00:00कहते हैं एक साल में पचास दोस्त बनाना बहुत मुश्किल काम नहीं है
00:05लेकिन पांच दशकों में एक दोस्त को कायम रखना यानि पचास सालों से एक दोस्त को हमेशा ना दोस्त बनाकर रहना यह मुश्किल बात जरूर है
00:16और यहां तो 5 तशकों की भी बात नहीं है। लगभग साथ तशक से भारत और रूस के रिष्टे ऐसे रहे हैं कि अनेको तूफाह ना, अनेको इंतहाना, अनेको बार इसका टेस्ट लिया गया लेकिन ये friendship टेस्ट हमेशा भारत और रूस के रिष्टों में सफल ही रहा ये अ
00:46पर आती हैं जो एक दूसरे की मदद करने की आपस में लोगों की कोश्चे रहती है उसका कोई सानी नहीं है और यही वज़ा है जैसा मैंने पहले कहा कि एक साल में आप 50 दोस्त बना लीजे लेकिन
00:58सतर सालों से एक दोस्त के साथ वैसी दोस्ती रखना अगर इम्तिहान है तो इम्तिहान में हम पास है
01:04आज राश्पती पुतिन जिस मुकाम पर है वहां पहुंचना उनके लिए आसान नहीं है राश्पती पुतिन का जन्म 6 अक्टूबर 1952 को रश्या के लेनिंग्राद में हुआ था जिसे आज सेंट पीटर्सबर्ग कहा जाता है शुरुवाती दिनों में राश्पती पुति
01:34किया जाता था, पढ़ाई के दिनों पे जब उन्होंने जासुसी से जोड ओंप देखी तब उन्होंने तै कि वो सोवियत संग की ख Henriollar एज़ेंसी क्या � भर्ती हो गे इसके लिए उन्होंने लों की पढ़ाई की
01:48और पहली बार साल 1975 में उन्हें सोवियत संग की तरफ से इस जर्मनी में तेराथ किया गया
01:55उस समय दुनिया दो धड़ों में बटी हुई थी
01:57इस्टन ब्लॉक कहते थे जिसकी अगवाई सोवियत संग के पास थी
02:01और दूसरा धड़ा था वेस्टन ब्लॉक जिसका नित्रतुर अमेरिका और पश्चिमी देशों के पास था
02:07यानि पहली ही पोस्टिंग में उन्हें एक ऐसे शहर जाकर जासूसी करनी पड़ी जहां खत्रा बहुत था
02:14पुतिन काम तो एक ट्रांस्लेटर का कर रहे थे लेकिन साथ ही वो खुफिया जानकारी भी जुटाने में आगे रहते थे
02:22और इस से केजीबी में उनके काम की काफी चर्चा होती थी
02:25पुतिन ने इस जर्मनी में सोवियत संग के लिए कई सालों तक पश्चिनी देशों की जासूसी की और इस दोरान वो जर्मन भाशा बोलना भी सीख गए
02:34पुतिन अपने इंटर्व्यू में कई बार कह चुके हैं कि वो सब के सामने अंग्रेजी में बात करने में असहज महसूस करते हैं
02:41लेकिन जर्मन भाशा बोलने में वो माहिर है
02:44साल 1991 में जब सोवियत संग का विगटन हुआ तब पुतिन इस से बहुत खापा थे
02:51पुतिन नहीं चाहते थे कि सोवियत संग का विखराव हो
02:54उस वक्तिन केजीवी से रिटायर होकर रशा की राजनीती का हिस्सा बन गए थे
02:59उन्हें रशा के एक शहर के मेयर का डिप्टी बनाया गया था
03:03ये भी कहा जाता है कि सोवियत संग के विगटन के बाद
03:07पुतिन की मुलाफात तखकालीन राष्टपती बोरिस येलसिन के दामाद से हुई थी
03:11और वो पुतिन की कारशाली से इतने खुश थे कि वो उठे मॉस्को लेकर आए
03:16और इसके बाद मॉस्को में पुतिन का गद धीरे धीरे बढ़ता गया
03:20ये वो दौर था जब बोरिस येलसिन की लोग प्रियता तेजी से कम हो रही थी
03:24और इसके दो कारण थे
03:26बोरिस येलसिन के कारेकाल में रश्या का आर्चिक संकट बर रहा था
03:30और रश्या में बेरुजगारी और गरीबी चरम पर थी
03:33दूसरा कारण ये था कि बोरिस येलसिन को शराप पीने की लग थी
03:37अब लोग चाहते थे कि रश्या में कोई नया नेता आए
03:41और यही से पुतिन की कहानी शुरू हुई
03:43चेचनिया ने सोगियत संग के विघटन के बाद खुद को एक आजाद मुल्क खोशित कर दिया था
03:51लेकिन इसके बाद चेचनिया ने रश्या को अपना निशाना बनाना शुरू कर दिया
03:55चेचनिया के लडाकों ने 1999 में मॉस्को में सीरियल बं धमाके किये
04:00जिनमें 300 से ज्यादा लोग मारे गए
04:03अब यहां पुतिन को ये काम स्वापा गया कि वो चेचनिया के लडाकों का सफाया करे
04:07पुतिन ने कहा कि चेचनिया का एक भी लडाका जिन्दा नहीं बचेगा
04:11उन्होंने चेचनिया में अपनी सेना भेजी
04:14सभी जवारों के शरीर पर कैमरे लगाए गए
04:16ताकि चेचनिया के लडाकों का खात्मा कैमरे पर दिखाई दे
04:20और रश्या की जन्ता ये देखे
04:22कि जो मॉस्को पर उंगली उठाएगा उसका हश्र ऐसा होगा
04:25जब पुतिन ने इतनी बहादूरी से चेचनिया के लडाकों को खत्म किया
04:32तो रश्या की जन्ता उनके पक्ष में जुब गए
04:34और इसी के बाद वो राश्पती बने और आज तक रश्या का दियांतर उन्हीं के पास है
04:39बड़ी बात यह है कि 20 सदी की शुरुआत से पहले 31 दिसंबर 1999 को पुतिन रश्या के कारेवाहक राश्पती बने थे
04:48जब कि दड़ेदर मोधी भी इसके कुछ समय बाद साल 2001 में गुजरात के पहली बार मुखे मंत्री चुने गए थे
04:55और उनकी कहानी भी संघर्चों से भरी हुई थी आज तक व्योरो
05:00रश्या के राश्पती पुतिन का अंदाज दुनिया के तमाम नेताओं से जरा हटके है
05:06वो नेता के साथ एक स्टाइल आइकॉन के साथ स्पोर्ट्स और एडवेंचर को पसंद करने वाले व्यक्ति के अंदाज में नदाज में नदाज आते हैं
05:14ब्लादिमिर पुतिन जुडो के काफी ज्यादा शौकीन हैं कहा जाता है कि जहां इनका जंग हुआ
05:19वहां लड़कों में आपस में मारपीट आम बात थी ऐसे में पुतिन कमजोर ना पड़े इस दिये उन्होंने जुडो सीख लिया
05:25और वो जुडो में ब्लाक पेल्ट चैंपियन हैं उन्होंने जुडो पर कई किताबे भी लिखी और आज भी वो जुडो को गंभीटता से लेते हैं
05:33पुतिन को आइस होकी भी काफी पसंद है साल 2019 पे आइस होकी खेलते हुए पुतिन ने आठ गोल दागे थे
05:41उन्होंने साइबेरिया में बिना शड घुर सवारी की वेल पर क्रॉस बो से निशाना साधा पुतिन को स्विमिंग का भी काफी शौक है कहा जाता है कि वो हर दिल थोड़ी देर के लिए स्विमिंग ज़रूर करते हैं यानि स्पोर्स एक्टिविटी उनकी दिन चरिया में
06:11की सवारी करना जिम कॉर्बेट में बेर ग्रिल्स के साथ एडवेंचर करना हो या कूनो सफारी करना हो उन्होंने दुन्या में योग की ब्रैंडिंग की युवाओं को फिट्मेस चैलेंज दिये
06:21पी एम मोदी एक बार मैन वर्सेज वाइल के स्पेशल एपिसोड में बेर ग्रिल्स के साथ एडवेंचर करते नजर आये थे जिस पार्क में इस एपिसोड की शूटिंग हुई थी वहां धाई सो बाग रहते हैं
06:33उन्होंने 75 साल बाद देश में चीतों की वापसी कराई जब कूनो नैशनल पार्क में डक्षन अफ्रीका के नामीविया से चीते भारत लाए गए इस दोरान पिये मोदी का सफारी लोग देखकर हर कोई हैरान देख गया उन्होंने खुद अपने कैमरे से चीतों की कई तस
07:03हुआ का दिया एक बार उन्होंने मेड इन इंडिया टैंक अर्जुन मार्क वन ए की सवारी की जिसमें वो आदमी लुक में थे पीए मोदी की एक और तस्वीर खुब वायरल हुई थी जिसमें वो सेना की वर्णी पहने टैंक की सवारी करते नजरा आए कोरोना काल में पी�
07:33क्वालिटी टाइम भी बिताया था 2019 पे उन्होंने केदादनात की गुफा में साधना की थी उन्होंने कन्या कुमारी में विवेका नंद मेमोरियल पर भी 24 खंटे ध्यान किया था पिये मोदी एक जमाने में पैरा ग्लाइडिंग भी कर चुके हैं उन्हें तैरना भी आता है �
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