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  • 4 hours ago
बस्तर की अगहन जात्रा में 365 गांवों के लोग शामिल हुए.ऐसा माना जाता है कि मनोकामना पूरी होने पर श्रद्धालु दर्शन करते हैं.

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00:00बस्तर की आराध्य देवी मा दंतेश्वरी की बहन मा शीतला माता को माना जाता है, जिनकी पूजा अगहन जात्रा के बाद किये जाने की परंपरा है।
00:30इस दोरान देवी को पहली फसल से बने पकवान या पहली फसल का थोड़ा सा हिस्सा चढ़ाने की परंपरा निभाई गई।
01:00पूजा अर्चना के बाद परंपरा नुसार धूल मांदर, तुरी, मोहरी और परंपरिक बांसूरी की धुनों के साथ जुलुस के रूप में माता को मंदिर तक ले जाया गया।
01:24सबसे पहले माटी पुजारियों ने नए धान से बने चावल का भोग चढ़ाया जिसे नवा भोग कहा जाता है।
01:3184 पल्ली से माता को भेंटे चढ़ायी जाती है।
01:46इस दोरान माता को लोग मननत पूरी होने पर सामर्थ के अनुसार पश्वों की बली भी चढ़ाते हैं।
01:53परकन-परकन महला काला के पुजारी होते हैं।
01:56उन लोग वहाँ सेवा शासन करते हैं।
01:58वो ठीक होने बाद मनत मांगते हैं कि मातारानी हमको ऐसा घष्ट मत दे।
02:04हमको अच्छा रखे।
02:07उसका के एवज में वो कोई बदक मनत करता है।
02:14अगहन जात्रा के साथ ही बस्तर संभाग में मेला मड़ाई शुरू हो जाते हैं।
02:33आदिकाल से चली आ रही इस परंपरा ने आज भी बस्तर के गावों को एक सुत्र में बांधे रखा है।
02:40अगहन जात्रा इस बात का प्रतीक है कि भले ही दोर बदल गया हो लेकिन माता पर लोगों की आस्था वक्त के साथ बढ़ी है।
02:49दंतिवाला से मुकेश श्रिवास, ETV भारत
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