अमेरिका के 9/11 के आतंकवादी हमलों के बाद के बदले माहौल को लेकर 2010 में एक फ़िल्म आई थी– माय नेम इज़ ख़ान। शाहरूख़ ख़ान की इस फ़िल्म का मशहूर डायलॉग था– “My name is Khan, and I am not a terrorist.” यही व्यथा या विडंबना आज भारत के मुसलमानों की भी है। उन्हें भी हर घटना के बाद टार्गेट किया जाने लगता है। बार बार उनकी देशभक्ति का सुबूत मांगा जाता है। इसी सब पर बेबाक भाषा के ख़ास कार्यक्रम Sunday Off Beat में देखिए पत्रकार मुकुल सरल की यह रिपोर्ट। #news #newsanalysis #latestnews #islamophobia
00:00अब वो नहीं बचेगा उसका चेहरा उस आतंकवादी से मिलता है जिसे किसी नहीं देखा
00:10दोस्तों आज मैं आपसे बेहत गंभिर मुद्दे पर बात करने आया हूँ
00:15मैं बात करने आया हूँ इसलामोफोबिया की उस घ्रना और नफरत की जिसमें आपका नाम ही आपको गुनागा ठहरा देता है
00:22बात करने आया हूँ बेगुना कहदियों की ऐसे लोगों की जिन पर आतंकवादी का फरजी ठपा लगा कर उन्हें सालों साल जेल में सड़ा दिया गया
00:31जब तक अदालत में उन्हें निर्दोश माना बरी किया तब तक भी अपना लगबग पूरा जीवन खो चुके थे उनके परिवार तभा और बरबाद हो चुके थे
00:40मैं आज ये बात क्यों कर रहा हूँ क्योंकि दिल्ली बिलाष्ट के बाद एक बार फिर मुसल्मानों की विच हिंटिंग शुरू हो गई है
00:48मीडिया ने सूतरों के हवाले से ऐसी थ्रिल और सस्पेंस की कहानिया कर दी है कि पुलिस को भी एडवाईजरी जारी करनी पड़ती है कि जरा समल कर
00:57वाइट कॉलर मॉड्यूल के नाम पर इस समय हर मुसलिम डॉक्टर हर कश्मीरी हिंदुत वादी और गोदी मीडिया के निशाने पर है
01:05एक पूरी उनिवर्सिटी को बदनाम कर दिया गया है
01:08आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता आम तोर पर यही कहा जाता है
01:18लेकिन अगर आतंकवादी घटना में किसी मुसल्मान का नाम आता है
01:21तो फिर इस आदर्श वाक्य को भुला दिया जाता है और पूरे समयुदाई को ही टार्गेट किया जाने लगता है
01:28किसी सामाने अपराद तक में नाम आने या शक होने पर भी उसके घर की तरफ बुल्डोजर दोड़ पड़ता है
01:35लेकिन ऐसा हिंदू के बारे में नहीं है
01:38आपको मालू है कि माले गाओं बलाष्ट के बाद जब भगवा अतंकवाद का नाम लिया गया
01:43तो पूरे देश में कैसा बावेला मचा
01:45और भाजपाई और मीडिया जो दिन रात हिंदू मुस्लिम की राजनिती करते हैं
01:49उनका ऐसा खुन खौला कि उन्होंने इसे हिंदू की अस्मिता का सवाल बना दिया
01:54हमारी जी सियासत के वज़े से कोई भी वारदात होने पर मूँ पूरा मुस्लिम समुदाई ही डर और आशंका में घर जाता है
02:02जैसा मैंने शुरू में कहा कि दिल्ली बलाश्ट के बाद भी यही हुआ
02:05मीडिया ने पुलिस वकील और जजज सब की भूमी का अपना ली
02:09बिना किसी सरकारी वर्जन और सबूत के सूत्रों के हवाले से ऐसी ऐसी कहानिया सुनाई के सुनने वाले के होश हो जाएं
02:16अगर किसी को पुलिस या जांस एजन्सियों ने सिर्फ पूस्ताज के लिए बुलाया तो उसे आतंकवादी मान कर उसके घर खांदान की डिटेल आपके सामने रख दी
02:25वो तो भला हो N.I.A. का कि उसने इस मामले में तीन डॉक्टर समय चार लोगों को रिहा कर दिया
02:31रिहा किये गए लोगों में डॉक्टर रेहान, डॉक्टर महमब, डॉक्टर मुस्तकीम और फर्टिलाइजर ब्यापारी दिनेश सिंगला है
02:38इन लोगों को हाल में ही नुह से गर्वतार किया गया था
02:40और मान लीजी अगर इने शक के अधार पर गर्वतार कर भी लिया जाता
02:44तो हमारा मीडिया और संपर्दाइक नेता इने अधालत से पहले ही सजा सुना देते
02:49ऐसे एक दो नहीं सेकल उधार रहा है जब हमारी अधालतों ने दस पंद्रा या बीस साल बाद
02:54आतंकवाद के आरूपों से लोगों को बरी किया आज मैं आपके सामने ऐसे ही कुछ उधारन रख रहा हूँ
03:00अभी 19 नुवंबर 2025 की खबर है कि इलाबाद हाई कोट ने 1996 में गाजियाबाद के मोदिनगर में एक बस में हुए बंबलाष्ट मामले में एक दोशी को बरी किया
03:11कोट ने कहा कि अभीयोजन पक्ष ये आरोप साबित करने में विफल रहा की अपील करता ने सह अभीक्त के साथ मिलकर बस में बंबलाष्ट करने की साज़ेश रची
03:22हाई कोट ने ट्राइल कोट द्वारा दर्ज दोश शिद्दी के निशकर्ष और अपील करता को दी गई सजा को रद कर दिया
03:29ये आदेश जश्टेस्त सिधार्त और जश्टेस्त राम मनोहर नारयन मिश्रा की डबल बेंच ने दिया
03:36हाला कि कोट ने फैसला सुनाते हुए टिपड़ें की कि हम इस मामले में भारी मन से बरी होने का आदेश दे रहे हैं
03:43क्योंकि इस तरह का मामला समाज की अंतरात्मा को जगजोर देता है
03:47क्योंकि 18 निर्दोश लोगों की आतंकवादी साजिश में जान गई
03:51लेकिन ये भारी मन सिर्थ आरोपी पर ही सवाल नहीं उठाता
03:54बलकि उस पुलिस और जान से जनसी पर भी सवाल उठाता है
03:57जो 19 साल बाद भी पुक्ता सबूत पेश नहीं कर सकी
04:01यह यह भी ध्यान देने वाली बात है कि ये भारी मन माले गाओं ब्लाष्ट में
04:06सबी आरोपियों को रिहा करते हुए बरी करते हुए नहीं दिखाई दिया
04:10आपको मालूम है कि 29 सितंबर 2008 को माले गाओं में हुए ब्लाष्ट में साथ लोगों की मौत हो गई थी
04:16और तिरान में लोग खायल हुए थे
04:1831 जुलाई 2025 में मुंबई की विशेश एनाईय अदालत में इस मामले में अभ्युक्त रहीं
04:25बीजीपी की पूर्वसांसद प्रग्या सिंठ ठाकुर और लेटिनेंट करनल प्रसाथ प्रोही समित सभी साथों लोगों को बरी कर दिया
04:33विशेश अदालत की नियाधीश एक लहोटी ने सभी अभ्युक्तों को निर्दोश करार देते हुए कहा कि यह एक अत्यर्त गंभीर मामला है जिसमें आम नागरिकों की जान गई लेकिन अभ्युजन पक्ष आरोप साबित करने के लिए निर्णायक सबूत पेश नहीं कर �
05:03क्या वाके में ऐसा हुआ प्रग्या ठाकुर को बहुसंक्रक समाज ने आतंकवादी की तरह कभी नहीं देखा बलकि हिंदुत वादियों ने उनको एक हिरो की तरह मही ममंदम किया वे बरी होने से पहले ही राजनीती में आ गई भाजपा के टिकट पर चुनाओ लड़कर सा
05:33कि अरुविधा या पार्टी और मुख्यमंत्री का समर्थन किसी मुस्लिम आरुपी को मिला है नहीं
05:40बात करते हैं मॉंबई सीरियल ब्लाष्ट की इसी साल जुलाई में ही 2006 के मॉंबई सीरियल ब्लाष्ट का भी तसला आया
05:47केस के 19 साल बाद और ट्रायल कोट के फैसले के 10 साल बाद बांबे हाई कोट ने सभी 12 दोशियों को बरी कर दिया
05:5411 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेन में कई बोगयों में धमाके हुए थे
05:59इस मामले में 2015 में एक विशेश अदालत में पांच अभीवतों को फासी और साथ को उम्रकाइद की सजा सुनाई थी
06:06अब बांबे हाई कोट ने निचली अदालत के उस फैसले को पलट दिया लेकिन इन लोगों के माथे से आतंकवादी का ठपा छुटेगा शायद नहीं कभी नहीं
06:16इन में से एक अभीवत कमाल अंसारी की तो 2021 में मौत भी हो गई यानि वह आतंकवादी का ठपा अपने माथे पर लिए दुनिया से चले गए
06:23एक मामला है गुजरात का 2001 का जिसमें एक बड़ी संक्यमे आतंकवाद के आरूप में 127 भारतिय मुस्लमानों को पकड़ा गया जिने 19 साल बाद 2021 में बरी किया गया
06:35इन लोगों को गुजरात में मुस्लिम शिक्षा पर एक सामिनार में भाग लेने के दुरान यूए पीए के तहद गरिफ्तार किया गया था और उन पर प्रतिबंदित संगठन सिमी से संबन रखने का आरूप लगाया गया था
06:45यह सामिनार आखिल भारतिय अलप संख्यक शिक्षा बोल द्वारा आजिद किया गया था
06:49सूरत की एक अदालत ने 2021 में सबी आरूपियों को बरी कर दिया
06:54लंबी सुनवाई के दुरान इन में से पांच की मौत हो गई
06:58लेकिन जो लोग जिन्दा थे उनकी मुश्किले बरी होने के बाद भी खत्म नहीं हुई
07:02उनके परिवार तभा थे कुछ पीडितों ने अपनी सरकारी नौकरी खो दी
07:06कुछ को सालों तक काम नहीं मिला
07:082015 में करनाटक खुबली का केस है जिसमें प्रथम अत्रिफ जिलायम सत्र नियायले
07:15ने 2008 के एक मामले में आतंगवादी संग्टनों से संबंद रखने
07:19और देश के खिलाफ युद्ध छिनने का आरोप में सभी 17 लोगों को बरी कर दिया
07:24एक मामला है नांदेड का मामला
07:262025 में 2006 के नांदेड ब्लाष्ट केस के नौ आरोपियों को बरी कर दिया गया
07:312006 में महराष्ट के नांदेड में एक घर में विस्पोर्थ हुआ था
07:35जिसमें दो लोगों की मौत हुई थी
07:36जांच में ये संधेश सामने आया
07:38कि हिंदू संगठनों से जुड़े कुछ लोग पम बना रहे थे
07:41और उसी समय विस्पोर्थ हो गया
07:43चार शीट में दावा किया गया था
07:45कि उनके पास से साहित्य, डाइरी, नोट्स और कुछ संधेश मिले थे
07:48जिसे अधार मना कर कहा गया कि बे आतंकवादी गतिविद्धियों की तैयारी कर रहे थे
07:53लेकिन नांदेर कोट के जज सीवी मराथे ने क्या कहा
07:57उन्होंने कहा अपने फैसले में कि सिर्फ किसी संगठन से जुड़ा साहित्य, डाइरी या कुछ दस्तावेज
08:03मिल जाने भर से ये साबित नहीं होता कि आरोपी किसी साजिश का हिस्सा थे
08:08या किसी आतंकी संगठन की मदग कर रहे थे
08:11लेकिन ऐसी स्विधा और ऐसा फैसला सबको नहीं मिलता
08:14और अंत में एक और केस बता दूँ, महम्मद आमीर का
08:19पुरानी दिल्ली के उस नौजवान का जिसे अपनी बेगुनाही साबित करने में
08:2314 साल तक संगर्श करना पड़ा
08:25सन 1998 में उसका अपरण करके उसे बुरी तरह प्रतारित किया गया
08:29उन पर राज्ये के खिलाफ अबराद करने की साजिश और बम धमाकों के 19 मामले दर्च किये गए
08:34अब वेजील से बाहर हैं लेकिन जब वेजील से बाहर आए तब तक बाहर की दुनिया पूरी तरह बदल चुकी थी
08:40उनके अबबा गुजर चुके थे माकों दिमाग की नस्फ पटने के बाद लखवा मार गया था
08:45आमीर के पास ना कोई काम था ना आर्थिक सुरक्षा लेकिन इस सबके बावजूद बहाद बिभ भाव और उपिनन के खिलाब
08:51भारते समिधान वे लोगतंतर को मचबूत करने के संघर्ष में शामिल है
08:56तो दोस्तों मैंने हैं आतंकवाद के ऐसे मामले आपके सामने पेश किये
09:00जिसमें हिंदू या मुस्लमान दोनों ही आरोपी रहे
09:03लेकिन हिंदू आरोपियों को ना वैसी चुनोतियों का सामना करना पड़ा
09:08जो मुस्लमान आरोपी ने किया ना उनके लिए को घ्रना और नफरत या डर किसी समुधाई में रहा
09:13जैसे मुस्लमान आरोपी होने से होता है
09:15मैं तो मौब लिंचिंग को भी आतंकवादी घटना ही मानता हूँ
09:18लेकिन आपने देखा कि किस तरह मौब लिंचरों को धर्म रक्षक या गौर रक्षक के तौर पर महिमा मंदित किया जाता है
09:24अभी आपने खबर देखी होगी कि किस तरह 2015 के दादरी के अखलाक मौब लिंचिंग कान में यूपी की योगी सरकार सभी आरोपी उसे केस वापस लिने जा रही है
09:33इसे तरह आपने गुजरात की बिलकिस बानु केस जिसमें बिलकिस के बलतकारी और पूरे परिवार के हत्यारों जिन पर दोश सिद्ध हो चुका है
09:40उनकी वक्त से पहले रहाई और उनका फूल माला उसे स्वागत करते देखा होगा
09:44तो मामले ने तूल पकड़ा और सुप्रिंग कोट नहिस्तक्षिप किया और उन्हें दुबारा जील भीजने का आदेश दिया
09:50तो पूल मिलाकर आप एक ही तरह के मामलों में हमारी सरकारों हमारे पुलिस प्रशाशन और समाज का दोहरा रवया देखते हैं
09:58हिंदू दोशी होने पर सिर्फ एक डिक्ती दोशी होता लेकिन मुस्लमान और उपी होने बर से पूरा मुस्लिम समुदाय दोशी ठहराया जाने रगता है
10:06और आखरी में आपको याद दिला दू कि आज़ाद भारत का पहला आतंकवादी कौन था
10:11वो आतंकवादी था नाथुराम गोड से जिसने महत्मागादी की हत्या की लेकिन आज भी उसे हमारी सत्ता और हिंदत वादी दुवारा कैसा महिमा मंदित किया जाता है
10:20और उसके कृत्ते को जायज ठहराने की कोशिश की जाती है
10:23दोस्तो आतंकवाद बुरा है चाहे इसका होई चाहे उसका और उसकी बिना धर्म सुमदाय देखे एक सुर्मे निंदा की जानी चाहिए
10:31लेकिन इसकी आड़ में एक समुदाय विशेश को निशाने पर लेना उसकी देश भक्ती पर संधे करना उसे देश द्रोही और गद्दार कहना किसी भी तरह सही नहीं है
10:39जैसे आप नहीं चाहेंगे कि आपके परिवार या समुदाय से कि कि किसी एक व्यक्ति के वजह से आपके पूरे परिवार या समुदाय को बदनाम किया जाए ऐसा ही खयाल दूसरों के लिए भी रखिए इस पर सोचेगा जरूर शुक्रीदा
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