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  • 1 week ago
छत्तीसगढ़ में लोकगीतों का अलग स्थान है. धान कटाई के समय महिलाएं लोकगीत गाकर काम पूरा करती हैं.

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00:00ुद्धान के खेत में कटाई कर रहे ये ग्रामेन महिलाये
00:12इस मुश्किल भरे काम को जितनी आसानी से करती दिख रही है
00:16दरसल वो इतना आसान नहीं है
00:18फिर भी चहरे पर मुस्कान लिये
00:21पारंपरिक लोग गीतों को गुनगुनाते हुए
00:24वे धान कटाई का काम कर रही है
00:26ग्रामेण महिलाए धान कटाई के समय सुवा ददरिया जैसे गीतों को गाती है
00:32इनका कहना है कि धान काड़ते समय लोगों का मन लगा रही
00:37और साथ में ज्यान मिले इसलिए लोग गीत गाते है
00:40आप दिन के आप चातीत गड़ मा चात का दिन चातीत गड़ा सुर्वात हो है तबले
00:58चातीत गड़ के गाना सब कुछा चलता आथे परमपराले गवरी गवरा सब कुछा
01:04इन में से ज्यादे तर ग्रामीन महिलाए अन्ड़ गड़ा रही
01:34पड़ है लेकिन इनके मन में ईश्वर के प्रती जो भाव है वो लोग गीतों में नजर आता है
01:41लोग गीत में 36 गड़ की सभ्यता संस्कृती के साथ ही रामायन और महाभारत के कथानक की चाप देखने को मिलती है
01:49इन लोग गीतों को सुख समरिधी और सुकून का प्रतीक माना जाता है
01:54महिलाए ये मानती है कि लोग गीत गाते हुए जब वो मेहनत का काम करती है तब उन्हें अपनी कथिन मेहनत का एहसास नहीं होता और दिल दिमाग भी शान्त रहता है
02:06हम धियान पढ़ हन लेकिन महाभारत राम रमायन गीता सुन के न हमर मनहर आनन गद गद हो जाते थोड़ा समध दारी मिल जाते
02:27जिस पर कार रामनहर सीता लाहर थे
02:29कहां से कहां तक चुदा बारस बानवास लभीता थे
02:35सीता लाह जब रामनलमायर के खतम कर थे
02:38ता सीता लाह सामने से नजर मिला के देखे नहीं
02:41काबर भगवान हर बहुत समधार है
02:45राम हर तो अपन सीता लाह भगवान जाने
02:53लेकिन उकर मन कर थे
02:54दुनिया हासी में तो प्रभु राम जगत के पालने वाला
02:59। । । । । ।
03:29। । । । । । ।
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