00:00औरत हाथ से दुग्गी का पानी निकाल रही थी, उसे पता भी नहीं चला कि अलमारी में एक आदमी शमीम छिपा हुआ है, बस वो तो दुग्गी मलने में मशरूफ थी
00:08उसे दुग्गी के अंदर एक पानी की धार महसूस हुई शमीम को लगा, जैसे उसे उसकी दुग्गी पेलनी चाहिए, लेकिन उसकी समझदारी ने उसे रोक लिया
00:16दस मिनट बाद अनाविया कमरे से बाहर निकल गई, शमीम धीरे से अलमारी से बाहर निकला, और चलते हुए उसने मोजों का एक जोड़ा उठा लिया, फिर वह बिस्तर के पास गया
00:24मानों वह उस गर्मी को महसूस करना चाहता हो, जो अभी-भी वहां से गई थी, उसने परदे खीचे और घर में ऐसे घूमने लगा, जैसे यह उसका ही घर हो, उसे फ्रिज में खाने को कुछ मिल गया
00:34खाने के बाद उसने जो बरतन इस्तिमाल किये थे, उन्हें धो दिया, उसने कुछ छोटे-मोटे घर के काम भी किये, लेकिन अगर उसे लंबे समय तक यहां रुकना था, तो उसे एक बहतर छिपने की जगह चाहिए थी
00:42शमीम ने एक पुरानी अल्मारी हटाई, उस बेकार अल्मारी की पिछली दीवार खोली और चादर हटा दी, ताकि दोनों अल्मारियों के बीच एक गुप्त रास्ता बन जाए, वह उस जगह में घुज गया, और अंदर से दर्वाजा बंद कर लिया
00:53जैसे ही वह छिपा, अनाविया वापस आ गई, जब उसने साफ रसोई देखी, तो उसे यकीन हो गया, कि यह सब उसके पती नसीम ने किया होगा, लेकिन जब नसीम घर लोटा, तो अनाविया ने कहा, कि वह कुछ नहीं जानती, अनाविया कभी-कभी अपनी याददाश्त
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