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  • 16 hours ago
देवघर जिले का मधुपुर कभी कोठियों का शहर था, यहां बंगाल के बाबुओं का स्वर्णकाल था, लेकिन आज उपेक्षा का शिकार है.

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00:00ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
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00:57Now I have been doing this for a while.
01:02It has been a long time for a while.
01:06I have been working on this place.
01:11The culture of Madhupur was poor in Madhupur.
01:16It was very good, it was Madhupur.
01:19It was a beautiful place in Madhupur.
01:22ुषभाप्राइब दिन पर देदीनी कोठी का भी खुबसूरती खतम हो गया।
01:24ुषभाप्राइब कोठी तूटके सब जगा नया कंक्रिट का जंगल बन गया।
01:27कभी अपनी खुबसूरत कोठी के लिए जाने जाने वाला मधुपूर अब खंडरों की नगरी बन चुका है।
01:33560 में से बमुस्किल 30-40 कोठी या ही बची है। वो भी अंतिम सांसे ले रही है।
01:39बाकि या तो ढहा दी गई या उन पर अवैद कबजा हो गया।
01:43यू तो दिवारे अब भी खड़ी हैं जो बेहत जरजर हो चुकी है।
02:04खंभे तूटने लगे हैं और पूरा परिसर जंगल बन चुका है।
02:08अस्थानिये लोग बताते हैं यही वो कोठी थी जहां बंगाल के क्रांतिकारी गुप्त मीटिंग करते थे।
02:14एक समय यहां का रुत्बा था लेकिन अब यहां की विरासत खत्म हो रही है तो अस्थानिये रोजगार पर भी असर पड़ा है।
02:38फिर भी कुछ कोठी आज भी सांसे ले रही हैं।
02:44इनके बगीचों से आज भी फूलों की खुस्बू आती है।
02:46लेकिन सवाल यही है यह खुस्बू कब तक बचेगी।
02:49ऐसे धरोहरों को राज सरकार और जिला परसासन क्यूं नहीं बचा पाई।
02:54देवघर से इट भी भारत के लिए हितेश कुमार चौधरी।
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