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  • 50 minutes ago
रक्षा के क्षेत्र में नए-नए इनोवेशन हो रहे हैं. इसी कड़ी में DRDO को बड़ी सफलता मिली है. इसने कम्यूनिकेशन का स्वेदेशी सिस्टम डेवलप किया है. जिसका उपयोग वहां किया जा सकता है. जहां मोबाइल और सैटेलाइट नेटवर्क नहीं हो. या फिर इन नेटवर्क के हैक होने का खतरा हो. डिजास्टर के वक्त जब सारे कम्यूनिकेशन सिस्टम फेल हो जाते हैं , CTCS  काम करेगा. इस कम्यूनिकेशन सिस्टम में ऊंचे-ऊचे पहाड़ भी रुकावट नहीं बनेंगे.  इस सिस्टम को देहरादून स्थित DRDO की DEAL ने डेवलप किया है.आइये जान लेते है कि आखिर क्या है CTCS टेक्नोलॉजी ? इसका पूरा नाम कॉम्पैक्ट ट्रांसहोराइजन संचार प्रणाली है. जो एक पोर्टेबल कम्यूनिकेशन टर्मिनल है. वायुमंडल के ट्रोपोस्फीयर लेयर के जरिए रेडियो पाथ का इस्तेमाल करता है. जो पहाड़ी इलाकों में भी वायरलेस लिंक बनाने की क्षमता देता है. आपदा की स्थिति में भी काम करता है. इसके थ्रू भरोसेमंद IP नेटवर्क कनेक्टिविटी बनती है. इसमें AI इनेबल्ड CTCS लिंक प्रेडिक्शन सॉफ्टवेयर भी इंटीग्रेटेड है. सेटअप करना आसान है. आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है.हिमालयन क्षेत्र में सबसे ज्यादा आपदाओं का सामना करना पड़ता है. सबसे ज्यादा लैंड स्लाइड और एवलांच इस रिजन में आते हैं. इस वक्त संचार को कोई साधन नहीं होता. ऐसे में डीआरडीओ का ये सिस्टम कम्यूनिकेशन का काम कर सकता है.CTCS टेक्नोलॉजी का लगातार दुर्गम क्षेत्रों में परीक्षण किया जा रहा है. जहां पर जाना मुश्किल है. इसी के चलते  मिनिस्ट्री ऑफ़ होम, आर्मी और नेवी के द्वारा DRDO के इस CTCS सिस्टम की सबसे ज्यादा डिमांड है.फिलहाल डीआरडीओ के द्वारा डेवलप इस कम्यूनिकेशन सिस्टम का ट्रायल गुजरात में किया गया. इसके अलावा देहरादून में भी लगातार अलग-अलग जगहों पर इसका परीक्षण चल रहा है.

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00:00
00:30उचे उचे पहाड भी रुकावट नहीं बनेंगे
00:32इस सिस्टम को दहरादून इससे DRDO की डील ने डेवलप किया है
00:37आईए जान लेते हैं आखिर क्या है CTCS टेकनोलजी
00:43इसका पूरा नाम Compact Trans Horizon संचार प्रिनाली है
00:47जो एक Portable Communication Terminal है
00:50वायूमंडल के ट्रोपो स्फियर लेयर के जरिये रेडियो पात का इस्तमाल करता है
00:56जो पहाड़ी इलाकों में भी वायलेस लिंक बनाने की ख्षमता देता है
01:00आपदा के स्थिती में भी काम करता है
01:02इसके थ्रू भरोसिमन्द IP Network Connectivity बनती है
01:06इसमें AI Inbuilt CTCS Link Production Software भी इंटिग्रेटेड़ है
01:11इसका सेटप करना आसान है
01:13आसानी से एक जगा से दूसरी जगा ले जाया जा सकता है
01:16हिमालेन शेतर में सबसे ज़्यादा आपदाओं का सामना करना पड़ता है
01:42सबसे ज़्यादा लैंड स्लाइड और एवलांच इस रीजन में आते है
01:45इस वक्त संचार का कोई साधन नहीं होता
01:48ऐसे में DRDO का ये सिस्टम कम्निकेशन का काम करता है
01:52बेसिकली जो DRDO है सर
01:55DRDO जो दो में जो मौन्टेनियस रीजन है
01:58सेंटरल वेस्टर्न और इस्टर्न हिमालेन रीजन में
02:02वहाँ पे जो प्रॉब्लम है वो है लैंड स्लाइड और एवलांच की
02:05तो हमारे सिस्टम्स जो है सर DRDO जो टेक्नोलोजी पे काम कर रही है
02:09वो डिटेक्शन से लेके
02:10अर्ली फॉर्कास्टिंग, अर्ली वार्निंग
02:13और दन कमांड कंट्रोल सभी लेवल पे काम करते हैं
02:15तो बेसिकली डील जो है सर
02:17वो कम्मिनिकेशन के एरिया में काम कर रहा है
02:19जैसे हमारी एक लाब है DGRE
02:20CTCS टेक्नोलोजी का लगाता
02:23दुर्गम क्षेत्रों में परिक्षन किया जा रहा है
02:24जहां पर जाना मुश्किल है
02:26इसी के चलते मिनिस्ट्री ओफोम
02:28आर्मी और नेवी के द्वारा
02:29DRDO के तहर CTCS सिस्टम की सबसे जादा डिमांड है
02:33तो हम इसका जब ट्राइल करते हैं
02:36तो हम मोश्टली ऐसी जगे पर जाते हैं
02:37जहां पर कि आसार नी से जाना मुश्किल हो जाता है
02:39और हमारे जो CTCS है
02:41कॉमबेक ट्रांस होरीजन कम्मिनिकेशन सिस्टम
02:43यह कैसा सिस्टम है
02:44जिसकी सबसे ज़्यादा इस समय डिमांड हुई है
02:46चाहे वो MHA द्वारा हो
02:47सेना द्वारा हो या नो सेना द्वारा हो
02:49इसका मेन रिजन क्या है कि हम
02:51पूरा कम्मिनिकेशन सिस्टम दो बॉक्स के अंदर
02:53जो है यह देखिए इदर बॉक्स रखे यह पूरा टर्मिनल पांच मिनिट के अंदर इसको हम सेट अप कर सकते हैं
02:58और दो बॉक्स के अंदर हम इसको रखके और किसी भी दुर्गम चेतर पर ले जा सकते हैं
03:02वहां से कम्मिनिकेशन इसका हो सकता है
03:04इसके अलावा देहरादून में भी लगातार अलग-अलग जगों पर इसका परिक्षन चल रहा है
03:30इच वी भारत के लिए देहरादून से धीरज सजवान की रिपोर्ट
03:34झालग-वी भारत के लिए लगातार अलग-ज़वान की रचता है
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