ें चूज करी थी, उसकी वज़े से मैं यहाँ पहुच गया, अब मैं ऐसे ही रहते हुए, अब अगला कुछ option चूज कर लोगा
14:08चुनू, क्या चुनू, कौन सी परिशानी है जिसमें बिलकुल जुका जा सकता है, बिलकुल खितम हुआ जा सकता है, लेकिन इस सब के बीच में वो जो मतलब जो office के जितने भी KPIs है, performance है, वो अपने आप slow होती जा रही है, क्योंकि मतलब मैं 100% निकल ही नहीं रहा है, कि मत
14:38यूज करने में टाइम लग रहा है, क्या वो किसी तरीके से मैं और कैसे उसमें improvise कर सकता हूँ, कैसे better कर सकता हूँ, दो तरह के लोग होते हैं, एक घटका वाले एक हलाल वाले, घटका वाले वो कि जिनमें दम होता है कि एक बार में ही जो चीज खत्म होनी चाहिए कर दिय
15:08और दूसरे वो होते हैं जो कहते हैं कि धीरे धीरे धीरे धीरे slow bloodletting हो रही है, उसके बाद परिष्टा टूटेगा, तो ऐसे मैं जब कोई आके बोलता है कि आचारे जी मुझे दिखाई देता है कि मेरी job meaningless है, काम में अब मन नहीं लगता और मेरे जितने KPIs हैं और performance metrics हैं, �
15:38करने तो ताकि तुम्हों जल्दी से निकाल दें, क्योंकि खुद तो तुम निकलने से रहे, घटका वाला तुम्हारा हिसाब है नहीं, तुम्हारे लिए अच्छा यही है, कि तुम्हारा काम इतनी तेजी से खराब हो कि तुम्हारा boss ही तुमको fire कर दे, अब थोड़ी गर
16:08इसलिए भी होता है कि कोई विकल पता नहीं चल रहा होता है, तब अस्तितो खुद ऐसी स्थितियां तयार कर देता है कि आपका जो पुराना जहान है, वो टूट जाए, dismantle हो जाए, क्योंकि आप उसमें मन नहीं लगा पाओगे, ध्यान नहीं दे पाओगे, तो फिर वो ख
16:38जाए, मगवान महावीर के साथ कुछ-कुछ ऐसे ही हुआ था, वो निकलना चाहते थे, उनके घरवाले उनको निकलने नहीं दे रहे थे, और घर में स्थितियां भी कुछ बार-बार ऐसी बन जाती थी, कि उनका निकलना मुश्किल हो जाता था, कभी घर में किसी की मृत्त
17:08फलाने अब नहीं रहे, तो उनका सब काम तुम्हें सभालना अभी तुम नहीं जा सकते, जिम्मेदारी, तो बिचारे जाना पाएं।
17:17तो वो घर में ऐसे अन्यमनस खोकर रहने लगे, वो घर में रहते हुए भी ऐसे रहने लगे जैसे वो घर में है ही नहीं।
17:28तो फिर घरवालों ने एक दिन खुदी हाँ जोड़के उनसे कहा कि जा तो तुम चुके ही हो अब चले ही जाओ
17:35तो उम्हें रोकने से कोई फाइदा नहीं हुआ क्योंकि तुम यहां होकर भी यहां के हो तो नहीं
17:41जा तो तुम चुके हो तो अब चले ही जाओ
17:43तो ये अस्तित्य की प्रक्रिया होती है
17:46आपको राहत देने की
17:49सर वो बिलकुल हर एक एस्पेक्ट में हो रहा है
17:52वो सिर्फ ओफिस में नहीं हो रहा है
17:53वो घर में भी सेम हो रहा है कि
17:55आप बिलकुल बुद्ध बन के बैठे हुए हो वहाँ पर
17:57कि या तो आप खतम कर लो फिर मैं अपना शुरू करूँ तो
18:00तो मैं बचाना चाहते हो
18:03तो खुदी जल्दी कर लो सक्रिय रूप से
18:06तो मैं अपनी और से नहीं भी बचाना चाहोगे
18:11तो फिर अब स्थितियां स्वयम ही ऐसी बनेंगी
18:15निकल तो जाओगे ही हाँ समय बरबाद होगा
18:20जो काम अभी हो सकता है वो चार साल बाद होगा
18:23पर ये आप सब लोग पक्का समझ लीजिए
18:33कुछ चीजें ऐसी होती हैं
18:36जिनने देख कर अंदेखा नहीं करा जा सकता
18:39कुछ बातें ऐसी होती हैं
18:41जिनको समझने के बाद आप ना समझ बने नहीं रह सकते
18:44अगर मैं सफल हो पाया हूं गीता आपको
18:49समझाने में आंशिक रूप से भी
18:52तो आप मुझसे भाग कर भी चले जाओ
18:55आप गीता को छोड़ कर भी चले जाओ
18:57आप चैन नहीं पाओगे क्योंकि कुछ बात आपने समझ ली है
19:00अपनी समझ पर खुदी परदा कैसे डालोगे
19:02कुछ है जो आपने सुन लिया है उसको अंसुना कैसे करोगे
19:06तो आपकी प्रक्रिया शुरू हो गई
19:11मेरी संविदना है मेरा शोक संदेश आपके साथ है
19:17पर आपकी प्रक्रिया तो शुरू करा दी है मैंने
19:21अब वो प्रक्रिया आपके उपर है कि जल्दी से पूरी कर लेते हैं
19:28जटका दे करके या धीरे धीरे आप कहते हैं कि रक्त बहता रहे
19:33रक्त बहता रहे और painful prolonged death होगी
19:37मेरी आम तोर पे जो style रहती है वो ये रहती है कि
19:44करो करो करो करो बरदाश्ट करो और जब एकदम सपष्ट हो जाए कि
19:49हो गया तो फिर एक जटके में अचानक बिना सूचना बिना चेतावनी के समाप्त
19:54कोई मुझसे भी ज़्यादा साहसी हो तो वो और जल्दी भी समाप्त कर सकता है
20:02लेकिन यह पक्का समझ लीजिए कि अंधेरे कमरे में थे आप
20:09और सोच रहे थे कि तब पकवान ही पकवान पड़े हुए जमीन पर चाट रहे थे
20:14सिर्फ तीन सेकेंड के लिए कमरे में रोशनी हो गई सिर्फ तीन सेकेंड के लिए और फिर उतने घुप अंधेरा हो गया जितना पहले था
20:25पहले खुप अंधहरा था, जमीन पे आप चाटे आ रहे थे कि पकवान पड़े, तीन सेकेंड की रोशनी हुई, उसने दिखा दिया कि जमीन पर टक्टी पड़ी हुई है, और फिर उतना ही अंधहरा होगे उतना पहले था, क्या आप चाट पाओगे, कुछ देख लिया आप
20:55जल्दी
21:01परलो
21:01परणाम सर
21:06सर दुनिया में हमारे interactions होते हैं तो उसमें लोगों के hidden motives होते हैं कई बार तो वो हमें समझ नहीं आते हैं वो किस motive से बात कर रहे हैं
21:17तो जब समझनी आते कई बार तो तकाल समझ में आ जाते हैं पर जब समझ नहीं आते तो मन में बार बार घूमती रहती है उनकी बातें
21:25तो सर, जानने, समझने की प्रकिरिया है, यह उस चीज का हिस्सा होता है, या फिर
21:31कुछ मैं गलत समझ रहा हूँ, इसमें जो पाद होती है?
21:37मतलब इससे स्ट्रेस पाद होती है, क्योंकी वाते बादे बादे का पता नहीं क्या इरादा है?
21:42जी
21:43तो क्या पता क्या है, उसे ही नहीं पता उसका क्या इरादा है, आपको कैसे पता क्या इरादा है, आपको अपने इरादे पता होते हैं, तो आपके सामने जो आपसे व्यवहार कर रहा है, उसको अपने इरादे कैसे पता होंगे, किसी हो कुछ नहीं पता, पर फिर भी व्यवह
22:13आप कर्म के अनुभोकता होते हैं, आप कर्म के श्रोत थोड़ी होते हैं, एक्षन का जो पूरा प्रोसेस है, जब वो बिल्कुल अपने end point, आखरी मुकाम पर पहुंच रहा होता है, तब आपको उसका पता चलता है, लगबग वैसे है कि जैसे कोई बीमारी आपके भीतर बह
22:43कर्म की जो पूरी प्रक्रिया होती है, उसका आखरी सिंटम होता है कर्म, प्रक्रिया तो उसके पीछे बहुत लंबी है, और जो पूरी लंबी प्रक्रिया है, उससे मनभिग्य होते हैं, इसी को आत्म अज्यान कहते हैं, हमें नहीं पता कि मेरे भीतर क्या लहर चली, जिसक
23:13पता मेरे भीतर पूरी वो प्रोसेस, वो पूरा जो प्रोसेस है, उसके अलग-अलग स्टिप्स क्या है, मैं नहीं जानता, मुझे बस ये पता है, कि उसके आखरी बिंदू पर आकर, मुझे ऐसा अनुभा हुआ, अलगा, experience हुआ, कि मुझे येस बोल देना चाहिए, तो मैंन
23:43जाता है, तो मैं पता चलता है, जैसे acidity, आपके भीतर बहुत acid है, acid है, acid है, आपको पता कब चलता है, जब ड़कार आती है, और गला जलता है, तो कर्म हमारे और शब्द हमारे, और भाव हमारे, सब acidity की तरह होते हैं, वो भीतर पकर होते हैं, पकर होते हमें नहीं पता हो
24:13से पूछता रहा समस्या बताओ आप बताई नहीं पाओगे आप अनुभाव करते हो जानते नहीं हो और मैंने इतनी बार बोला है
24:21understanding and experiencing यह तो बहुत अलग अलग बाते हैं ठीक वैसे जैसे हम दुनिया भर की चीज़ों को experience करते हैं जानते तो कुछ है नहीं वैसे हमारे भीतर भी जो चल रहा है हम उसको भी बस experience करते हैं जानते नहीं है
24:36तो सर जानने के लिए जो है उसमें और पहनी द्रिष्टी की जुरत है लंबा समय लगेगा जो उसकी प्रक्रिया है मैं आपको उसी में साथ ले चल रहा हूँ पूरा गीता कारक्रम उसी लिए
24:48जो गीता कारकरम है, इमानदारी से है, मेरी बात को सुन रहा है, समझ रहा है, फिर बोल रहा हूँ, संसार में बेवकूफ नहीं बन सकता, ऐसा नहीं हो पाएगा कि दुनिया आगे आपको ठग ले गई, हाँ, इतना जरूर हो जाएगा कि दुनिया के प्रतियाब ऐसे हो जा�
25:18तुने मुझे लूटा नहीं है, मैंने तुझे दिया है, ले जाएगा, तो सर इस प्रोसेस में stress, tension, यह सब भी इन्ल्यूद हो?
25:28Stress tension से कोई फाइदा नहीं है, क्योंकि नहीं समझ में आ रहा तो stress समझ में तो नहीं आ जाएगा, और समझ ऐसी चीज नहीं है कि खट से हो जाना है, अभ्यास करना पड़ता है, हर गीता सत्र आपकी समझ को पैनी करता है, एक कदम और आगे बढ़ाता है, तो यह कहना कि मु�
25:58लेकिन प्रमाल आने शुरू हो जाते हैं कुछ महीने में, दन्योच से हैं, धन्योच से हैं, हम्
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